अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
शनिवार-रविवार की रात करीब एक बजे हम सबके प्रिय एवं वरिष्ठ पत्रकार Satyendra PS जी गोरखपुर के बरहुआ पावर हाउस के पास परिवार सहित एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए. सत्येंद्र जी की किशोर उम्र की बेटी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई और उसकी स्थिति अत्यंत नाज़ुक है.
बेटी की स्पाइन की T14 और L1 हड्डी डिस्कलेक्ट होने की वजह से कमर के नीचे से लेकर दोनों पैर काम नहीं कर रहे हैं. बेटी का न्यूरो सर्जन से ऑपरेशन होना है. उसकी सर्जरी गोरखपुर के छात्र संघ चौराहे के पास एक हॉस्पिटल में न्यूरो सर्जन के यहां हो रही है.
जिन मानवता पसंद साथियों को लगता है कि हमें उनकी मदद करनी चाहिए वह गूगल पे के माध्यम से सत्येंद्र पीएस जी के मोबाइल नंबर +919868387798 पर आर्थिक मदद कर सकते हैं.
जो लोग सीधे एकाउंट में पैसे भेजना चाहें वह सत्येंद्र जी की पत्नी प्रीति जी के एकाउंट में धनराशि भेज सकते हैं. एकाउंट विवरण निम्नवत है:
Account Number : 910010006165063
Account Holder Name : Preeti Singh
IFSC Code : UTIB0000715
Bank : Axis Bank, Vaishali, Ghaziabad
बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है. संकट की इस घड़ी में छोटा सा आपका एक योगदान भी मानवता की दृष्टि से बेहद अनमोल है।
सादर!
सत्येंद्र पीएस-
आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िंदगी
हम ग़रीबों की नज़र में इक क़हर है ज़िंदगी
जिंदगी में सालों साल कुछ अच्छा न हो रहा हो तो मेरे जैसे लोग यह मानकर खुश हो लेते हैं कि कम से कम कुछ बुरा नहीं चल रहा है। दोस्तों के साथ घूम लिया, बैठ लिया, बतिया लिया, हंस लिया, वही अच्छा है।
शायद प्रकृति को यह भी मंजूर नहीं था। पत्नी का सर फट गया। बेटी का क्या होगा कुछ पता नहीं।गोरखपुर के बरहुआ पावर हाउस के पास शनिवार-रविवार रात के करीब एक बजे एक्सीडेंट हुआ। कार की जो हालत है, कोई उसे देखने वाला व्यक्ति यही कहेगा कि इसमें बैठा कोई व्यक्ति जिंदा नहीं बचा होगा।
वहां से हम लोग गोरखपुर जिला अस्पताल लाए गए। डॉक्टरों से आधे घण्टे में सभी को एम्बुलेंस से गोरखपुर मेडिकल कॉलेज भेज दिया। वहां करीब 10 घण्टे रहे।
ढेर सारी जांच, एक्सरे, एमआरआई हुई। भाई DV Singh को रात 2 बजे फोन किया और उन्होंने मदद की। डॉ अनिल गंगवार की मदद से बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉ नवनीत काला ने रविवार को भी आकर बिटिया को देखा। कमर के नीचे से लेकर पूरा दोनों पैर नहीं काम रहा है। सर फटा है, स्पाइन फ्रैक्चर है, यह पता चला।
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी की सुविधा नहीं है। प्राइवेट इलाज एकमात्र चारा है। लखनऊ के सहारा हॉस्पिटल के न्यूरो के डॉक्टर देवेंद्र सिंह से बात हुई, डॉ नवनीत काला से बात हुई। डॉ अनिल गंगवार पूरा कोआर्डिनेट ही कर रहे थे। न्यूरो सर्जन डॉ अजय कुमार सिंह से बात हुई। न्यूरो के 2 फिजिशियन से बात हुई।
सबने एमआरआई देखने के बाद यही कहा कि इसमें तत्काल ऑपरेशन की जरूरत है। लखनऊ पीजीआई/केजीएमसी का विकल्प था, लेकिन गोरखपुर से वहां तक ले जाना और तत्काल ऑपरेशन ही मुश्किल था।
डॉ देवेंद्र ने कहा कि डॉ अजय सिंह से ऑपरेशन करा लेना ही बेस्ट ऑप्शन है और मुझे भी यही समझ मे आया। मेडिकल कॉलेज से निकालकर गोरखपुर छात्रसंघ चौराहे के पास राजबंशी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया है। अभी सुबह 8 बजे डॉक्टर अजय ऑपरेशन करेंगे।
सब कुछ प्राइवेटाइज में यह समझ में आता है कि अगर सरकारी न हो हम जैसे लोग जिंदा रहने के काबिल नहीं हैं। इलाज के पहले की जांच कराने भर की क्षमता नहीं है, इलाज तो दूर की कौड़ी है। वो किसान ही है जो गेहूं चावल दे देता है और हम उसका तरह तरह का रोटी परेठा बनाकर पेट भर लेते हैं, खुश हो लेते हैं! बस इतनी सी क्षमता है। कभी कभी लगता है कि जो प्रकृति को चला रहा है, वह हमको जिंदा क्यों रखे है, वह इतना क्रूर है क्या?
बेटी का न्यूरो सर्जन से ऑपरेशन होना है। डॉक्टर का कहना है कि स्पाइन में रॉड और प्लेट डालकर उसकी मरम्मत कर देंगे। टूटी स्पाइन से जो नस दबी है, वह फ्री हो जाएगी। यही इस मामले में स्टैंडर्ड प्रोसीजर है। नस कितनी डैमेज हुई है, ऑपरेशन के बाद कितनी ठीक हो पाएगी, कमर के नीचे का हिस्सा कितना नॉर्मल हो पाएगा, इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। जो भी है, सब निराशाजनक है लेकिन इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। हम लोग केवल कोशिश कर सकते हैं।
इससे ज्यादा कहने को कुछ नहीं है। तमाम मित्र फोन या विभिन्न माध्यमों से सम्पर्क कर रहे हैं। बात करना मुश्किल है। कहें तो क्या कहें। करें तो क्या करें। बताएं तो क्या बताएं कि क्या मुसीबत है और आप क्या मदद कर सकते हैं! सब कुछ गुड गुड चल रहा हो तो मित्रों से बात करना भी अच्छा लगता है, अभी किसी को क्या बताएं कि किस मुसीबत में फंसे हैं और आप क्या मदद कर सकते हैं?