Prakash K Ray : शिक्षक, शिक्षाविद और शिक्षा से संबद्ध दो सम्मानित पत्रिकाओं के संपादक शिवरतन थानवी नहीं रहे. कुछ दिनों पहले ही उनकी डायरी के चुनींदा अंश ‘जगदर्शन का मेला’ प्रकाशित हुई है जिसकी भूमिका साहित्यकार-शिक्षक प्रो केदारनाथ सिंह ने लिखी है. वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी उनके पुत्र हैं. प्रगतिशील मूल्यों के प्रति समर्पित बौद्धिक और साहित्य-कला के अनुरागी शिवरतन थानवी ने सार्थक जीवन व्यतीत किया. उनकी स्मृति को नमन…
Devpriya Awasthi : ओम थानवी जी ने सुबह राजकिशोर जी के बेटे विवेक के निधन की जानकारी देते हुए जो आशंका जताई थी वह आखिर सच साबित हुई। उनके पिताजी श्री शिवरतन थानवी ने आज शाम बिस्तर समेट ही लिया। गनीमत इतनीभर रही कि पिताजी के अंतिम समय ओमजी उनके पास थे। वे परसों ही पिताजी की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने पर फलौदी गए थे। अपने दो वरिष्ठ साथियों – राजकिशोर जी और ओम थानवी जी के परिवारों में 24 घंटों के भीतर आई इन विपदाओं ने भीतर तक झकझोर दिया है। दोनों पर जो बीती है वह भले ही नियति का फैसला हो, लेकिन बेहद क्रूर है। भरोसा है कि ईश्वर दोनों परिवारों को इस दुख से उबर पाने की ताकत देगा।
Prabhat Ranjan : आज का दिन क्रूर साबित हुआ। अभी पता चला कि जाने माने शिक्षाविद शिवरतन थानवी जी का देहांत हो गया। वे मेरे पुराने बॉस और आदर्श पत्रकार ओम थानवी के पिता थे। दोपहर में राजकिशोर जी के जवान पुत्र की अंतिम यात्रा से लौट कर संभल ही रहा था कि यह खबर मिली। ईश्वर ओम जी को इस दुख से उबरने की शक्ति दें। अंतिम प्रणाम शिवरतन थानवी जी
वरिष्ठ पत्रकारों प्रकाश के रे, देवप्रिय अवस्थी और प्रभात रंजन की एफबी वॉल से.