Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

ये ‘शहीद फटाफट’ क्या होता है भाई!

न्यूज चैनल वाले जल्दबाजी के चक्कर में अक्सर ऐसी गल्तियां कर जाते हैं जिसकी चर्चा देर तक और दूर तक होती है. एबीपी न्यूज में किसी शख्स ने ऐसी ही गल्ती कर दी है. शहीदों की खबरें एक साथ परोसने के लिए ‘शहीद फटाफट’ का इजाद कर दिया गया. पर इसका असली अर्थ क्या निकल रहा है, इस पर तनिक भी न सोचा गया. वो तो सोशल मीडिया है जो लोग इन चैनल वालों की गल्तियों को पकड़ कर उन्हें आइना दिखा देते हैं.

टीवी पत्रकार Navin Kumar की ये टिप्पणी देखें-

आपको आगे रखने की चाहत में जिस प्रोड्यूसर ने भी यह नाम दिया है वो न सिर्फ समझ के स्तर पर दिवालिया है। बल्कि आत्मा के स्तर पर संवेदनहीन और भाषा के स्तर पर फूहड़ भी। वह हरगिज पत्रकारिता के पेशे के लायक नहीं है। फिर भी मुझे उम्मीद है कि वो एक दिन संपादक की कुर्सी तक पहुंचेगा। क्या पता कबका पहुंच भी चुका हो।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भोपाल की पत्रकार ममता मल्हार की प्रतिक्रिया-

लगता है पूरा टीवी मीडिया ही सस्ते नशे में डूबा है। शहीद फटाफट क्या होता है? मैं देश के प्रधानमंत्री से अपील करती हूं कि इन सबको भी फटाफट ॐ फट्ट यानि बैन कर दिया जाए। सवाल टीवी मीडिया की कार्यशैली पर है, बददिमागी और बदतमीजी पर है। पत्रकारिता का ये वो माध्यम है जिसने पूरे मीडिया को चकलाघर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भुगत रहे हैं अच्छे पत्रकार और पूरा मीडिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुछ अन्य प्रतिक्रियाएं-

ऋतुपर्ण दवे
ओह…यह तो अपमान वाली बात हुई…शहीद फटाफट…बहु अर्थी भाषा कई मायने हो सकते हैं। वाह रे डिजिटल प्लेटफॉर्म या चैनलगिरी कुछ भी कहें……लगता है कि खबरिया चैनलों के लिए सबसे पहले आचार संहिता बनानी होगी……एक के बाद एक खुद प्याज़ के छिलकों की तरह उतरते जा रहे हैं। बेहद अफ़सोसजनक…….!!!

Advertisement. Scroll to continue reading.

Sangeeta Shrivastava
शब्दों की कंगाली तो है ही …साथ में घोर लापरवाही भी…किसी का ध्यान नहीं गया… हद है

Manikant Shukla
आपकी उम्मीद से आगे हैं संस्थान। ज्यादातर ऐसे ही संपादक की कुर्सी पर हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Anita Dinesh
निकृष्टता की पराकाष्ठा , इन्होंने चौरासिया जी को पछाड़ दिया

Santosh Sarokaari
चिलम फूंक पत्रकारिता का दौर है, जो न कह दें, जो न कर दें सो कम

Advertisement. Scroll to continue reading.

Brajesh Kumar
तथाकथित देशभक्त मीडिया की पत्रकारिता
शहीद फटाफट
सोचिए गोदी मीडिया के टॉप लेबल पर किस मानसिकता
और किस शैक्षणिक स्तर के लोग काबिज हैं
और धन्य हैं वो दर्शक जो इनसे देशभक्ति का पाठ पढ़ रहे हैं

Roopam Gangwar ·
बेहूदगी की चरम सीमा

Advertisement. Scroll to continue reading.

Arun Yadav
संपादक फटाफट।

अविनाश चतुर्वेदी
आपने मन का काम कर दिया। यह हेडिंग देखकर मैं स्वयं आहत हुआ और इस तस्वीर को पोस्ट करना चाहता था। संयोग से मिस हो गया।
होड़ में चैनल क्या पत्रकारिता ही संवेदनहीन हो रखी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Amitabh Ranjan Jha
पत्रकारिता का नियम कायदा ताक पर

Manoj Kumar Singh
क्या ऐसे लोगों पर लगाम नहीं लग सकती?

Advertisement. Scroll to continue reading.

Swaminath Dhangar
मूर्ख जाति की प्रिविलेज की वजह से सम्पादक बना होगा। इसलिए यह देखन को मिल रहा।

Kumar Anshuman
किसी दिन शहीद का झींगा ला ला ऑफर ले के न आ जाएँ ये लोग।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Firoz Zaidi
8 PM patrakarita chal rahi hai ab ….

M R Faridi
ये हाल तब है जब गांजा लीगल नहीं

Advertisement. Scroll to continue reading.

Shivaji Rai
संपादकों को ऐसे ही शब्द पसंद है, महा, विस्फोटक, धमाकेदार लिखना ही बेहतर कहा जा रहा है

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement