‘आज तक’ से निकाले गए वीडियो एडिटर संजय विद्यार्थी की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी है। वे अपनी बाइक द्वारा पटेल नगर से इंदिरापुरम अपने घर जा रहे थे। ‘आज तक’ ने कल ही उनसे से जबरन इस्तीफा ले लिया था। वे पिछले सात-आठ सालों से ‘आज तक’ में काम कर रहे थे।
संजय बरागटा ने दिल्ली आज तक में आने के बाद बहुत पैकेजेज़ बनवाने शुरू कर दिए हैं। ये अलग बात है कि चैनल की टीआरपी वहीं की वहीं है, उसमें कोई अंतर नहीं आया है। विद्यार्थी जी थोड़ा इतमीनान से बढ़िया विज़ुअल्स लगाने वाले वीडियो एडिटर थे। उनकी काम करने की स्पीड कम थी इस कारण उनसे इस्तीफा ले लिया गया था।
Comments on “‘आज तक’ में वीडियो एडिटर रहे संजय विद्यार्थी की सड़क दुर्घटना में मौत”
दिल व्यथित और मन दुखित है…आज का दिन हमारे लिए एक दुखद खबर लेकर आया..हमारे अभिन्न मित्र और आजतक में सहयोगी रहे वीडियो एडीटर संजय विद्यार्थी जी हमारे बीच नहीं रहे…आज दिल्ली में एक सड़क हादसे में उनकी जान चली गयी..कहने को उनका निधन सड़क हादसे में हुआ पर वे पिछले कई सालों से देश के नंबर एक चैनल में जी-जी कर मरते थे …पिछले कई वर्षों से अपने सीधे और साफ तर्कगोई के कारण उनकी सैलरी भी नहीं बढ़ाई गयी थी…अभी पिछले संडे( 22 तारीख ) को हमारे घर पर आए थे..लगभग डेढ़ घंटे तक हमारी और उनकी बीच बातचीत हई…हमारे तरह वे भी मेरे कहने पर मेवाड़ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पीएचडी के लिए एनरॉल हुए थे…पीएचडी पर चर्चा करते करते कह रहे थे…कि मैं मीडिया में काम करते करते ऊब गया हूं…बॉस भी मेरी लेने में लगा रहता है…सोच रहा हूं झा जी , नौकरी छोड़ दूं…मैनें भी कहा कि आप को जो उचित लगे …वो करिए…मैने उन्हें सलाह भी दी थी कि वे किसी शिक्षण संस्थान में वीडियो संपादन की शिक्षा के लिए बात करें…फिर उन्होंने कहा कि अब पीएचडी करने दीजिए फिर एकेडमिक लाइन में जाऊंगा…..उसी दिन जाते जाते मुझसे कहा कि आप मेरा एक सीवी बना दीजिएगा..मैं जॉब छोड़ दूंगा..यहां मैं परेशान हो चुका हूं….
संजय विद्यार्थी के बारे् में ये लिखना पड़ेगा …अभी भी मन नहीं मान रहा है…इसी शनिवार को सुबह-सुबह उनका फोन आया था..कह रहे थे झा जी ..आप अपने यहां देखिए ना…मेरा इस चैनल में मन नहीं लग रहा है…वीडियो एडिटरों के हेड और टेक्निकल हेड मुझे लगातार परेशान कर रहे हैं…हो सकता है मुझसे इस्तीफा भी ले लिया जाए…विद्यार्थी जी से मेरी पहचान यही कोई पांच-छह साल पुरानी थी…लेकिन एक आत्मीय रिश्ता उनसे बना था…मैने देश के नंबर वन चैनल के पैकेजिंग में ज्वाइन किया था तो वे अक्सर कहा करते थे कि झा जी कहां फंस गए है…आप एकडेमिक में क्यों नहीं जाते…फिर जब मैंने मेवाड़ विवि के पीएचडी पाठ्यक्रम में एडमिशन लिया तो वे खुश हुए और बोले आप करिए ..पीछे-पीछे मैं भी पीएचडी करूंगा…पर शायद….खुदा को ये मंजूर नहीं था…और हम सब को छोड़कर…..मीडिया की घिनौनी राजनीति से बहूत दूर चले गए..जहां अब उन्हें कोई वीडियों एडीटरों का हेड और टोक्निकल हेड परेशान नहीं करेगा….
आखिर में भगवान भाभी, और मासूम बच्चे को इस मुश्किल घड़ी में हिम्मत दे..ताकि पहाड़ सी विपदा को ये परिवार झेल पाए….
विद्यार्थी जी आप हमारे यादों में हमेशा जीवित रहेंगे
आपका
रजनीश झा
Bahut hi dhukhad ghatna hai.
rip