आलोक तिवारी-
रूस ने यूक्रेन पर हमला कर ही दिया, जंग शुरू हो गई है, इस युद्ध का असर सिर्फ एक क्षेत्र ही नहीं बल्कि दुनिया भर में पड़ेगा, अगर पुतिन को रोका नहीं गया तो जिनपिंग भी ताइवान पर चढ़ाई को तैयार बैठा है, भारत के कई हिस्सो पर उसकी नजर पहले से है, नए तानाशाह फिर से दुनिया पर युद्ध थोप रहे है…

अमेरिका सिर्फ दुसरो के कंधे ढूढ़ रहा है, जो कि इस युद्ध की शुरुआत में उसका भी हिस्सा है…
बाकी विश्व मे अब ऑयल के दाम बढेगे, जिससे सीधे तौर पर सभी देश प्रभावित होंगे, इसलिए जितना जल्दी मामला सुलझ जाए वही अच्छा होगा।
इसके लिए मेरे हिसाब से एक ही जरिया है यूक्रेन नाटो में शामिल होने की जिद को छोड़े और रूस से सीधे बात करें, और रूस को बेलारूस संधि को याद कराए।
नहीं तो अफगानिस्तान की तरह वह भी युद्ध का मैदान बन कर रह जायेगा, और वैश्विक शक्तियों की नई प्रयोगशाला बन जायेगा। इसमें भारत को शांति से माहौल देखना चाहिए, अभी कुछ भी करना जल्दबाजी होगा…
वैभव अग्रवाल-
कल रात्रि तक ऐसा नही लग रहा था, रूस और यूक्रेन युद्ध वास्तव में होगा। .. मेरा अनुमान था, रूस ने, यूक्रेन से प्रथक हुए जिन राज्यो को मान्यता दी है, केवल उनमें ही रूसी सेना जाएगी और कुछ आर्थिक प्रतिबंधों के साथ , मामला खत्म हो जाएगा।
पर पुतिन के आदेश के साथ ही, आज सुबह पूर्ण युद्ध शुरू हो गया, जिसके यूक्रेन भी दावा कर रहा है कि उसने रूस के कुछ प्लेन्स और एक हेलीकाप्टर गिराए है।
देखा जाए तो, आर्थिक, सामरिक, और सैनिक शक्ति में यूक्रेन, रूस के सामने कही नही ठहरता।.. इसलिये यह युद्ध एकतरफा है, जब तक कि नाटो, या यूरोप और अमेरिका की सेनाएं इसमे शामिल नही होती। … अगर नाटो की सेनाएं इस युद्ध मे शामिल होती है तो यह तीसरे विश्व युद्ध मे बदल जायेगा। .. इसके लिये नाटो की विस्तारवादी नीतियां और पुतिन का एग्रेशन दोनो ही जिम्मेदार है।
स्थिति बहुत गंभीर है, पूरे विश्व मे उथल पुथल होगी। .. मेंहगाई बढ़ेगी। .. भारत के लिये विशेष समस्या है, क्योंकि उसके रूस और पश्चिमी देश दोनो से अच्छे संबंध है। .. प्रभु से यही प्रार्थना है कि सब पक्षो को सन्मति दे, और शांति पुनः स्थापित हो।
अमीश राय-
यूक्रेन के राजदूत ने कहा है कि पीएम मोदी को पुतिन से बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि भारत कई सालों से गुट निरपेक्ष आंदोलन का लीडर रहा है. यह शांति का आंदोलन था. भारत वैश्विक ताक़त है. मोदी जी दुनिया के ताकतवर और सम्मानित नेताओं में से एक हैं. रूस के साथ उनके ख़ास सम्बंध हैं.
यूक्रेन भारत से मदद माँग रहा है.
21वीं सदी में भारत की पहचान को गुट निरपेक्ष से जोड़ा जा रहा है. आप इस दर्शन का महत्व समझते हैं?
आप इस पहचान का महत्व समझते हैं? आप अपने पूर्वजों का प्रताप समझते हैं? क्योंकि इसे समझे बिना आप भारत को समझते ही नहीं हैं.