संत प्रसाद राय नाम के एक संपादक अपनी टीम के साथ ABP न्यूज़ को जुलाई 2022 में जॉइन करते हैं… संत प्रसाद राय एक सफल मैनेजमेंट के साथ TV9 चला रहे थे और टीआरपी भी टीवी9भारतवर्ष की अच्छी आ रही थी तो उनकी डिमांड भी अच्छी थी… यही कारण है कि उन्हें 2.5 करोड़ के बड़े पैकेज के साथ बुलाया गया…
पर जिस कारण से बुलाया गया वो संत प्रसाद राय कर ही नहीं पा रहे… इसी बीच सबसे पहले उन पत्रकारों का बाहर होना शुरू हुआ या करना शुरू हुआ जो सत्ता के पूर्ण समर्थक नहीं थे… संगीता तिवारी, ममता त्रिपाठी, प्रकाश सिंह, बहुत से नाम हैं। इनके ट्वीटर एकाउंट पर आपको उनकी TV के बाहर की पत्रकारिता दिख जाएगी… और आपको पता लग जाएगा कि यह लोग पूर्णरूप से सत्ता का समर्थन नहीं कर रहे थे…
अब आते हैं हालात पर…इस बीच BARC द्वारा TRP पर लगाई गई रोक हटा ली गई और TRP आने लगी… पर कभी टॉप 3 से लेकर 5 तक पर रहने वाला ABP न्यूज़ इस मुकाम पर आज भी नहीं पहुँच पाया और 7-10 के बीच लुढ़कता रहा…
संत प्रसाद ने कुछ नया करने का सोचा और रिपोर्टर की फौज जमीन पर उतारी… याद है दिल्ली में श्रद्धा मर्डर केस… कैसे प्रोग्राम बनाए थे… पर कोई फायदा नहीं हुआ… फिर बागेश्वर वाले शास्त्री के प्रोग्राम से TRP खोजने की कोशिश हुई पर उसका भी फायदा 1 दिन से अधिक नहीं मिला, लेकिन आज भी वो काम जारी है..
कुछ रिपोर्टर को यूपी के विपक्ष के नेताओं के खिलाफ काम करने के लिए बोला गया और स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर कइयों के लिए बहुत कुछ चलाया गया… पर कोई फायदा नहीं हुआ… और सब इसलिए किया जा रहा था क्योंकि मैनेजमेंट को लगा कि मोदी से ज्यादा चैनल को योगी TRP देंगे पर ऐसा भी नहीं हो पाया.
ABP का डिजिटल में कुछ अच्छा चल रहा था, तो अपनी नौकरी बचाने और फालतू के काम से बचने के लिए बहुत से लोग डिजिटल में शिफ्ट होने लगे… इस तरह खराब न्यूज़ रूम की हालत और खराब हो गई… आज ABP न्यूज़ का डिजिटल…न्यूज़ 24… के डिजिटल से पीछे हो गया…
अब सारी ओर से हो रही हार को सबसे कमजोर मैनेजमेंट पर डाल दिया… किसी भी चैनल का सबसे कमजोर मैनेजमेंट होता है, रीजनल चैनल मैनेजमेंट…. संत प्रसाद और उनकी टीम ने बचने के लिए यही किया जिसका परिणाम हुआ कि ABP न्यूज़ के 2 रीजनल चैनल बंद हो गए और सबसे कम सैलरी पर काम करने वाले… कमजोर लोगों पर बेरोजगारी का हथौड़ा चला… जैसा हमेशा से होता आया है… लोग अपनी नाकामी का दोष अपने से नीचे वाले पर डाल देते हैं और बलि का बकरा भी नीचे वाले बनते हैं… सो आज वो कमजोर लोग बेरोजगार हैं और बड़े पैकेज वाले लोग अपने दल के साथ मौज में हैं…
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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