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पत्नी को कैंसर, यूट्यूब चैनल चला नहीं, दुखी होकर इस पत्रकार ने जान दे दी!

अनुरंजन झा-

दिन रात हम सब सोशल मीडिया पर “बड़ी बड़ी समस्याओँ” पर जूतम पैजार में लगे रहते हैं लेकिन आसपास क्या घट रहा है किसी को खबर नहीं लगती। ये संजीव हैं, इंडिया टीवी के पूर्व सहयोगी। जब मैं वहां था तब भी हम लोगों का ज्यादा राब्ता नहीं था इसलिए हम संपर्क में नहीं थे।

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आज दुखद सूचना मिली कि इन्होंने आत्महत्या कर ली। संजीव के प्रिय मित्र मनीष झा ने बताया कि संजीव की पत्नी को कैंसर है। कुछ समय पहले एक YouTube चैनल शुरू किया था एक दो लोगों की वित्तीय मदद से। दस पंद्रह स्टाफ़ रखे थे मगर दो महीने पहले इंवेस्टर ने हाथ खींच लिया।

संजीव इससे टूट गये। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि “यह मेरा ड्रीम था जिसे मैंने चलाने की भरसक कोशिश की मगर अब हिम्मत नहीं बची है”। आज सुबह में उसने अपने ऑफिस के केबिन में पंखे से लटककर जान दे दी।

अपने आसपास नजर रखिए, थोड़ी सी बातचीत, थोड़ा सा प्रयास, थोड़ी सी मदद किसी का जीवन बचा सकती है और उसके साथ वालों का भविष्य भी।

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आज संजीव के लिए इंडियाटीवी के सहयोगियों ने एक एक कदम आगे बढ़ाया है। ऐसे ही कदम तब भी बढ़ाने की जरूरत है जब वो व्यक्ति संकट से जूझ रहा हो। संजीव को विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनको अपने चरणों में जगह दें और उनके परिवार को हौसला।


Manoj Bhawuk- मरने के बाद RIP .. RIP लिखने से ज्यादा जरूरी है कि जिंदा रहते यथासंभव मदद की जाय, आत्मबल बढ़ाया जाय। दुख साझा की जाय और मदद दी-ली जाय। अपने आस-पास देखिये। कोई और संजीव भी इसी मनोदशा में न हो। ओह। दुखद। पीड़ादायक।

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Sarvesh kumar Singh- पत्रकारिता क्षेत्र से अत्यंत दुखद घटना सामने आई है। दिल्ली में यूट्यूब चैनल के पत्रकार संजीव ने आत्महत्या कर ली। मीडिया वेंचर विफल होने या अर्थ के अभाव में चलाने में अक्षम होने पर आत्मघाती कदम उठाने की यह घटना अत्यंत चिंतनीय है। अभी तक सुनते थे किसान आत्महत्या। अब वही हाल मीडिया क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। परिस्थितियों से पत्रकार और उनके परिवार जूझ रहे हैं। कुछ लड़ रहे हैं कुछ हार मान रहे हैं। संस्थान बढ़ रहे हैं लेकिन हालात नहीं सुधर रहे। न्यू मीडिया ने एक संभावना दिखाई थी, इसकी और नए पुराने बहुत से पत्रकार आकर्षित हुए। लेकिन इसका अर्थ तंत्र बेहद कमजोर है जो संजीव जैसी मनस्थिति को जन्म दे रहा है। प्रभावी होने के बावजूद सरकारें इसको संबल देने का कोई प्रयास नहीं कर रही हैं। जबकि सभी दल और शासन प्रशासन इसकी ताकत के आगे नतमस्तक हैं। हमें अपने नए पुराने साथियों से संवाद कायम रखना होगा। कोई साथी यदि अवसाद में जाता दिखे तो उसे सामयिक संबल दें। संजीव को विनम्र श्रद्धांजलि।

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3 Comments

3 Comments

  1. Azhan Ansari

    June 11, 2023 at 2:21 pm

    बेशक हमे आसपास ऐसे लोगों का बेहद ख्याल रखना होगा, किन परिस्थितियों से संजीव जी जूझ रहे होंगे उसका हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। हमें ढूंढना होगा कोई और संजीव तो हमारे आसपास नहीं है, बेहतर है वक्त से पहले ऐसे लोगों से संवाद और राब्ता रखा जाए।
    संजीव झा जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

  2. शैलेश श्रीवास्तव

    June 11, 2023 at 7:22 pm

    मीडिया से ऐसे तमाम लोग हैं , जिनको इस तरह की परिस्थिति से गुजरना पड़ता है ,जो मजबूती से सामना करते है और करना भी चाहिए ,वह वापस से कम बैक कर लेते हैं ,और कुछ स्वम को ही समाप्त कर लेते हैं। यह निर्णय गलत है , और अपनी बात दूसयों के सामने रखने से परहेज भी नही करना चाहिए।
    ईश्वर ऐसे दिन किसी को न दिखाए
    ॐ शांति

  3. प्रकाश

    June 12, 2023 at 10:40 am

    संजीव एक बहुत उम्दा इंसान थे इन्होंने कफी लोगों की मदद की मगर इनको लोगों ने बहुत युज भी किया इनके साथ रहने वाले कुछ लोगों ने इनकी मजबूरी का भी बहुत फायदा भी उठाया |जो इनके साथ हुआ ईश्वर किसी के साथ ना करे | इनकी पत्नी कैंसर से लड रहीं हैं इनके एक बेटा है अब इनके लिए संघर्ष जादा बढ गया है इनके लिए ये एक बहुत बड़ी छती है इस छती की पूर्ति नहीं की जा सकती है | ईश्वर से यही प्रार्थना है ईश्वर इनको छती से बाहर निकले और सहायता दे शान्ति |

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