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‘द सूत्र’ की सीनियर रिपोर्टर रुचि वर्मा को विकास संवाद संविधान और राहुल शर्मा को अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क की फैलोशिप

BHOPAL. द सूत्र के दो प्रतिनिधियों को महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर दो अलग-अलग प्रतिष्ठित फैलोशिप अवार्ड हुई हैं। सीनियर रिपोर्टर रुचि वर्मा को विकास संवाद संविधान फैलोशिप-2022 एवं राहुल शर्मा को अंतरराष्ट्रीय संस्था अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क की फैलोशिप के लिए चुना गया है।

रुचि वर्मा को विकास संवाद संविधान फैलोशिप

द सूत्र की सीनियर रिपोर्टर रुचि वर्मा को संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्‍य से शुरू की गई विकास संवाद संविधान फैलोशिप-2022 प्रदान की गई है। ये फैलोशिप उन्हें सामाजिक विकास, शोध, दस्तावेजीकरण और संवाद समूह के रूप में काम करने वाले संस्थान विकास संवाद ने प्रदान की है। ये फैलोशिप एक साल के लिए है। इस फैलोशिप के लिए रुचि वर्मा का चयन महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण, बाल-अधिकार, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य (खासकर मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य) और सरकारी नीतियों पर की गई उनकी खोजपरक पत्रकारिता के अनुभव, संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति समझ और इस दिशा में अब तक किए गए कार्य के आधार पर किया है। इनका चयन प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से मिले आवेदनों के विषय विशेषज्ञों की जूरी के सामने प्रेजेंटेशन एवं इंटरव्यू के बाद किया गया है। फैलोशिप के लिए विषय विशेषज्ञों की जूरी में वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकांत नायडू, एनके सिंह और श्रावणी सरकार शामिल थीं। एक साल की फैलोशिप के दौरान रुचि महिला-सशक्तिकरण पर काम करेंगी।

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राहुल शर्मा को अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क की फैलोशिप

द सूत्र के सीनियर रिपोर्टर राहुल शर्मा को पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क ने वायु प्रदूषण पर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करने के लिए फैलोशिप एवं 1 हजार यूएस डॉलर की ग्रांट दी है। बता दें कि अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क पर्यावरण के मुद्दों से संबंधित पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए दुनियाभर में काम करता है। पर्यावरण से संबंधित खबरों के लिए अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क ने स्टोरी आइडिया आमंत्रित किए थे। विषय विशेषज्ञों द्वारा सभी आवेदनों के मूल्यांकन एवं इंटरव्यू के आधार पर फैलोशिप के लिए अंतिम चयन किया गया है। बता दें कि डिजिटल मीडिया हाउस द सूत्र अपनी स्थापना की शुरुआत से ही अपनी एडिटोरियल टीम के सदस्यों को जनसरोकार से जुड़े गंभीर मुद्दों पर खोजपरक मैदानी पत्रकारिता के लिए लगातार प्रोत्साहित करता है।

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