Sheetal P Singh-
अग्निवीर… पंजाब के मनसा जिले के एक उन्नीस साल के नौजवान की अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुई थी। ट्रेनिंग के बाद उसे जम्मू-कश्मीर में तैनाती मिली थी। कल उसका शव एक एंबुलेंस में उसके गांव पहुंचा। आश्चर्यजनक यह था कि उसे किसी तरह का मरणोपरांत सैनिक सम्मान सेना की तरफ से नहीं मिला। स्थानीय राज्य पुलिस बल ने अंतिम विदाई दी।
अग्निवीर योजना में भर्ती सैनिक पेंशन और अन्य रेगुलर लाभ से वंचित रहेंगे ऐसा योजना में पहले ही कहा गया था।
कुछ मित्रों की शंका (कि यह खबर फेक है)के चलते मैंने यह पोस्ट हटा दी थी अब पुष्टि होने पर पुनः पोस्ट कर रहा हूं।
Kumar Sauvir-
यह अग्निवीर हैं। नाम है अमृतपाल सिंह।
फौज में सिर्फ चार बरस के लिए संविदा पर तैनात नौकर थे, यानी ठेके पर। सिर्फ चार बरस की नौकरी के लिए। जितनी दिन तक मजूरी, उतना काम। लेकिन आज देश की इज्जत बचाने के लिए आज दुश्मनों ने उनको सीमा पर मौत के घाट उतार दिया।
लेकिन हमारे देश ने, इस जांबाज का फुल-फाइनल कर दिया यह तो पता नहीं, लेकिन उसे अंतिम विदाई देने तक की जरूरत नहीं समझी।
अमृतपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव कोटली कलां आया, जिसे 2 फौजी लेकर आये थे। लेकिन बावर्दी नहीं, बल्कि सामान्य कपड़ों में। वह भी प्राइवेट एंबुलेंस से। गांव के बाहर तक छोड़ कर गए।
जब ग्रामीणों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि सरकार कि नई नीति के तहत अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है। इसलिए अमृतपाल को सलामी नहीं दी जा सकती है।
सेना के अनुसार अग्निवीर जवान अमृतपाल ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर लिया था, इसलिए मौजूदा नियमों के मुताबक उन्हें सैनिक सम्मान से अंतिम विदाई नहीं दी गई।