दयानंद पांडेय-
यह दो फ़ोटो हैं। एक बरेली के दंगाई , बार-बार दंगा भड़काने वाले तेज़ाबी ज़ुबान वाले बरेली के मौलाना तौक़ीर रज़ा की है। अदालत ने दंगों के लिए दोषी बता कर बुला लिया। नहीं गए तो वारंट जारी हुआ। तेज़ाब उगलने वाले मौलाना तौक़ीर रज़ा फौरन से पेश्तर फ़रार हो गए। कब तक फ़रार रहते। अब बीमारी बता कर अस्पताल में दाखिल हो गए। जाने कितनों को दंगों में मरवा दिया, बर्बाद कर दिया। अब जेल जाने के डर से अस्पताल में हैं। सारी अकड़, सारी दंगाई ताक़त काफूर हो गई है।
दूसरी फ़ोटो हत्यारे माफिया मुख़्तार अंसारी की है। कई मामलों में सज़ा है कि मुसलसल होती ही जा रही है। कुछ दिन पहले बताया कि मुझे धीमा ज़हर दिया जा रहा है। अब कल रात बांदा जेल में तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल में भर्ती करा दिए गए। पता चला कि ज़हर नहीं, ज़्यादा खा लेने के चक्कर में रातो रात अस्पताल लाए गए थे। पर दुनिया भर का कोहराम मच गया।
यह वही मुख़्तार अंसारी हैं जो कभी लखनऊ जेल में तालाब खुदवा कर मछली पाला करते थे ताकि उन्हें खाने के लिए ताज़ी मछली मिल सके। गाज़ीपुर जेल में डीएम, एसपी उन के साथ बैडमिंटन खेलने सुबह-शाम आते थे। कभी पंजाब की जेल के गेस्ट हाऊस में सपत्नीक रहने का लुत्फ़ लेते थे।
कांग्रेस, सपा, बसपा राज में जेल से शासन चलाने का हुनर जानते थे, मुख़्तार। तौक़ीर रज़ा दंगा करवा कर लोगों का कत्ले-आम करवा देते थे। पर कोई उन का बाल बांका नहीं कर सकता था। अब निजाम बदला है तो अपराधियों के साथ सुलूक़ भी बदला है। तकलीफ़ होना लाजमी है।