रांची. महान स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व सांसद सरजू पाण्डेय पूर्वांचल के बड़े नेता थे. उनकी देशसेवा, संघर्ष और त्याग आज भी प्रेरणा देती है. आज दुनिया टेक्नोलॉजी से बदल रही है पाण्डेय जी ने विचारों से बदलाव लाया था. आज जो हम आजादी के साथ सांस ले पा रहे हैं उनमें उन स्वतंत्रता सेनानियों का बड़ा योगदान है. इसलिए भी हमें आजादी के 75वें वर्ष गांठ पर उन्हें याद करना जरूरी है.
यह कहना है राज्यसभा के उपसभापत हरिवंश का. वह रांची प्रेस क्लब में जननेता की जन्मशताब्दी वर्ष पर आयोजित स्मृति सभा को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि सरजू पाण्डेय के बारे में हम लोग बचपन में सुनते आ रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी उनका जिक्र किया करते थे. कांग्रेस के दौर में भी वह अपने दम पर चार बार लोकसभा का चुनाव जीते. अंतरिम सरकार और बाद में उन्हें कई बार कैबिनेट में आने का निमंत्रण दिया गया. इसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. अपने विचारों पर आजीवन अडिग रहे. देश के राष्ट्रीय नेताओं पांच पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ उनके अच्छे और व्यक्तिगत रिश्ते थे. पूर्वांचल में गोबर से अनाज निकाल कर खाने को अभिशप्त जनता की वेदना को उन्होंने संसद में मुखरता से उठाया. विश्वनाथ सिंह गहमरी और सरजू पाण्डेय के आवाज उठाने पर सरकार ने पटेल आयोग का गठन किया. देश के एकीकरण में उनका योगदान अतुलनीय है. 1962 में संसद में धारा 370 के खिलाफ लाये गये बिल पर उन्होंने दलीय प्रतिबद्धता से हट कर धारा 370 का विरोध किया. सरजू पाण्डेय, झारखंडे राय और जयबहादुर सिंह ने किसानों, मजदूरों की आवाज को बुलंद किया. उन्हें विमर्श में लाये.
त्याग की ज्योति जलाये सरजू पाण्डेय : पद्मश्री अशोक भगत
स्मृति सभा में विशिष्ट अतिथि पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि सरजू पाण्डेय जी त्याग की मूर्ति थे. हम लोग देखा करते थे कि सांसद विधायक होने के बाद भी वह साधारण बसों में चला करते थे. अलग विचार होने के बाद भी उनकी त्याग और देशसेवा के लिए अगाध श्रद्धा है. महापुरुष पार्टियों और दलों से ऊपर होते हैं. उनका काम और योगदान अविस्मरणीय है. अध्यक्षता करते हुए झारखंड के पूर्व सूचना आयुक्त वैद्यनाथ मिश्र ने कहा कि सरजू पाण्डेय जी ने गरीबों के सशक्त आवाज बने. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ संतोष कुमार मिश्र ने की. अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए समापन स्मृति न्यास के अध्यक्ष ऋषि ने किया.