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पब्लिक एप में कार्यरत मीडियाकर्मियों के नाम चिट्ठी लिख इस युवा रिपोर्टर ने दिया इस्तीफा

रवि कुमार-

सम्मानित रिपोर्टर भाई एवं डेस्क के साथी…

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आजकल पब्लिक एप डेस्क से कुछ ज्यादा ही चेतावनी, टारगेट, विज्ञापन, विज्ञापन का टारगेट, समय से हाजिरी, देर होने पर स्पष्टीकरण, हर बात पर एक नया दिशा निर्देश, टारगेट से कम खबर पर स्पष्टीकरण, टारगेट से अधिक खबर पर स्पष्टीकरण, खबर को डिलीट करना, क्राइम की खबर जरूर लगना, बार बार बात बात पर चेतावनी इत्यादि जैसी हरकतें ज्यादा ही बढ़ गई हैं।

अब रिपोर्टर रिपोर्टर नहीं रहा बल्कि वह आदेशपाल बनकर रह गया। मैं इस पूरे क्रिया कलाप से अपने को प्रताड़ित महसूस कर रहा हूं। इतना तो अपने माता पिता द्वारा भी स्पष्टीकरण नहीं पूछा गया है।

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शुरुआत में पब्लिक एप में रिपोर्टर के रूप में सेवा देने की बात कही गई थी। डेस्क से बात भी हुई थी। लेकिन बाद में धीरे-धीरे डेस्क के द्वारा कई तरह का उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है जिससे मैं अपने आप को असहज महसूस कर रहा हूं।
मैं असहज स्थिति में प्रताड़ित व बार बार डेस्क की विचारधारा से नई नई बीमारी लेकर अपनी सेवा नहीं दे सकता। रोज नई गाइड लाइन।

मुझे डर सता रहा है कि इस रोज के नए नए दिशा निर्देश से दबाव में कहीं मुझे बीपी, या कई तरह की बीमारी ना हो जाए। मैं जिस मीडिया हाउस के लिए काम करता हूं वह एक वर्ष में मात्र दो बार विज्ञापन की मांग करते हैं, वह भी बिना स्पष्टीकरण, बिना किसी भेदभाव, बिना किसी दबाव के। भले वहां पैसा कम मिलता है। लेकिन उस मीडिया हाउस से इज्जत शोहरत हमेशा बना रहा। आज भी हम उसी मीडिया हाउस के बैनर तले कार्य करना पसंद करेंगे। जहां पैसों से अधिक इज्जत एवं शोहरत को स्थान मिले।

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हो सकता है कि नालंदा जिला से कई ऐसे पत्रकार होंगे जो खूब विज्ञापन दे रहे होंगे। मैं उन्हें भी साधुवाद देता हूं कि वे कंपनी की गाइडलाइन को सही ढंग से पालन कर रहे हैं। उनके पास विज्ञापन लेने का अनुभव है, लेकिन मेरे पास मात्र खबर चलाने का अनुभव है और मैं सिर्फ रिपोर्टर ही बना रहना चाहता हूं।

आज पब्लिक एप का क्रेज आम लोगों के बीच काफी नीचे हो गया है। एक प्रखण्ड में तीन रिपोर्टर। अब यह सोचा जा सकता है कि तीन रिपोर्टरों को तीन-तीन खबर का टारगेट है। ऐसे में विचारणीय विषय है कि प्रखंड में 9 खबर प्रतिदिन कहां से आएगा। रिपोर्टर भी मक्खी मच्छर के मरने संबंधी खबर लगायेंगे। इसलिए डेस्क को चाहिए की खबर की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जो रिपोर्टर के द्वारा खबर दी जाती है उसी खबर को उचित ढंग से लगाया जाए जो कंपनी के हित में हो।

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एक ही खबर को दो-तीन रिपोर्टर के द्वारा भेजा जाता है। डेस्क कहता है कि गड़बड़ है तो आप उसका स्पष्टीकरण दें। आप बताइए एक रिपोर्टर दूसरे रिपोर्टर की खबर का स्प्ष्टीकरण दे। खबर दो बार लग जाए तो इसकी जिम्मेदारी डेस्क की होती है। यह तो डेस्क पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि किनका खबर पहले आया, किनका खबर बाद में आया। ऐसे में किनका खबर डिलीट करना वह सुनिश्चित करें।

एक मीडिया हाउस या एक कंपनी से अगर प्रखंड में एक रिपोर्टर प्रतिनिधित्व करता है तो यह माना जा सकता है कि वह प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी के समकक्ष है। इससे अच्छा है कि राजनीतिक दल की तरह प्रत्येक पंचायत में ही रिपोर्टर रखा जाए ताकि खबर भी नहीं छूटे व विज्ञापन भी ज्यादा आये। जब तीन रिपोर्टर नियुक्त हो गए तो बता सकते हैं वह पंचायत रिपोर्टर हो गए। वे अधिकारी से सवाल ही पूछने लायक नहीं है।

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रवि कुमार
प्रभात खबर, हरनौत, नालन्दा
बिहार

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