कन्हैया शुक्ला-
एमडी भोमाराम ने लालच में आकर भारत सरकार के मेक इन इंडिया मिशन को दी चुनौती…
भारत सरकार की एक संस्था नाबार्ड यानि नेशनल बैंक आफ एग्रीकल्चर एंड रुरल डेवलपमेंट का काम ग्रामीण विकास और खेती के उत्थान के लिए फंड देना होता है. इस नाबार्ड ने राजस्थान की प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटीज (PACS) के कम्प्यूटराइजेशन के लिए मार्च’2023 माह में राजस्थान स्टेट कोआपरेटिव बैंक (RSCB) को नोडल एजेंसी नियुक्त किया.
पीएसीएस के कंप्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट के लिए नाबार्ड ने कंप्यूटर, प्रिंटर, यूपीएस, नेटवर्किंग आइटम्स आदि की सप्लाई व इंस्टालेशन एवं पांच वर्ष तक वारंटी सपोर्ट के लिए प्रति PACS एक लाख बाइस हजार रुपये का बजट निर्धारित किया. इस बाबत समस्त गाइडलाइन्स और तकनीकी पैरामीटर आदि नाबार्ड के माध्यम से सभी राज्यों को भेज दिया गया.
भारत सरकार अर्थव्यवस्था के सुदीर्घ विकास हेतु मेक इन इंडिया को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखती है. खासकर कोआपरेटिव सेक्टर में तो मेक इन इन्डिया प्रोडक्ट को प्राथमिकता दी जाती रही है. तो इन सब टर्म्स आदि के आधार पर नोडल एजेंसी को GeM पोर्टल पर निविदा निकाल कर मार्च-अप्रैल माह में यह कम्प्यूटराइजेशन प्रक्रिया सम्पादित की जानी थी.
अब जानिए खेल कहां हुआ….
नाबार्ड की गाइडलाइन्स का ध्यान में रखते हुए राजस्थान स्टेट कोआपरेटिव बैंक ने मार्च माह में GeM पोर्टल पर प्रथम बार (GEM/2023/B/3290228 dated 20th March’23) निविदा पब्लिश किया. इसके आधार पर कुल 3 निविदाएं प्राप्त हुईं. इस निविदा में कंप्यूटर, प्रिंटर के OEM के लिए न्यूनतम दक्षता (Eligibility criteria) रखी गयी थी एवं साथ में OEM टर्नओवर की शर्त नहीं रखी गयी थी. इससे ज्यादा से ज्यादा कंपनियां इस बिड प्रक्रिया में भाग ले सकती थीं. निविदा की अंतिम तिथि के करीब एक माह पश्चात, बिना किसी कारण बताये इस निविदा को निरस्त कर दिया गया.
इसके बाद राजस्थान स्टेट कोआपरेटिव बैंक द्वारा स्पेसिफिकेशन में कुछ परिवर्तन के बाद मई माह में GeM पोर्टल पर दुबारा (GEM/2023/B/3485116 dated 24th May’23) से निविदा निकाली गयी. इस बार कुल 4 निविदाएं प्राप्त हुईं. इस बिड प्रक्रिया में भी दी गयी शर्तों/टर्म्स के अधीन कंप्यूटर / प्रिंटर के सभी सक्रिय /बड़े OEM में भाग ले सकते थे | इस बार राजस्थान स्टेट कोआपरेटिव बैंक की तकनीकी समिति द्वारा तकनीकी बिड खोलने के पश्चात फिर से तकनीकी इवैल्यूएशन तो किया गया परन्तु करीब 20 दिवस पश्चात बिना किसी कारण बताये इस बार भी निविदा को निरस्त कर दिया गया.
दो बार के निरस्तीकरण से यह साफ साफ दिखाई दे रहा है कि विभाग के कमीशनखोर अधिकारियों को अपनी पसन्द की कंपनी की निविदा प्राप्त नहीं हो रही है अथवा उनका पसंदीदा OEM नहीं आ पा रहा है. इस कारण उन्हीं के द्वारा निर्धारित TERMS एवं Specifications होने एवं उसी के अनुरूप निविदा प्राप्त होने के पश्चात भी राजस्थान स्टेट कोआपरेटिव बैंक ने बिड प्रोसेस को आगे नहीं बढाया एवं बिना कोई कारण बताये दो बार बिड निरस्त कर दिया.
अब राजस्थान स्टेट कोआपरेटिव बैंक द्वारा तीसरी बार इस बिड को GeM पर पब्लिश किया गया है परन्तु इस बार OEM टर्म्स में परिवर्तन कर अचानक से 250 करोड़ का टर्नओवर निर्धारित कर दिया गया. कंप्यूटर / प्रिंटर के तकनीकी स्पेक्स को बदल दिया गया. UPS के स्पेक्स को सरल कर दिया गया आदि आदि … यह सब इसलिए किया गया ताकि अपनी पसंदीदा कंपनी के हाथों में आर्डर परोस कर उसे भरपूर फायदा पहुँचाया जा सके और बदले में भरपूर कमीशन खाया जा सके.
इस गड़बड़ घोटाले को लेकर MD भोमा राम समेत कई अधिकारियों के खिलाफ खूब शिकायतें आ रही हैं परन्तु उनके कानो पर जू तक नहीं रेंग रही. इस निविदा के माध्यम से केवल विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचा कर मोटा माल समटने की तैयारी की जा रही है. साफ जाहिर है कि सरकार के अफसर भारतीय स्टार्टअप अथवा मेक इन इन्डिया को प्रमोट करने की मंशा बिलकुल नहीं रखते. वे कमीशन के चक्कर में विदेशी कंपनियों के आगे बिछ गए हैं. एक बार विदेशी ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश के राजाओं और उनके अधिकारियों को प्रलोभन देकर देश को गुलाम बनाया. इस बार भी विदेशी कंपनियां भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने के लिए प्रलोभन का मोटा फंदा नेताओं और अफसरों के आगे फेंक रही हैं.
आरोप है कि राजस्थान स्टेट कोआपरेटिव बैंक के एमडी भोमाराम पर आरोप है कि प्री बिड मीटिंग में ४५ से अधिक चिट्ठियों को नज़र अन्दाज़ करते हुए टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया. सूत्रों के मुताबिक इस विषय में CIMEI (confederation of India MSME in ESDM &IT) के डायरेक्टर जनरल ने स्वयं एम डी भोमाराम से बात की और ईमेल भी किया. मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DPIIT) के डिप्टी डायरेक्टर जनरल आशीषन तीरके ने भी पत्र व्यवहार किया. लेकिन इस सबसे कमीशनखोरी के आरोपों से घिरे एमडी भोमाराम को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा. वे पूछने पर एक ही उत्तर देते हैं- “ऊपर से आदेश है कि भारतीय कंपनियों को टेंडर में प्रवेश नहीं देना है, इलेक्शन ईयर की वजह से.”
सवाल है कि ऊपर वाला कौन है जो भारत सरकार के सभी नियम ताक पर रख कर टेंडर करना चाहता है… इसका खुलासा होना अभी बाक़ी है…
ज्ञात है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. अशोक गहलोत सीएम हैं. इस दिनों राहुल गांधी बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं. पर उनकी पार्टी द्वारा संचालित राज्य में क्या खेल चल रहा है, इसका उनको या तो पता नहीं है या फिर चुनावी खर्च निकालने के चक्कर में वे जानबूझकर अनजान बने हुए हैं. या कहीं एमडी लेवल के अधिकारी अपने स्तर पर सारा खेल कर सरकार और कांग्रेस को बदनाम करने का कुचक्र रच रहे हैं? आज के दौर में राष्ट्रवाद और पारदर्शिता सबसे अहम है. लेकिन इस प्रकरण में राष्ट्र को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए पारदर्शिता को खत्म कर दिया गया है.
भड़ास4मीडिया के पास इस प्रकरण से संबंधित सभी दस्तावेज हैं. इनका सही जगह और सही समय पर प्रदर्शन किया जाएगा. भड़ास4मीडिया ने राजस्थान स्टेट कोआपरेटिव बैंक के एमडी भोमाराम से इस प्रकरण पर कई सवाल मेल और वाट्सअप के जरिए पूछा. चौबीस घंटे बीतने के बावजूद भी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. देखें ये सवाल… अगर इन सवालों का जवाब एमडी भोमाराम की तरफ से दिया जाता है तो उसे ससम्मान प्रकाशित किया जाएगा. वैसे चर्चा है कि इस प्रकरण को लेकर कुछ कंपनियां कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही हैं. सवाल देखें जिनका जवाब एमडी बोमाराम को देना है…
Mr. BHOMA RAM
Managing Director (MD)
The Rajasthan State Co-Operative Bank Ltd.
DC-1 LalKothi Shopping Center, Opposite Nehru Balodyan, Tonk Road, Jaipur-15
Dear Mr. Bhomaram
We have received the multiple communication about corruption and conspiracy in regards to the bid published on GEM for procurement of desktop computers , printer , Ups etc
We would like you to clarify on points mentioned below
1- we understand that bid was published thrice and it was cancelled without any reason though all the OEM’s were qualifying to the bid
2- the Bid was cancelled just because none of your favourite company bided
3- we understand that the clarification was asked from bidders and OEM and it was addressed , then also it got scrapped
4- who is the person forced you to cancel the earlier bids
5- why queries received from multiple bidders and OEM’s are unanswered
6- who forced you to publish 4th bid with new terms and conditions
7- why foreign certifications and unnecessary OEM turnover are asked when there are multiple notification from government of india for not to have restrictive clause in tenders and foreign certificates and unwanted turnover by which Indian manufactures can not participate
8- who all are the committee members responsible for such tenders
9- why the bid was designed to support only MNC’s do they oblige you by any means or you do not have confidence on Indian brand
I request you to kindly clarify above points failing which will be assumed the allegations are true and correct and news will be published on various platforms.
आप भी किसी स्कैम के बारे में जानते हैं या किसी अनियमितता से पीड़ित हैं तो उसे भड़ास तक [email protected] पर मेल कर पहुंचाएं. अनुरोध करने पर प्रेषक का नाम गोपनीय रखा जाएगा.