सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इंटरनेट पर पोर्नोग्राफिक सामग्री तक अप्रतिबंधित पहुंच को नियंत्रित करने के लिए तकनीक एवं कानून और शासन के मध्य समन्वय की अपील की।
सरकार ने सुनवाई के दौरान पोर्नोग्राफिक वेबसाइटों को ब्लॉक करने में असमर्थता जाहिर की। इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि तकनीक का विकास आवश्यक है लेकिन ऐसी तरीके भी ईजाद करने चाहिए कि कानून तकनीकी विकास से हमेशा मात न खाए।
सरकार के काउन्सेल ने कोर्ट को बताया कि पोर्नोग्राफिक वोबसाइटों को ब्लॉक करने में बहुत कठनाइयां हैं। जैसे ही एक वेबसाइट को ब्लॉक किया जाता है तो दूसरी आ जाती है। इन वेबसाइटों को ब्लॉक करने के काम में कठिनाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंटरनेट पर करीब 4 करोड़ वेबसाइटें अपने दूसरे लिंक्स के साथ मौजूद हैं।
कानून-प्रवर्तन एजेन्सियों की हताशा पर टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश जोसेफ ने कहा कि पोर्नोग्राफी कामुक होती है इसका प्रभाव देखने वालों के मन और नैतिकता पर पड़ता है। उन्होने कहा कि कुछ देशों ने इंटरनेट की पोर्नोग्राफिक सामग्री तक पहुंच को नियंत्रित करने के तरीके ईजाद किए हैं, सरकार वहां के तरीकों पर विचार कर सकती है।
इस पर सरकार ने कहा कि उसने ऐसी वेबसाइटों को ब्लॉक करने के सुझाव देने के लिए आईटी एक्ट के अंतर्गत एक परामर्श कमेटी का गठन किया है। कोर्ट ने सरकार से अगली सुनवाई पर इस संबंध में उठाए गए कदमों की अद्यतन सूचना देने को कहा है।
याचिकाकर्ता कमलेश वासवानी ने सुप्रीम कोर्ट से केन्द्र सरकार को पोर्नोग्राफी वेबसाइटों, प्लैटफार्मों, लिंक्स या इंरनेट से उनकी डाउनलोडिंग तक निजी या सार्वजिक आसान पहुंच को रोकने के लिए निर्देश देने की प्रार्थना की थी।