इसमें भ्रष्टाचार तो नहीं घुस गया?
हवाई हमले की खबर आज अखबारों ने ऐसे प्रस्तुत की है जैसे वे युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार हैं – यह तैयारी खबरें एकत्र करने के मामले में नहीं सजाने और रंगने पोतने भर ही है। बाकी गोले शीर्षक से दागे जाएंगे। जहां तक सूचना का सवाल है, वह कुछ भी हो सकता है और कभी भी बदल सकता है।
हो सकता है युद्धा जैसी स्थिति और चुनाव करीब होने के कारण मामला बहुत गंभीर हो और उसमें इन बातों का महत्व नहीं हो लेकिन मीडिया से सवाल तो फिर भी रहेगा कि तब बताया क्यों जाता है।
आपको याद होगा कि पुलवामा हमले के बाद खबर आई थी आतंकवादी ने 350 किलो विस्फोटक के साथ अपनी एसयूवी सीआरपीएफ की बस से भिड़ा दी। बाद में विस्फोटक की मात्रा कम होती हुई 60 किलो और उससे भी कम हो गई। इसी तरह जो वाहन एसयूवी कहा जा रहा था वह मारुति इको यानी मारुति वैन से कुछ बड़ी गाड़ी थी।
ये ऐसी गंड़बड़ियां हैं जो नंगी आंखों से देखने वाला कोई नवसिखुआ भी नहीं करता लेकिन अब अखबारों को जो सूचनाएं देता है और जिसपर सब निर्भर करते हैं वो ऐसी गलतियां कर जाता है। कल के हमले में भी यही हुआ। पहले पाकिस्तान पर गिराया गया बम 1000 किलो था। वह आज के अखबारों में 450 किलो हो गया।
एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा कर रही है और दूसरी ओर विस्फोटक फटने के बाद कम हो जा रहे हैं। पिछली बार कोई 940 किलो और इसबार 550 किलो। ये भ्रष्टाचार है या सामान्य लारवाही? दोनों ही ठीक नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट।