प्रकाश के रे-
दुनिया एक अभूतपूर्व भू-राजनीतिक जटिलता की ओर बढ़ रही है. रूसी मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले पाँच साल में सबसे बेहतर स्थिति में है. चीन के पदचिह्न वैश्विक स्तर पर बढ़ते जा रहे हैं. अमेरिका यूरोप के बाहर अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगियों- सऊदी अरब और पाकिस्तान- के साथ नए तेवर के साथ तुष्टिकरण की नीति पर आमादा है.

यूरोप और लैटिन अमेरिका में उदारवादी राजनीति हिचकोले खा रही है. अफ़्रीका के देश अपने हितों को आगे करने में जुट गए हैं. भारत समेत दक्षिण एशिया पुराने सूत्रों से समाधान की तलाश में लगा है. मुद्रास्फीति से समूची मानवता परेशान है. आमदनी अठन्नी, ख़र्चा रुपैया के हाल हैं. ब्याज़ दरें बढ़ने लगी हैं.
सामरिक मुठभेड़ अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहे हैं. जन असंतोष चरम पर है. ये सब बड़े संकट- युद्ध, गृहयुद्ध, अपराध में वृद्धि, लूट, धोखाधड़ी आदि- के स्पष्ट संकेत हैं. जब हम और आप न्यूज़ और न्यूड देखने में व्यस्त होते हैं, चतुर ब्याज़ दरों और मुनाफ़े की जुगत में मशगूल होते हैं. हर तबाही उनके लिए मौक़ा लेकर आती है. बहरहाल, हम जैसे सूफ़ी और स्टोइक नदी का बहना देखकर समय गुज़ारते हैं.