उदयपुर के सांसद अर्जुनलाल मीणा ने सांसद चुने जाने के लम्बे समय बाद उदयपुर के पत्रकारों से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए 12 अप्रेल को प्रेसवार्ता बुलाई। इसमें केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के बखान किया गया। शाही भोजन के बाद पत्रकारों के विदा होते समय उनके हाथ में लिफाफे थमाने का दौर चला। साठ से अधिक पत्रकारों को लिफाफे बांटे गए। मौके पर मौजूद कुछ पत्रकारों ने लिफाफे खोलकर देखे तो भौचक रह गए। लिफाफे में 500 का नोट था।
बताया गया कि कुछ पत्रकारों ने लिफाफे लेने से मना कर दिया व सीधा सवाल किया कि सांसद की इस करतूत को किस रूप में देखा जाए। मामला बिगड़ते देख वहां मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं ने बात को यह कहकर संभालने की कोशिश की कि सांसद को किसी ने गलत राय दे दी। बाद में सांसद ने स्पष्टीकरण दिया कि लिफाफे उनके जाने के बाद उनके पीए ने बांटे थे। इस घूसकांड की खबर राज्यभर में उसी दिन आग की तरह फैल गई। जो पत्रकार लिफाफे लेकर गए थे, वे भी इज्जत खराब होने से सकते में आ गए। सोशल मीडिया पर भद पिटने के बाद देर शाम को जी न्यूज सहित कुछ अन्य समाचार समूहों ने इस बारे में खबर दिखाई।
राजस्थान पत्रिका पर लगे लीड करने के आरोप : इस मामले में अगले दिन दैनिक भास्कर, प्रात:काल सहित अन्य सभी समाचार पत्रों के फ्रंट पेज पर सभी संस्करणों में खबर छापी गई मगर अपने आप को नंबर एक कहने वाले अखबार राजस्थान पत्रिका ने जान बूझकर सांसद की ओर से पांच सौ के नोट बांटने संबंधी एक लाइन तक नहीं छापी गई। मजे की बात तो यह है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रिका के दो पत्रकार मौजदू थे जो चुपचाप लिफाफे लेकर चंपत हो गए।
शाम को जब बात जंगल की आग की तरह फैल गई तो सूत्रों के अनुसार सांसद ने डैमेज कंट्रोल के लिए अपने गुर्गों को दौड़ा दिया। दैनिक भास्कर में स्थानीय संपादक त्रिभुवन के सख्त मिजाज होने की वजह से दांव नहीं चला मगर राजस्थान पत्रिका में उनकी कथित रूप से डील हो गई। लोग यहां धनवर्षा का भी आरोप लगा रहे हैं। इसी का नतीजा हुआ कि अगले दिन लोागों को दैनिक भास्कर पढ़कर पता चला कि उनके सांसद ने इतना बड़ा कांड कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने पत्रिका की जमकर खिंचाई की व संपादकीय प्रभारी आशीष जोशी सहित अन्य इमानदारी का डंका पीटने वाले पत्रकारों को खूब आड़े हाथोंं लिया।
ओम पूर्बिया निकला अकेला शेर : इस मामले में प्रात:काल के पत्रकार ओम पूर्बिया अकेला शेर निकला। उसने प्रेसवार्ता के बीच ही सांसद से सवाल कर दिया कि वे कुछ दिन पहले सांसद मद से पार्षदों को हवाई जहांज से दिल्ली क्यों ले गए? उनके दल में जो चार पत्रकार गए, उनका चुनाव किस आधार पर किया गया। जो पैसा सांसद ने खर्च किया, वो किस खाते का था। ओम के इन सवालों पर सांसद बगलें झांकते नजर आए। संतोषप्रद जवाब नहीं मिलते देख ओम पूर्बिया ने सांसद की प्रेसवार्ता का बहिष्कार कर दिया।
प्रबंधन दबा रहा मामला : राजस्थान पत्रिका का प्रबंधन इस मामले को दबाने में लगा है। अपनी थू थू होती देख पत्रिका के संपादकीय प्रभारी ने जयपुर में कोई आर्थिक आश्वासन देकर सेटिंग कर ली। ऊपर वालों का कहना है कि वे कहीं पर भी इसकी चर्चा नहीं करें।
कांग्रेस ने जारी की प्रेस रिलीज : उदयपुर के सांसद ने पत्रकारों को पांच-पांच सौ के नोट दिए. खुद मीडिया वालों ने ही सांसद की इस नोट बांटने वाली करतूत का खुलासा किया. नोट बांटने की खबरों के बाद जनता में यह सवाल उठ गया है कि वह ऐसे सांसदों पर कितना भरोसा करे. कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के मोहम्मद छोटू कुरैशी ने आरोप लगाया है कि भाजपा के एक सांसद की इस करतूत को मीडिया ने उजागर किया है, लेकिन भाजपा की तरफ से इस पर कोई कार्रवाई नहीं किया जाना साफ जाहिर करता है कि भाजपा मीडिया को मैनेज करने की मंशा रखती है. उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा पर मीडिया को मैनेज करने के आरोपों का बड़े नेता भले ही खण्डन करते रहे हों, लेकिन उदयपुर सांसद के इस कृत्य से यह बात साबित हो रही है, क्योंकि उदयपुर सांसद तीन साल की अपनी कोई उपलब्धि तो बता पाए नहीं, ऐसे में और करते भी क्या?
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सेवादल के महासचिव सलीम शेख, कांग्रेस मीडिया सेन्टर के प्रवक्ता फिरोज अहमद शेख, पार्षद मोहसिन खान, देहात कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष हाजी अब्दुल गफूर मेवाफरोश, पूर्व पार्षद नजर मोहम्मद, पूर्व पार्षद लक्ष्मी नारायण मेघवाल, कृषि उपज फल सब्जी मण्डी यार्ड के पूर्व अध्यक्ष मोड़सिंह सिसोदिया, पूर्व उपाध्यक्ष किशन उर्फ कालू भाई, पूर्व पार्षद रोशन साहू आदि ने उदयपुर सांसद के इस कृत्य की भर्त्सना की है तथा उदयपुर के मीडिया साथियों का साधुवाद किया है जिन्होंने सांसद की इस करतूत को जनता के सामने उजागर किया। साथ ही उन्होंने यह मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पर संज्ञान लें और अपने ऐसे सांसदों को दंडित करें।
-एक उदयपुरिया की कलम से