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भ्रामक खबरों के सहारे हासिल की जाने वाली रेटिंग!

जयप्रकाश पाल-

टीवी चैनलों के विज्ञापनदाता क्या मनगढ़ंत सामग्री से प्रभावित होकर चैनलों को विज्ञापन जारी करते है। रुस यूक्रेन युध्द के मध्य कुछ टीवी चैनलों पर प्रसारित फर्जी खबरों को देखकर तो यही लगता है। टीवी चैनल उस बार्क रेटिंग को आधार बना कर विज्ञापन हासिल कर रहे है जो पूरी तरह से फर्जी खबरों पर आधारित है।

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समाचार चैनलों की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले अधिकांश लोग यह जानते है कि ब्राडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च कॉउंसिल (बार्क) व्दारा साप्ताहिक आधार पर टीवी चैनलों के लिए जो रेटिंग जारी की जाती है उसी के आधार पर उन्हें विज्ञापन हासिल होते है। बार्क एक स्वतंत्र संस्था है मगर उसकी विश्वसनीयता पर भी पिछले कुछ दिनों से प्रश्न चिन्ह लगा है। यह प्रश्न चिन्ह लगाने का काम भी टीवी चैनल ही कर रहे हैं। विज्ञापनदाता अपने विज्ञापनों को जारी करने के लिए बार्क से ही टीवी चैनलों और उनके कुछ चुनिंदा कार्यक्रमों का डाटा लेकर एड जारी करते है।

पिछले दो महिनों से टीवी-9 भारतवर्ष और रिपब्लिक टीवी चैनल रुस यूक्रेन युध्द की खबरों को दिखाने के आधार पर दावा कर रहे हैं कि उनकी खबरों को दर्शकों ने सबसे ज्यादा पसंद किया। बार्क ने उन्हें इस आधार पर रेटिंग भी प्रदान की जिसके विश्लेषण के बाद उन्हें भारी संख्या में विज्ञापन भी हासिल हुए। मगर यहा एक बड़ा सवाल यह हैं कि जिन खबरों को भारत सरकार और रुस भी फर्जी बता रहा है। ऐसी खबरों को बार-बार दिखाने पर सरकार ने टीवी चैनलों को एक कड़ी एडवाइजरी भी जारी की है। ऐसे में बार्क की इस रेटिंग का क्या औचित्य रह जाता है।

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मतलब साफ है कि फर्जी और बिना आधार और तथ्यों के बनी खबरों को दिखा कर दर्शकों को भी भ्रमित किया जा रहा है। ऐसी भ्रामक खबरों को लोकप्रियता का पैमाना बना कर अगर बार्क रेटिंग जारी करेगी तो उस पर भी सवाल खड़ें होंगे। टीवी-9 भारतवर्ष और रिपब्लिक टीवी अगर इस तरह से विज्ञापनदाताओं और दर्शकों को भरमाने का काम करेंगे तो फिर बार्क की रेटिंग के मापदंड की सत्यता निरर्थक साबित होगी। इन चैनलों की इस चाल को अन्य चैनल भी भलीभांती समझ रहे हैं मगर अपनी छवि और ब्रांड वल्यू को लेकर वह चुप है। मगर कुछ टीवी चैनलों ने इस भारी हेराफेरी को लेकर बार्क और कॉरपोरेट विज्ञापनदाताओं के समक्ष अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई है। जिसके बाद विज्ञापनदाताओं ने इन चैनलों के असामान्य डाटा का विश्लेषण करने पर पाया कि यू-ट्य़ूब चैनलों पर प्रसारित फर्जी खबरों और उनके द्वारा परोसी जा रही सामग्री में तनिक भी फर्क नहीं है।

बीते दिनों भारत सरकार ने बहुत सारे ऐसे सक्रिय यू-ट्यूब चैनलों को बंद करवाने का काम किया जो लगातार नकली, भ्रामक, असत्य, तथ्यहिन, मनगढ़ंत और अपुष्ट सामग्री को लगातार प्रसारित कर बड़ी तादात में दर्शक और सब्सक्रिप्शन हासिल कर रहे थे। ऐसे यू-ट्यूब चैनलों पर तो सरकार का डंडा बहुत तेजी के साथ चला मगर इन दो टीवी चैनलों टीवी-9 भारत वर्ष और रिपब्लिक टीवी के मामले में सरकार की चुप्पी सभी को आश्चर्यचकित करती है। हालांकि सूचना प्रसारण मंत्रालय ने जो एडवाइजरी जारी की है वह सभी टीवी चैनलों के लिए है। मगर अच्छा होता अगर इन दोनों चैनलों के नाम के साथ सरकार इस एडवाइजरी जारी करती।

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टीवी चैनलों की कमाई का सीधा आधार विज्ञापन से ही जुड़ा है। विज्ञापनदाता अपने प्रोडक्टस का विज्ञापन उसी चैनल पर देना पसंद करते है जिसे दर्शक सबसे ज्यादा देखतें हैं। मगर अपने चैनल को पॉपुलर करने के लिए भ्रामक खबरों का सहारा शायद ही कोई चैनल लेता है। हालांकि टीवी-9 भारतवर्ष और रिपब्लिक टीवी ने इस अपवाद को तोड़ दिया। उन्होंने साबित कर दिया कि भ्रामक और झूठी सनसनी फैलाने वाली खबरों को दिखाने में उनका कोई सानी नहीं है।

बीते दिनों मुंबई पुलिस ने रेटिंग स्कैम को पकड़ कर रिपब्लिक टीवी की कार्यप्रणाली और बार्क पर भी सवाल खड़े किए थे। पहले व्यूअरशिप के आंकड़ो में हेराफेरी। और अब असत्य खबरों का प्रसारण कर रेटिंग हासिल करने का खेल यह बार्क के मॉनिटरिंग सिस्टम पर भी सवाल खड़े करता है। मगर इस मामले में सबसे ज्यादा दोष इन दो टीवी चैनलों का ही है जो रेटिंग के बादशाह होने का दावा झूठी खबरों के आधार पर करते हैं। आज देश में 200 से अधिक क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय न्यूज चैनल है जिनमें से अधिकांश बंद होने के कगार पर खड़े है। क्योंकि टीवी-9 भारतवर्ष और रिपब्लिक टीवी जैसे चैनल उनके हिस्से के विज्ञापनों पर डाका डाल रहे है।

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रिपब्लिक टीवी और टीवी-9 भारतवर्ष अपने इस आचरण से बहुत खुश है, क्या उनकी खुशी का आधार सही है। क्या वाहियात, झूठी, बनाई हुई, आधारहीन और गैर जरूरी खबरों को दिखा कर खुश हुआ जा सकता है। झूठ का यह घृणित व्यापार बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता। रुस और यूक्रेन युद्ध के मध्य जिस अराजकता का परिचय इन दोनों टीवी चैनलों ने दिया है उससे दूसरे टीवी चैनलों के बीच तू-तू-मैं-मै और बढ़ने की उम्मीद है। मीडिया वैसे भी घनघोर अविश्वसनीयता के बीच जी रहा है इन दोनों टीवी चैनलों ने इस संकट को और ज्यादा बढ़ा दिया है।

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1 Comment

1 Comment

  1. अभिषेक

    April 30, 2022 at 2:18 pm

    शर्म हया छोड़कर बेहयाई का नमूना अगर पाल जी पेश करने पर आमदा हो तो क्या भूल गए कि 24 फरवरी से लेकर 16 अप्रैल तक लगातार आपके मुताबिक वाले न्यूज़ चैनल पर भी इंटरनेशनल कवरेज ही चल रहा था…रही बात झूठ और फर्जीवाड़े की तो उतरो मैदान में और बताओं कौन सी खबर झूठी थी…दिन रात हिंदू मुसलमान…और देश तोड़ना ही टीआरपी का आधार है तो थूकता हूं तुम्हारी सोच पर…शर्म करो.. आज जो बिल में चुटियां काट रही हैं न, उसका कारण जानता हूं..मगर ध्यान रखना कि जितनी आलोचना करोगे, हम तुम्हारा उतना ही स्वागत करेंगे..बाकि सुशांत से लेकर लाउडस्पीकर तक में जो तक-धिना-धिन तुम लोग कर रहे हो…वो भी देश और दुनिया देख रही है

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