प्रभात खबर, बोकारो (झारखंड) से खबर है कि अखबार प्रबंधन ने अपने तीन पुराने रिपोर्टरों बसंत मधुकर, अजय सिंह और राणा रंजीत को विगत 13 जून को इस्तीफा देने के लिए कह दिया था। इसलिए कि ये लोग कई दशकों से काम कर रहे हैं। पुराने हैं। सोचिए, पुराना और निष्ठावान होना आज के दौर में कितना बुरा हो गया है। ये अखबारी कंपनियां वैसे तो सिद्धांत और आदर्श बघारती हैं लेकिन जब अपने घर में सिद्धांत व आदर्श लागू करने की बारी आती है तो ये चुप्पी साध लेते हैं.
प्रभात खबर प्रबंधन के घटिया रुख को देखते हुए बसंत मधुकर ने इस्तीफा दे दिया, जो 13 जुलाई को मंजूर भी कर लिया गया है। वहीं, अजय सिंह को इस्तीफा नहीं देने पर चाईबासा ट्रांसफर कर दिया गया है। जबकि, राणा रंजीत प्रबंधन के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।
बताते चलें, कि तीनों रिपोर्टर दशकों से प्रभात खबर के साथ थे और जिले में अखबार की रीढ़ माने जाते थे। रिपोर्टिंग में लगभग तीन दशकों का अनुभव रखने वाले बसंत ने हिंदुस्तान अख़बार में क्राइम रिपोर्टर के रूप में अपना करियर शुरू किया था। कुछ ही सालों में अपने बीट पर अच्छी पकड़ बना ली थी।
बाद में प्रभात खबर के लिए जिला प्रशासन बीट देखते थे। अजय सिंह की क्राइम बीट पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। राणा रंजीत सिटी रिपोर्टर हैं। अखबार प्रबंधन ने अधिक वित्तीय भार वहन न कर पाना इन सबके पीछे वजह बताया है। लेकिन ये सब बेकार की बातें हैं। अगर वित्तीय भार मुख्य मुद्दा होता तो सबसे पहले मैनेजर पर गाज गिराए जाने की जरूरत है जो पर्याप्त वित्तीय संसाधन जुटाने में अक्षम है। रिपोर्टर का काम तो खबर लाना और कंटेंट क्रिएट करना होता है।