Ilika Priy-
हमारे प्यारे साथी और पत्रकार Rupesh Kumar Singh को आज सरायकेला पुलिस के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें कहां ले जा रहे हैं पूछने पर भी यह नहीं बताया गया। रूपेश कुमार सिंह जिन्हें 2019 में झूठे केस में फंसाने की कोशिश की गई थी, पर चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाए थे, जिनके मोबाइल में पेगासस द्वारा जासूसी की गई है, जिसका केस आज भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
रूपेश जी द्वारा दो दिनों पहले गिरिडीह में औद्योगिक प्रदूषण पर रपट लिखा गया था, और उससे प्रभावित बच्ची के इलाज के लिए रूपेश जी के कोशिश से लोग मदद के लिए सामने आ रहे थे। उससे जुड़े मामले ट्विटर पर देख सकते हैं। जनता के उसी जनपक्षीय पत्रकार को आज एक सोची-समझी रणनीति के तहत पुलिस गिरफ्तार कर ले गई है।
आज सुबह 5:30 को लगभग सात बोलेरो भरकर पुलिस फोर्स आई जिसमें घोषित रूप से सरायकेला खरसावां थाना के डीएसपी चंदन कुमार वत्स के लिंडिग में पूरी पुलिस फोर्स थी, मगर अघोषित रूप से एसआईबी, एनआईए के लोग भी थे। आखिर क्यों? पहले सिर्फ सर्च वारंट बताकर उन्होंने पूरे घर की तलाशी ली , हर समान को उल्टा, पल्टा और जब्ती के कुछ समान को रख लिया ताजुब्ब यह था कि उस जब्ती में लेपटॉप, मोबाइल के अलावा एक लाल ब्लू फूल के छाप वाला चादर भी लिया जिसका क्या तुक था कुछ समझ में नहीं आया।
यह पूरा काम लगभग दो बजे तक चला और अंत में उन्होंने अरेस्ट वारंट दिखाया, जिसे वे शुरू में भी बता सकते थे। एक बार फिर उस पत्रकार के पीछे एक झूठा मामला तैयार किया गया है, वह भी ठीक तब जब पेगासस स्पाइवेयर जासूसी मामले के पूरे एक साल होने को है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट इस जासूसी की जांच कर रही है दूसरी तरफ उस पत्रकार पर गलत आरोप में पुलिस प्रशासन गिरफ्तार कर रही है। क्या यह गिरफ्तारी पेगासस स्पाइवेयर जासूसी की अगली कड़ी थी।
रूपेश कुमार सिंह के पीछे पहले झूठे केस थोपना, पेगासस द्वारा जासूसी करना, और फिर यह गिरफ्तारी यह बता रही हैं कि एक जनता के हक अधिकार की बात करने वाला इंसान किस तरह सत्ता के निशाने पर हैं। आखिर क्यों एक जनपक्षधर पर सरकार पुलिस प्रशासन इस तरह दमन कर रही है?
मैं इस सरकार, पुलिस, प्रशासन के दमनकारी नीतियों को पूर जोर विरोध करती हूं और उम्मीद करती हूं एक बार फिर एक जनपक्षधर पत्रकार के पक्ष में न्याय पसंद लोग आवाज उठाएंगे। इस दमन के विरोध में हमारे साथ खड़े होंगे। हम उनकी बिना शर्त अविलंब रिहाई की मांग करते हैं।
Ritesh Vidyarthi-
मजदूरों, किसानों, दलितों, आदिवासियों की मुखर आवाज़, पीपुल्स एक्टविस्ट व पत्रकार साथी Rupesh Kumar Singh के घर पर आज सुबह से हो रही पुलिसिया छापामारी का हम सख्त विरोध करते हैं। रूपेश को राज्य मशीनरी द्वारा लंबे समय से टारगेट किया जा रहा है। पहले उनके फोन में पेगासस वायरस डाला गया(जिसका मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है) और तरह- तरह से परेशान करने की कोशिश की गई। आज सुबह पुलिस बल के साथ झारखंड के रामगढ़ स्थित उनके घर पे छापेमारी की जा रही है।
रूपेश अपनी पत्रकारिता के माध्यम से लंबे समय से झारखंड में हो रहे आदिवासियों के उत्पीड़न व उनके जल-जंगल-जमीन की लूट के खिलाफ और झारखंड के मजदूरों के पक्ष में पूरी पक्षधरता और ईमानदारी से लिखते रहे हैं। इनसे संबंधित तमाम रिपोर्टें आप उनके फेसबुक पेज व you tube चैनल पर देख सकते हैं। यही वजह है कि उन्हें लंबे समय से टारगेट किया जा रहा है। इससे पहले भी उन्हें गैर कानूनी गतिविधि करने के एक फर्जी मामले में फंसाकर यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। लेकिन कोई सबूत न होने की वजह से लगभग 6 महीने जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिल गयी थी।
आज जब बड़े-बड़े दंगाई, अपराधी, लूटेरे खुद सत्ता पे काबिज हों और मेधा पाटेकर, हिमांशु कुमार जैसे जन पक्षधर कार्यकर्ताओं को जेल भेजने की तैयारी चल रही हो, आए दिन सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हो रही गिरफ्तारी से भारत की जेलें पहले से भरी पड़ी हों तब रूपेश के घर छापेमारी कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं है। बस जरूरत इस बात की है कि लोग अपनी चुप्पी तोड़कर इस क्रूर दमन के खिलाफ सड़कों पर उतरें और इस फासीवादी निजाम व जनद्रोही कानूनों के खिलाफ एक मजबूत फासीवाद विरोधी जन आंदोलन खड़ा करें।