एक माह बाद फिर मंगलवार 28 अप्रैल को मजीठिया वेज बोर्ड मामले पर उच्चतम न्यायालय के कोर्ट नंबर आठ में न्याधीश रंजन गोगोई और एनवी रमन के सामने करीब 30 अवमानना याचिकाएं प्रस्तुत होंगी। ये याचिकाएं क्रम संख्या-2 पर सुनवाई की लिए पेश होंगी। भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह की याचिका, जिसमें सैकड़ो मीडिया कर्मचारियों की ओर से उन्हें अधिकार पत्र दिया गया है, वह भी उन्हीं के साथ प्रस्तुत की जाएंगी। आठ नंबर अदालत में 28 अप्रैल को आइटम नंबर 2 के तहत सूचीबद्ध मजीठिया से संबंधित जिन मामलों पर सुनवाई होनी है, उनमें सबसे अधिक दैनिक भास्कर के आरसी अग्रवाल के खिलाफ 18 मामले, दैनिक जागरण के संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता के खिलाफ 11 मामले, प्रभात खबर के खिलाफ एक मामला, इंडियन एक्सप्रेस के खिलाफ तीन मामले, राजस्थान पत्रिका के खिलाफ छह मामले और हिंदुस्तान के खिलाफ तीन मामले हैं। । दायर मामलों में एक केस नंबर 570 ऑफ 2014 टाइम्स ऑफ इंडिया के प्रबंधन के खिलाफ है। टाइम्स ऑफ इंडिया के इस स्थगित आइटम नंबर 3 मामले पर भी आज ही सुनवाई होगी। भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने बताया कि इस महत्वपूर्ण, बहुप्रतीक्षित एवं निर्णायक सुनवाई में भाग लेने के लिए हरियाणा, राजस्थान, बिहार से बड़ी संख्या में पत्रकार रवाना हो चुके हैंं। सुनवाई के दौरान दिल्ली के मीडिया कर्मी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचेंगे।
उल्लेखनीय है कि मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की तीस याचिकाओं पर पिछले माह मार्च में सुनवाई हुई थी। वे सभी नए मामले थे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को आभास हो गया था कि मालिक असंगठित कर्मचारियों का हक मारने के लिए रोज अब नए हथकंडे अपना रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में अभी जागरण और राजस्थान पत्रिका ने ही जवाब दिया है। दैनिक भास्कर, प्रभात खबर, इंडियन एक्सप्रेस, टीओआई के जवाब नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में सुनवाई आगे भी बढ़ सकती है। अखबार मालिक केस को लंबा खींचना चाहते हैं। गौरतलब है कि 13 मई से 28 जून तक सुप्रीम कोर्ट में अवकाश रहेगा।
अखबार मालिकों की ओर से पत्रकारों की इस तरह की घिनौनी प्रताड़ना का मुद्दा में सुनवाई के समय उठाया जा सकता है। प्रताड़ना की कार्रवाई उन्ही पत्रकारों पर की जा रही है, जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने के लिए केस कर रखा है। पता चला है कि अमर उजाला पेशबंदी के लिए के लिए किसी ऐसे पैंतरे का सहारा लेने जा रहा है, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। सूत्रों के मुताबिक वह किसी एजेंसी के माध्यम से अपने कर्मचारियों से कोई ऐसा सहमति पत्र तैयार करा रहा है, जो ठेकेदारी से भी घटिया स्तर का हो सकता है। सारी पेशबंदी मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू न करने के मकसद की जा रही है। अंदरखाने दैनिक जागरण तो कंचन प्रेस के माध्यम से उससे पहले से अपने मीडिया कर्मियों की घेरेबंदी कर चुका है। रही सही कसर पिछले दिनो जेबी यूनियन बनाकर उसने पूरी कर ली है।
मुकेश मणिकांचन
April 28, 2015 at 7:35 am
कितना शर्मनाक है कि समाचार पत्राें से जुडे वे लाखों लोग जो आमजन की मुसीबतों को प्रकाश में लाने के लिए और नेताओं, माफियाओं, दलाओं से लेकर व्यवस्था व्यवस्था की विसंगतियों का खुलासा करने के लिए जान जोखिम में डालने से भी नहीं चूकते हैं, और उन्हीं की मेहनत से मालिकों ती तोंद मोटी होती हैं, उन्हें उनका वाजिव हक पाने के कितनी एडियां घिसनी पड रही हैं।
Akhilesh R Dubey
April 28, 2015 at 11:34 am
Its very disgusting decision, one who did court of contempt then it not justice.
it seems that supreme is also in pressure of Press Owner.
manish
April 28, 2015 at 12:56 pm
ye itihas ka sab se sharm nak din hai sare patkaroo sath dokha hai 😡 😡 dainik jagran
G P AWASTHI
April 30, 2015 at 9:32 am
कितना शर्मनाक है कि समाचार पत्राें से जुडे वे लाखों लोग जो आमजन की मुसीबतों को प्रकाश में लाने के लिए और नेताओं, माफियाओं, दलाओं से लेकर व्यवस्था व्यवस्था की विसंगतियों का खुलासा करने के लिए जान जोखिम में डालने से भी नहीं चूकते हैं, और उन्हीं की मेहनत से मालिकों ती तोंद मोटी होती हैं, उन्हें उनका वाजिव हक पाने के कितनी एडियां घिसनी पड रही हैं।
bhupinder singh
May 22, 2015 at 6:01 am
Majithaia wage board kab implement hoga ? ab tu had hi ho gai hai. . bura haal ho gaya hai