अमरेन्द्र किशोर-
संदीप पांडेय ने दुनिया के सबसे विवादास्पद सम्मान मैगसायसाय पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। पांडेजी मेरे गहरे मित्र हैं। उनकी सादगी प्रेरक है। विद्वता बेजोड़ है। उनकी ज़मीनी सक्रियता लोकतंत्र की ताकत है।
लेकिन सवाल है कि पुरस्कार की जब घोषणा हुई तब क्या पांडेजी को अमेरिका के साम्राज्यवादी चरित्र के बारे में पता नहीं था? पाकिस्तान के प्रति अमेरिका का प्रेम, वियतनाम युद्ध जैसे तमाम प्रसंग क्या उनकी जानकारी से दूर थे? क्या उन्हें रॉकफेलर फाउंडेशन और फोर्ड फाउंडेशन की गतिविधियों की जानकारी नहीं थी? रेमन ने सीआईए के साथ जितने बड़े कांड को अंजाम दिया, क्या इसकी भी जानकारी आदरणीय को नहीं थी? क्या पांडेजी नहीं जानते थे कि रेमन मैग्सेसे को सीआईए द्वारा “अमेरिका का लड़का” के रूप में वर्णित किया गया था , एक ऐसा व्यक्ति जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए सीआईए द्वारा तैयार किया गया था।
गौरतलब है कि इस पुरस्कार का गठन न्यूयॉर्क स्थित रॉकफेलर ब्रदर्स फंड द्वारा किया गया था।सांल 2000 में, एक अन्य अमेरिकी संगठन फोर्ड फाउंडेशन द्वारा रेमन मैग्सेसे इमर्जेंट लीडरशिप अवार्ड की स्थापना की गई थी। ये दोनों संगठन विदेशों में अमेरिकी हितों के लिए काम करने के लिए जाने जाते हैं और इनका सीआईए के साथ मिलकर काम करने का इतिहास रहा है। वास्तव में, फोर्ड फाउंडेशन पर केंद्रीय खुफिया एजेंसी का परोपकारी मुखौटा होने का आरोप लगाया जाता है।
रॉकफेलर ब्रदर्स फंड ने सीआईए के सांस्कृतिक शीत युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , आधुनिक कला को बढ़ावा देने पर काम किया , दुनिया भर में आधुनिक अमूर्त कला को लोकप्रिय बनाने के सीआईए के प्रयासों में मदद की। यह अब एक ज्ञात तथ्य है कि सीआईए ने साम्यवाद के खिलाफ अपने ‘सांस्कृतिक युद्ध’ में आधुनिक कला को एक ‘हथियार’ के रूप में इस्तेमाल किया था, और अमेरिकी गैर-सरकारी संगठन इस युद्ध में महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे। रॉकफेलर ब्रदर्स फंड के ट्रस्टी नेल्सन रॉकफेलर न्यूयॉर्क में आधुनिक कला संग्रहालय के अध्यक्ष थे, जिसने अमूर्त कला को घूमने और प्रदर्शित करने में मदद की थी। संग्रहालय की स्थापना रॉकफेलर की माँ ने की थी। कई शीर्ष रैंक वाले सीआईए अधिकारी संग्रहालय के बोर्ड में थे, जो एजेंसी और संगठन के बीच घनिष्ठ संबंध की पुष्टि करते थे।
यह पता होना चाहिए कि मैग्सेसे पुरस्कार, जो वाम-उदारवादियों द्वारा मनाया जाता है, इसका सीआईए और संयुक्त राज्य अमेरिका से सीधा संबंध है, ये दो संस्थाएं हैं जिनसे वामपंथी-उदारवादी सबसे अधिक नफरत करते हैं।
एक कलंकित पृष्ठभूमि का पुरस्कार हासिल करना अवार्डी के ऊपर सवाल पैदा करता है। हम ऐसा नहीं मानते कि पांडेजी पारदर्शी हैं लेकिन इतना जरूर कहना होगा कि एक जूझारू और ईमानदार तबियत के इंसान संदीप पांडेय इतने सालों बाद इस निर्णय पर क्यों पहुंचे? क्या यह द्वंद है? या देर से हासिल कैवल्य/आत्मज्ञान?