अनिल शुक्ला-
एक हादसा जो होते-होते टल गया : अभी कुछ ही देर पहले एक बड़ी दुर्घटना के होने से बाल-बाल बचे गुल्लो और उसके मम्मी-पापा। हुआ यूं कि गुल्लो और उसके मम्मी-पापा देर शाम को ग्रेटर नोएडा में घूमने निकले। रास्ते में पड़ने वाली एक छोटी सी सब्ज़ीमंडी में उन्होंने अपनी कार रोककर साइड में लगायी, गुल्लो को उसके भीतर बैठाया और दोनों उतर कर बगल की दुकान पर सब्ज़ी खरीदने लग गये। निकलते समय वे चाभी को अपने साथ ले जाना भूल गए। 2 साल की मासूम गुल्लो पीछे की सीट से उछलती-कूदती आगे की सीट पर आ गयी और कार के कलपुर्ज़ों से खेलकूद करने लगी। खेलते-कूदते उसके हाथ से कब कार की चाभी का बटन दब गया और कब कार के सभी दरवाज़े ऑटोमेटिक लॉक में जकड़ गए यह उसे कहाँ मालूम।
कुछ मिनटों के बाद जब मम्मी-पापा पलट कर लौटे तो उन्हे कार लॉक मिली। उन्होंने बाहर से झांका तो ‘की’ का बटन स्विच ऑफ मिला। अब उन्हें मामले की नज़ाक़त का अहसास हुआ। काफी देर तक वे दोनों इशारों से गुल्लो को स्विच ऑन करने की कहते रहे लेकिन वह अबोध इन इशारों को समझ ही नहीं पायी। काफी देर बाद जब उसे यह महसूस हुआ कि वह अपने मम्मी-पापा की पहुंच से दूर हो गई है तो वह रोने लग गयी। उसके माता-पिता ऐसे वक़्त में उसके ‘मोराल’ को हाई रखना बेहद ज़रूरी समझते थे। तब उसके पापा ने अपना फ़ोन निकाल कर उसकी पसंदीदा वीडियो ‘राइम’ चलकर उसे दिखाया। वीडियो देखकर उसने रोना बंद कर दिया। वह खुश हो गयी।
इस जगह से उनका घर इतनी दूर था कि डुप्लीकेट की लेने उसके मम्मी-पापा में से कोई एक जना कैब या ऑटो पकड़ कर जाता और लौट कर कर आता तो 45-50 मिनट से कम नहीं लगता और इतनी देर तक भीतर का ऑक्सीजन का स्तर शून्य तक पहुँचने से कहाँ रुकता। तब? उसके पापा ने कार का शीशा तोड़ने का निर्णय ले लिया। इसी दौरान नज़दीक में रहने वाले 2 नवयुवक वहां देवदूत की तरह प्रकट हुए। इत्तफ़ाक़ से उनके पास भी वही ‘हौंडा सिटी ZX CVT’ कार थी। उन्होंने गुल्लो से इशारों-इशारों में अपनी ‘की’ के स्विच को दबा कर बदले में उसे भी ऐसा ही करने का इशारा किया। गुल्लो तेज़ दिमाग़ तो है ही। इस मामले के मर्म को समझने में उसे ज़्यादा देर नहीं लगी। उसने कुछ क्षण शीशे के भीतर से बाहर अंकल लोगों को स्विच दबाते देखा और अपनी दाहिनी अंगुली आगे बढ़ा कर अपनी कार की ‘की’ के स्विच को दबा दिया। लॉक झट से खुल गया! कार का गेट खुलते ही वह ज़ोर से चीखी और अपने दुलारे पापा से लिपट गयी।
यहां इस समूची घटना को लिखने का उद्देश्य अपनी चिंता और घबराहट को आपके साथ ‘शेयर’ करना तो है ही, उन अभिवावकों को सावधान करना भी है जिनकी कार ऑटोमेटिक लॉक वाली हैं, जो अपने नन्हों के साथ घूमने-फिरने निकलते हैं और सावधान होने के बावजूद जो कभी-कभी असावधानी कर ही बैठते हैं। इस घटना के क्लाइमेक्स पर पहुंचकर जब गुल्लो के मम्मी-पापा ने इन देवदूतों का शुक्रिया अदा करना चाहा तो उन्होंने पलट कर जवाब दिया-“थेंक्यू तो अपनी बेटी को बोलिये। इतनी कम उम्र में उसका इतना समझदार होना हमारे लिए ताज्जुब में डालने वाला है। वह इतनी समझदार नहीं होती तो हम क्या कर पाते?”
गुल्लो की यह तस्वीर घटना के फौरन बाद की है। कार में बैठी वह अपने बाबा और दादी से वीडियो पर मुख़ातिब है।