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ओंकारेश्वर पांडेय की तानाशाही के कारण ‘सन स्टार’ में उठापटक जारी

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली से शुरू होने वाले छत्तीसगढ़ के अखबार ‘सन स्टार’ की ग्रह दशा ओंकारेश्वर पांडेय के आने के बाद से खराब होना शुरू हो गया। अपने लोगों को लाने के चक्कर में उन्होंने पुराने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया। आजिज आकर अब तक करीब दर्जन भर लोग संस्थान को अलविदा कह चुके हैं। ताजे घटनाक्रम में ओंकारेश्वर पांडेय की हिटलरशाही से तंग आकर पूरी सर्कुलेशन टीम ने ही अखबार से किनारा कर लिया है। पता चला है कि बकाये वेतन आदि के लिए अब वे लेबर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सोच रहे हैं।

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0 Comments

  1. Raju Kumar

    May 22, 2015 at 9:03 am

    दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली से शुरू होने वाले छत्तीसगढ़ के अखबार सन स्टार की ग्रह दशा ओंकारेश्वर पांडेय के आने के बाद से खराब होना शुरू हो गया। यह जो लोग भी कह रहे है यह गलत है। उनके आने के बाद सन स्टार अपने पूराने वजूद से कहीं बेहतर रूप में निकल रहा है। उन्होने अपनी पुरानी टीम को और बेहतर तरीके से काम करने के लिए प्रेरणा दी है पर जो लोग अपने निकम्मेपन के आदी हो गये है वो कभी भी कहीं भी काम नहीं कर सकते है। बस केवल संस्थान पर बोझ बने रहते है। इसलिए जब इन्हे संस्थान से निकाला जाता है तब इस तरह की अफवाहे फैलाते रहते है। ओंकारेष्वर जी के आने से संस्थान रोज-ब-रोज तरक्की कर रहा है।

  2. manish

    May 22, 2015 at 10:22 am

    ओंकारेश्वर पाण्डेय के कार्य प्रणाली से परेशान हो कर पिछले कुछ महिनों से कर्मचारियों का सन स्टार अख़बार छोड़ कर जाना लगातार बरक़रार है l अगर जल्द ही इस व्यथित व्यवस्था और कार्यशैली पर नियंत्रण नहीं हो पाया तो मीडिया जगत में कहा जायेगा की एक था सन स्टार l और इस तरह की खबर पर किये गए प्रतिक्रियाएं यह साफ दिखाती है की संस्थान अब चम्मचो से घिर गया है l

  3. के एन वशिष्ठ

    May 22, 2015 at 10:58 am

    Raju Kumar Ji सच तो यह है कि काम करने वालों की नहीं बल्कि बटरिंग करने वालों का बोलबाला सदा से रहा है और रहेगा। सन स्टार और ओंकारेश्वर पांडेय भी इससे अछूते नहीं हैं। दरअसल, यहां काम करने वालों को तंग इसलिए किया जाता है ताकि अपने चंगू-मंगू को पदस्थापित किया जा सके। संस्थान छोड़कर इससे पहले भी दर्जनों लोग जा चुके हैं तो उसके पीछे मुख्य कारण यही रहा है।

  4. Anil D.

    June 11, 2015 at 11:00 am

    वैसे राजू कुमार सही कह रहे हैं. ओंकारेश्वर पाण्डेय जी के रहते ऐसा नहीं हो सकता. वे मेहनती, मददगार और दूरदर्शी सोच वाले पत्रकार हैं. मैंने खुद उनके साथ सण्डे इंडियन में काम किया है. जो संस्था के लिए उपयोगी होगा, वह टिकेगा अन्यथा फर्जी और आलसी लोगों का साथ तो कोई भी नहीं देता. यह हयूमर भी ऐसे ही लोगों ने फैला रखा है कि सन स्टार में पाण्डेयजी ने दादागिरी चला रखी है. मुख्य बात यह है कि सन स्टार का प्रबंधन जब सेलेरी देगा तभी तो दूसरों को भुगतान होगा. अब संपादक अपने घर से तो दे नहीं सकता.

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