शिवसेना, शुरुआत से ही अपनी मुस्लिम विरोध की राजनीतिक मानसिकता के लिए जानी जाती रही है। मुंबई से प्रकाशित होने वाले इनके मुखपत्र ‘सामना’ में अक्सर विवादित और भड़काऊ किस्म के लेख और संपादकीय टिप्पणियां प्रकाशित होती रहती हैं। ताजा मामला शिवसेना की बेलगाम और संवेदनहीनता की राजनीति समझने के लिए शायद काफी हो। बात पिछले दिनों की है। शिवसेना के सांसद राजन विचारे और उनके साथ के कई और सांसदों के समूह ने यहां महाराष्ट्र सदन में जमकर दादागीरी की। सदन की कैंटीन में रोटी की गुणवत्ता को लेकर शिवसेना के माननीय राजन विचारे को गुस्सा आ गया, तो उन्होंने सबके सामने ही कैंटीन के प्रबंधक अरशद जुबैर को अपशब्द कहने शुरू किए। कर्मचारी सांसदों के गुस्से से सहम गए थे। लेकिन, शिवसेना के माननीय गालियां बके जा रहे थे। इतना ही नहीं सांसद विचारे ने तो अरशद के मुंह में रोटी ही ठूंस दी। जबकि, वे रोजे से थे।
अरशद बार-बार माननीय से कह भी रहे थे कि सर, मेरा फास्ट है। मैं रोटी नहीं चख सकता। लेकिन, सांसद जी गुस्से के मारे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। बेशर्म माननीयों का यह कारनामा एक वीडियो फुटेज में कैद हो गया है। इसे एक राष्ट्रीय टीवी न्यूज चैनल ने अपने यहां दिखाया भी है। जाहिर है माननीय की इस करतूत से रोजेदार की धार्मिक भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची। उन्होंने इसकी शिकायत दिल्ली स्थित महाराष्ट्र के रेजीडेंट कमीश्नर से की है।
यह मामला बुधवार को संसद में उठा। पहले तो शिवसेना के माननीय आक्रामक मुद्रा में दिखाई पड़े। लेकिन, जब जदयू और बसपा सहित कई दलों ने शिवसेना सांसदों की करतूत की निंदा की, तो एनडीए का धड़ा बचाव की मुद्रा में आ गया। शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बयान जारी करके कहा कि उनकी पार्टी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई काम नहीं करती। लगता है कि कुछ गलतफहमी हुई है। दबी जुबान से शिवसेना के माननीय ने माफी भी मांगी है।
मुस्लिम समाज के कई धार्मिक नेताओं को इस प्रकरण पर जोर का गुस्सा आया है। हैरानी की बात यह है कि राजन विचारे जैसे सांसदगण अपनी संसदीय गरीमा की जरा भी परवाह नहीं करते। वरना, ऐसी बेहूदगी करने में आखिर उन्हें कुछ तो शर्म आती।
लेखक वीरेंद्र सेंगर डीएलए (दिल्ली) के संपादक हैं। इनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है।