सोशल मीडिया पर चलने वाली सरकार विरोधी या सरकार से सवाल करने वाली ख़बरों पर रोक लगाने की नियत से केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाई गई फैक्ट चेक यूनिट को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दे दिया है.
एससी ने फैक्ट चेक यूनिट पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि, “हमारी सुविचारित राय है कि उच्च न्यायालय के समक्ष जो प्रश्न हैं वे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के मूल प्रश्नों से संबंधित हैं.’ कोर्ट ने कहा कि 15 अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई है और उससे पहले फैक्ट चेक यूनिट बनाना गलत है.”
बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत 20 मार्च को फैक्ट चेक इकाई (एफसीयू) के लिए अधिसूचना जारी की थी.
सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, “हमारी राय है कि अंतरिम राहत का अनुरोध खारिज होने के बाद 20 मार्च, 2024 को जारी अधिसूचना पर रोक लगाने की जरूरत है. अनुच्छेद 3 (1) (बी) (5) की वैधता को चुनौती में गंभीर संवैधानिक प्रश्न शामिल हैं और उच्च न्यायालय द्वारा स्वतंत्र वाक और अभिव्यक्ति पर नियमों के प्रभाव का विश्लेषण करना जरूरी था.”
इसके साथ ही चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के 11 मार्च के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसने केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया पर फर्जी और गलत सामग्री की पहचान करने के लिए संशोधित आईटी नियमों के तहत एफसीयू की स्थापना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
एफसीयू पर रोक लगाने के लिए याचिका स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी.
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