अरविंद कुमार-
1.”There’s never just one cockroach in the kitchen.” “रसोई में कभी भी सिर्फ एक तिलचट्टा नहीं होता।” 2017 में सीएनबीसी को इंटरव्यू देते समय वॉरेन बफेट ने यह बात कही थी।
- वॉरेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हाथवे पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 में हिस्सेदार थी।
- बर्कशायर हाथवे ने पिछले साल कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेच दी। उपर्युक्त तीनो तथ्यों को मिला कर देखें तो पेटीएम की पूरी कहानी समझ आ जाती है। पेटीएम अपनी शुरुवात से ही किसी न किसी समस्या में फंसती रही है।
लिस्टिंग के दिन भी कंपनी के प्रमोटर्स का घमंडी व्यवहार निवेशकों को पसंद नहीं आया था।
प्रोमोटर विजय शेखर शर्मा ने कहा था कि “पेटीएम एक लंबी दौड़ का घोड़ा है और जो लोग इसमें निवेश नहीं करते हैं, वे पछताएंगे।”
आज हालत यह है कि अगर आपने लिस्टिंग के दिन पेटीएम में एक लाख लगाए होते तो आपके इस एक लाख की कीमत आज बीस हजार से भी नीचे है। जिस तरह रसोई में कभी भी केवल एक तिलचट्टा नहीं होता और ढूंढने पर बाकी तिलचट्टे भी मिल जाते हैं उसी तरह पेटीएम में अभी और गड़बड़ियां मिलेंगी इसकी पूरी संभावना है।
शेयर बाजार में निवेश का एक ही नियम होता है सबसे पहले अपना मूलधन बचाओ और अगर मूलधन बचा रहा तो भविष्य में मार्केट स्वयं आपको अच्छा खासा रिटर्न बना कर दे देगी।
In Short निवेश करते समय सावधानी रखें। कंपनी की पूरी जांच-पड़ताल करें। लालच से बचें। मूलधन की सुरक्षा सर्वोपरि है।
हालांकि पेटीएम भारत का सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है और पेटीएम के 450 मिलियन से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। लेकिन चाहे गाड़ी बीएमडब्ल्यू ही क्यों न हो ड्राइवर अच्छा नहीं तो मोए मोरे होना तय है।