स्पेस प्रहरी नाम से एक अखबार नोएडा के सेक्टर 63 से शुरू हुआ. कोई मुर्तजा खान उर्फ मुर्तजा सोलंकी नामक शख्स इसके मालिक हैं. इन्होंने सहारनपुर के पत्रकार रियाज़ हाशमी को संपादक बनाया. रियाज़ हाशमी ने दर्जनों लोगों को नियुक्त कर लिया.
सबको आफर लेटर दे दिया गया. इसमें हर माह की दस तारीख को सेलरी देने का वादा किया गया. पर पहले ही महीने की तनख्वाह नहीं मिली. दिवाली के दौरान गिफ्ट का तो वितरण हुआ लेकिन सेलरी के लिए बस वादा कर दिया गया. वादे की तारीख पर सेलरी के लिए नई तारीख की घोषणा कर दी जाती. ये खेल कई बार चला.
फिलहाल तीन महीने की सेलरी बकाया हो गई. स्पेस प्रहरी अखबार के मालिक मुर्तजा खान अपने ही अखबार के दफ्तर में ताला लगाकर लापता चुके हैं. इन्होंने इंप्लाइज के सेलरी एकाउंट बुलदंशहर में एक बैंक में खुलवाए. पर किसी को भी अपने एकाउंट में सेलरी के दर्शन आजतक न हो पाया.
बताया जाता है कि पीड़ित मीडियाकर्मी एफआईआर लिखवाने के लिए नोएडा पुलिस के चक्कर काट रहे हैं. जिस जगह पर अखबार का दफ्तर खुला, वहां का मकान मालिक भी परेशान हैं. उसे भी एक पैसा नहीं मिला है.
सवाल उठता है कि खान साहब जब एक माह की भी सेलरी न दे पाने की स्थिति में थे तो अखबार क्यों खोला… सवाल ये भी उठता है कि संपादक रियाज़ हाशमी ऐसे शख्स की बातों में कैसे आ गए जिसकी हैसियत एक माह की सेलरी भी न दे पाने की थी.
स्पेस प्रहरी से कई लोगों के फोन भड़ास4मीडिया के पास आए. ये लोग कई माह की सेलरी न मिलने से बेहद दुखी हैं. किसी को मकान का किराया देना है तो किसी को परिवार पालना है. लोग कर्ज लेकर जीवन चला रहे हैं. आफिस में कई दिनों से ताला लगा हुआ है. लोगों की तीन माह की मेहनत और वक्त बेकार गया. मिला एक धेला नहीं. ऐसे ऐसे जाने कैसे कैसे लोग अखबार ला देते हैं जिसके चक्कर में दर्जनों लोगों का करियर बर्बाद हो जाता है.