रानू मिश्रा-
शुक्रवार को ज़ी न्यूज़ के एडिटर इन चीफ़ औऱ सीईओ सुधीर चौधरी ने जी से इस्तीफ़ा दे दिया. ज़ाहिर है उनका प्रोग्राम DNA प्राइम टाइम का बेताज बादशाह रहा है. भले जी TRP के मामले में पांचवें-छठवें नंबर पर रहता हो, लेक़िन प्राइम टाइम में डीएनए प्रोग्राम के आसपास किसी भी चैनल का कोई भी प्रोग्राम आसपास भी नहीं भटक पाता था.
सुधीर चौधरी के इस्तीफ़े के बाद शुक्रवार का DNA एंकर रोहित रंजन लेकर आए और शुरुआत की एक बड़ी फ़ेक न्यूज़ से. शुक्रवार रात 9 बजे DNA कार्यक्रम में ज़ी न्यूज़ ने दावा किया कि राहुल गांधी ने उदयपुर हत्याकांड के आरोपियों को ‘बच्चा’ कहा.
इस दावे को BJP नेता और कन्नौज से सांसद सुब्रत पाठक, राजवर्धन राठौर, कमलेश सैनी सहित कई लोगों ने शेयर किया. जबकि राहुल गांधी ने दफ़्तर में उत्पात मचाने वालों को बच्चा कहा था. जिसके बाद सोशल मीडिया पर ज़ी न्यूज़ की आलोचना होने लगी.
रात बीती सुबह हुई औऱ ज़ी न्यूज़ ने माफ़ी मांग ली. ज़ी न्यूज़ का कहना है कि ‘शुक्रवार को DNA प्रोग्राम में ग़लत संदर्भ में ख़बर प्रसारित हो गई थी, जिसका हमें खेद है’.
सवाल ये है कि नंबर ‘ग़लत संदर्भ’ क्या है?, इतनी बड़ी टीम, प्राइम टाइम का बेताज़ बादशाह, फ़िर ऐसी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी वाली फ़ारवर्डेड ख़बर कोई चैनल कैसे प्रसारित कर सकता है? क्या ख़बर चलाने से पहले तथ्यों की जांच नहीं होती? या ज़ी न्यूज़ का इनपुट डिपार्टमेंट ‘व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ के सहारे चल रहा है?
इसे बेशर्मी की मिसाल कहना चाहिए! जानबूझकर ग़लत तरीक़े से बाइट चलाना और फ़िर लोग़ो से मिली बधाई को रीट्वीट करना, किसी दंगे को भड़का सकता है. सवाल फ़िर यही है कि ऐसे चैनलों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? इस देश में NBA नाम की भी कोई संस्था है. वह कहाँ सो जाती है?