-Soumitra Roy-
कोई अपने घर में 67 करोड़ कैश रखेगा क्या?
यकीनन आप कहेंगे कि बिल्कुल नहीं।
फिर आज एंट्री ऑपरेटर संजय जैन के पास से 67 करोड़ कैश कैसे मिला? क्यों प्रत्यक्ष कर बोर्ड और आयकर विभाग इस हवाला जैसे रैकेट के 500 करोड़ का होने का दावा कर रहा है?
क्या बिना राजनीतिक संपर्क या फिर राजनीति में कुछ दिए बगैर कुछ भी लिया जा सकता है?
इसे समझें:
मान लीजिए कि A, B, C और X के पास कहीं से 10 करोड़ का काला धन आ गया।
इतना कैश कहां रखें, ताकि रात को नींद आए?
संजय जैन जैसे एंट्री ऑपरेटर सबसे उपयुक्त आदमी हैं।
एंट्री ऑपरेटर 10 करोड़ को 50-50 हज़ार के बंडल में तोड़ता है।
फिर यही पैसा फ़र्ज़ी या कागजों में बनीं बिना पैन नंबर (एक फ़र्ज़ी पोस्टल एड्रेस) की कई कंपनियों को लोन के रूप में दिया जाता जाता है। बाकायदा कागजों के साथ।
ये फ़र्ज़ी कंपनियां अपने खाते में रकम को लोन बताकर व्हाइट कर देती हैं।
लेकिन वही सफेद हुआ पैसा वापस एंट्री ऑपरेटर के पास लौटता है। फ़र्क़ यह है कि काले धन को सफेद बनाने वाली फ़र्ज़ी कंपनियां भी एंट्री ऑपरेटर की ही होती हैं।
ये फ़र्ज़ी कंपनियां अनपढ़, ग़रीब, 10-12 हज़ार वेतन पर काल करने वाले लोगों की होती हैं।
फ़र्ज़ी कंपनियां तो भारत में लाखों होंगी। एक अनुमान के मुताबिक 45-47 लाख फ़र्ज़ी कंपनियां सिर्फ कागजों पर हैं।
यह तो बात हुई फ़र्ज़ी कंपनियों को फ़र्ज़ी लोन देकर काले को सफेद करने की। अब बताएं कि अगर काले धन को 50 के बजाय 20-20 हजार में तोड़कर राजनीतिक चंदा दिखाया जाए तो?
या फिर विधायक खरीदने में लगा दिया जाए तो?
फिर आपको मानना ही पड़ेगा कि राजनीतिक दलों के पास हवाला से भी पैसा आ रहा है। ज़रिया एंट्री ऑपरेटर बन रहा है।
यह भी सोचिए कि यही पैसा अगर आतंकी, देशद्रोही संगठनों या फिर देश के बाहर से होते हुए आतंकी फंडिंग में काम आए तो?
राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या होगा?
नोटबंदी का ऐलान करते मोदी ने दावा किया था और कल ही राष्ट्रीय सतर्कता सप्ताह को संबोधित करते हुए कहा था कि देश भ्रष्टाचार के अंधेरे युग से निकल चुका है।
या मोदी यह बताएंगे कि संजय जैन से मिली 67 करोड़ की नकदी किस तरह के उजाले युग की मिसाल है?
क्या भांड़, बिकी हुए मीडिया यह बताएगी कि संजय जैन के ज़रिए सफेद हुआ काला धन कहां और किसके लिए निवेश किया गया?
असल में मीडिया की भूमिका यही है। आपको बता दूं कि इस तरह का काला धन रियल एस्टेट और शेयर पूंजी में निवेश किया जाता है।
अब कुछ समझ आया?
पहली बार कोई बड़ा एंट्री ऑपरेटर कब्जे में आया है।
भांड़ मीडिया को मालूम है कि इसमें घुसने पर ढेर सारे राजनेताओं के स्याह चेहरे नज़र आएंगे।
इसलिए, मामले को यहीं दफ़ना दिया जाएगा।