अरुण श्रीवास्तव-
देहरादून। वह नब्बे का दशक था जब अपने शुरुआती दौर में राष्ट्रीय सहारा ने पूरे लखनऊ को ‘ये एक और अखबार नहीं, रचनात्मक आंदोलन है’ संबंधी होर्डिंग्स से पाट दिया था। उस समय तो यह समझ में नहीं आया कि अखबार से रचनात्मक आंदोलन कैसे होगा? पर देहरादून आने के बाद यह बात समझ में आयी। देहरादून से प्रकाशित होने वाला राष्ट्रीय सहारा शुरुआती दौर से ही खबरों के दोहराव, खबरों के महिमामंडन, खबरों के स्रोत के महिमामंडन सहित तमाम गलतियों के लिए जाना जाने लगा।
ताज़ा मामला आज 30 मार्च 2023 का है। प्रदेश के रामनगर (नैनीताल) में G-20 की बैठक हुई। बैठक में चीफ साइंस एडवाइजर्स राउंड टेबल बैठक में 18 देश के 51 प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य विषय पर चर्चा की। बैठक की शुरुआत भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार डॉ अजय सूद ने किया। देर देर शाम मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार अजय सूद ने ही पत्रकार वार्ता की।
इस बैठक में कहीं भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शामिल होने का जिक्र तक नहीं है। यही नहीं, देहरादून से प्रकाशित होने वाले अमर उजाला में भी मुख्य समाचार में मुख्यमंत्री के शामिल होने की कोई खबर नहीं है। गौरतलब है कि अमर उजाला ने इस कार्यक्रम से संबंधित लगभग एक दर्जन खबर लगाई है और आधा दर्जन फोटो प्रकाशित किए हैं। इन आधा दर्जन फोटो में भी सिर्फ एक में ही मुख्यमंत्री नजर आ रहे हैं और वह भी दीप जलाकर कार्यक्रम करने की शुरुआत की है।

अमर उजाला में छपी खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री ने बैठक में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों से मुलाकात की और रात्रि भोजन का आयोजन किया था। बस इन खबरों से ऐसा नहीं लगता कि मुख्यमंत्री ने किसी कार्यक्रम को संबोधित किया हो। पर राष्ट्रीय सहारा के पहले पेज पर मुख्यमंत्री की फोटो लगी है और चित्र परिचय के अनुसार वह उस कार्यक्रम को संबोधित भी कर रहे हैं जिसमें 18 देशों के 51 प्रतिनिधि शामिल थे।
अमर उजाला में छपी खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री मात्र प्रतिनिधियों से मिले और स्वागत में रात्रि भोज का आयोजन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के शुभारंभ संबंधी फोटो में दीप प्रज्वलित करते समय वे शामिल हैं। जिस खबर के साथ राष्ट्रीय सहारा में मुख्यमंत्री की फोटो छपी है उस खबर में कहीं भी मुख्यमंत्री के होने का संकेत मात्र नहीं है। इस खबर का बाकी हिस्सा पेज 13 पर है और इस पेज पर भी कहीं भी मुख्यमंत्री शब्द तक नहीं आया है जिससे लगे कि वह इस समारोह जो कि मुख्य है, का हिस्सा थे।
ताज रिजार्ट में आयोजित G-20 समिट में स्वागत भाषण मुख्य सचिव एस.एस.संधू ने दिया और आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रमुख भूमिका भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक अजय कुमार सूद की रही। प्रदेश के राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया मगर मुख्य कार्यक्रम को नहीं रात्रि भोज को। रात्रि भोज को मुख्यमंत्री ने भी संबोधित किया था पर इसे अति उत्साह कहें या अज्ञानता राष्ट्रीय सहारा ने खबर को इस तरह से प्रस्तुत किया कि जैसे मुख्य भूमिका में वही थे। जबकि मुख्यमंत्री जी व्यक्तिगत रूप से इतने सज्जन आदमी हैं कि कहीं भी खुद को मुख्य भूमिका में प्रदर्शित नहीं करते।
रही खबरों के दोहराव की बात तो यह राष्ट्रीय सहारा के लिए कोई नई बात नहीं है। अखबार की फाइलें दोहराव वाली खबरों गवाह हैं। ताजा मामला 26 मार्च 2023 का है। एक खबर 2 अलग-अलग पृष्ठों पर प्रकाशित हुई है वह भी दोनों में 4 कॉलम में। एक खबर का शीर्षक है ‘एक दलीय तानाशाही थोपने की कोशिश : विपक्ष’ और दूसरे का शीर्षक है ‘लोकतंत्र और विपक्ष को कुचलने के विरुद्ध पर किया मंथन’। दोनों ही खबरों का आज का आयोजन स्थल राजपुर रोड स्थित एक होटल है। दोनों ही खबरों का विषय राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त करने से संबंधित है, और दोनों खबरों में शामिल लोग भी एक ही हैं, दोनों ही खबरों में समारोह का आयोजन भी कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार कर रहे हैं, दोनों ही खबरों की अध्यक्षता एस एस पांगती ने की और तो और दोनों ही खबरों में 14 अप्रैल को लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है।


ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दोनों का कांग्रेस ने किया था और दोनों में संयुक्त विपक्ष के नेता शामिल थे। मजे की बात यह थी कि विपक्षी दलों ने दोनों ही बैठकों में अपने एक ही नेता को भेजा। माकपा ने अपने नेता सुरेंद्र सजवान को भेजा तो भाकपा ने समर भंडारी को। दोनों ही आयोजन में समाजवादी पार्टी ने सत्य नारायण सचान को महिला मंच ने निर्मला बिष्ट को। लगता है कि सहारा में कर्मचारियों के अकाल की तरह राजनीतिक पार्टियों में भी नेताओं का अकाल पड़ गया है तभी तो वह दोनों कार्यक्रमों में एक ही व्यक्ति को भेज रहे हैं।
लगे हाथ खबरों के महिमामंडन की कर लें तो यह अखबार नाम से ही राष्ट्रीय है, लक्षण इसके जिले व मोहल्ले वाले अखबारों जैसे हैं। 20 फरवरी को पृष्ठ 4 पर इस अखबार ने आधे से ज्यादा पेज एक ही खबर को दे दिया। खबर यह है कि उत्तराखंड की रहने अमीषा का चयन फेमिना मिस इंडिया 2023 के लिए हुआ है। प्रतियोगिता होगी अप्रैल 2023 में। आधे पेज से ज्यादा की खबर छाप दी फरवरी में। वो भी आधे पेज से ज्यादा रंगीन। क्या सिर्फ और सिर्फ इसलिए की वो उत्तराखंड की बेटी हैं। आस्ट्रेलिया से वे इंजीनियरिंग कर रहीं हैं, क्या पता वो वहीं बस जाएं।

यहां यह बताना जरूरी भी है कि मैंने 24 साल राष्ट्रीय सहारा की नौकरी की है। 2016 में भड़ास में छपी खबर के कारण नौकरी से निकाल दिया गया। इस समय न नौकरी है और न पेंशन। सहारा का पाठक होने के कारण यह खबर लिखा। राष्ट्रीय सहारा का कर्मचारी था इसलिए जानता हूं कि तनाव कितना रहता है। जिस डेस्क पर कभी 10-12 लोग काम करते थे आज उस पर दो या तीन कर्मचारी काम कर रहे हैं। वो भी अनियमित और आधी-अधूरी तनख्वाह पर। आठ-नौ साल से कर्मचारियों को दो स्लैब (30 और 50 हजार) के आधार पर वेतन मिल रहा है। जिसका वेतन 49 हजार है उसे तीस हजार मिलेगा और जिसका 99 हजार है उसे 50 हजार। ऐसी हालत में वह खबर पढे या पेज लगाए।
संपादकीय विभाग के हर कर्मचारी को 4-4 पेज लगाने पड़ रहे हैं। यही कारण है कि न ख़बरें पढ़ीं जा रही हैं और न ही उसका स्तर देखा जा रहा है। पहले की तरह कर्मचारियों को न सैलरी एडवांस मिल रहा है और न फेस्टिवल एडवांस, न किसी तरह का लोन मिल रहा है और न ही एलटीसी। बोनस तक नहीं दिया जा रहा है। जो रिटायर हो रहे हैं उन्हें उनका बकाया नहीं मिल रहा है। उनकी जगह किसी की नियुक्ति नहीं हो रही है। कई यूनिटों में स्थानीय संपादक तक नहीं हैं, वो भी महीनों से। डीएनई और एनई अब सपने की बात हो गई है।