प्रिय साथियों,
सबसे पहले आभार उनका जो यूपी प्रेस क्लब के लिए आवाज उठाने पर मुझे मिले धमकियों के मद्देनजर मेरे साथ खड़े हुए। वरिष्ठ, समकालीन और जूनियर बहुत से पत्रकार साथियों ने फोन कर मेरा समर्थन किया और मदद में साथ रहने की बात कही। मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति, जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन आदि संगठनों ने बयान जारी धमकी की भर्त्सना की।
अब सवाल यह कि क्या यूपी प्रेस क्लब को लेकर मैने जो सवाल खड़े किए हैं वो बेजा हैं, स्वार्थ प्रेरित हैं, किसी के उकसावे पर हैं या झूठे हैं। क्या वाकई यूपी प्रेस क्लब व्यापक सर्जरी मांगता है। क्या यूपी प्रेस क्लब को समावेशी, कानून सम्मत और लोकतांत्रिक नही होना चाहिए।
मित्रों चंद बिंदुओं के जरिए मैं कुछ बाते आपके सामने रखता हूं।
1. चाइना बाजार गेट के नाम से कहे जाने वाले भवन पर व उससे सटी जमीन को यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के नाम पर 60 के दशक में तत्कालीन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट (अब लखनऊ विकास प्राधिकरण) को पत्रकारों के मनोरंजन, सामाजिक गतिविधियों के संचालन आदि के लिए 10 सालों की लीज पर दिया गया था।
2. यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने चाइना बाजार गेट भवन में यूपी प्रेस क्लब का संचालन शुरु किया हालांकि उक्त क्लब को न तो रजिस्ट्रार सोसायटी के यहां पंजीकृत कराया गया न किसी अन्य सांवैधानिक संस्था से।
3. चाइना बाजार गेट भवन की 10 सालों की लीज 1978 में समाप्त हो गयी इसके वाद यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने इस लीज का नवीनीकरण नही कराया। यानी कि 39 सालों से यूपी प्रेस क्लब अवैध कब्जेदारी वाले भवन से संचालित होता आ रहा है।
4. लीज की अवधि समाप्त होने के बाद एलडीए ने एक पत्र भेज कर यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन को चाइना बाजार गेट भवन को निर्धारित राशि जमाकर अपने पक्ष में फ्री होल्ड कराने का निर्देश दिया। इस पत्र पर कोई कारवाई यूपी प्रेस क्लब अथवा यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट की ओर से नही की गयी।
5. वर्ष 1983 में यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के तत्कालीन महामंत्री रवींद्र सिंह (वर्तमान में यूपी प्रेस क्लब के अध्यक्ष) व हसीब सिद्दीकी, तत्कालीन सचिव यूपी प्रेस क्लब (वर्तमान में यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष) के हस्ताक्षर युक्त एक पत्र एलडीए को इस अनुरोध के साथ भेजा गया कि चाइना बाजार गेट भवन की लीज नवीनीकरण पुराने किराए व शर्तों के आधार पर कर दिया जाए।
6. उक्त पत्र व अनुरोध पर एलडीए ने कोई सहमति नही दी और बीते 39 सालों से यूपी प्रेस क्लब के नाम से इस्तेमाल हो रहा चाइना बाजार गेट भवन बिना वैध लीज के अवैध कब्जेदारी में चल रहा है।
7. यह कि 1978 में लीज की अवधि समाप्त हो जाने के बाद यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन और यूपी प्रेस क्लब ने अवैधानिक रुप से क्लब की जमीन को कुछ हिस्से में दस्तख्रखान नाम के नानवेज रेस्टोरेंट खुलवा दिया और बाद में सरकारी जमीन पर ओपन एयर रेस्टोरंट के नाम एक और मांसाहारी भोजनालय खुलावा दिया। उक्त दोनो प्रतिष्ठानों से यूपी प्रेस क्लब हर महीने 70000 रुपये की धनराशि किराए के तौर पर वसूलता है।
8. लीज की शर्तों के विपरीत, सरकारी भवन में अवैध कब्जेदारी के साथ चलाए जा रहे यूपी प्रेस क्लब में नीचे और उपर के हालों को प्रति दो घंटे प्रतिदिन के लिए 2500 रुपये किराए पर दिया जा रहा है। यहां तक की पत्रकारों के लिए मनोरंजन व सामाजिक गतिविधियों के संचालन के लिए दिए गए इस भवन में शैक्षिक, पत्रकारिता से संबंधित सभा, सेमिनार आदि के लिए भी पत्रकारों को यह अवैध शुल्क चुकाना पड़ता है।
9. इतना ही नही यूपी प्रेस क्लब में पत्रकारों के ठहरने के नाम पर दो एसी रुम व दो नान एसी रुम निर्मित हैं जिनका किराया क्रमश 350 रुपये व 150 प्रतिदिन वसूला जाता है।
10. किराए की रसीद के नाम पर यूपी प्रेस क्लब सर्विस चार्ज का नाम लिखता है और बैलेंस शीट में यही दिखाया जाता है। वैलेंस शीट में सर्विस चार्ज दिखाने के बाद भी यूपी प्रेस क्लब के पास केंद्रीय कानूनों के मुताबिक सर्विस टैक्स वसूलने का कोई पंजीकरण नही है।
11. यूपी प्रेस क्लब के 1984 मे निर्वाचित अध्यक्ष मदनमोहन बहुगुणा ने इसे बाकायदा एक संविधान के साथ रजिस्ट्रार सोसाइटीज के यहां पंजीकृत कराया था पर तीन साल बीत जाने के बाद से उक्त सोसायटी का नवीनीकरण ही नही कराया गया। साफ है कि तब से 30 सालों से अधिक समय से बिना किसी पंजीकरण के यूपी प्रेस क्लब महज एक किटी पार्टी समूह की तरह ही संचालित की जा रही है।
12. इतना ही नही इस समूह जिसे हम प्रेस क्लब के नाम से जानते हैं के चुनाव बिना किसी वैध संविधान के कराए जाते हैं और इसकी भी कोई अवधि तय नही है। यूपी प्रेस क्लब के निर्वाचित अध्यक्ष रामदत्त त्रिपाठी को दो साल से भी कम अवधि में हटाकर चुनाव करा दिया गया जबकि वर्तमान अध्यक्ष रवींद्र सिंह व सचिव जोखू प्रसाद तिवारी 2010 यानी सात सालों से ज्यादा समय से बिना चुनाव कराए अपने पदों पर काबिज हैं।
13. अब सबसे अहम यह कि चाइना बाजार गेट भवन की स्वामी संस्था एलडीए ने साफ नोटिस भेज कर यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी से उक्त भवन को खाली करने, अवैध कब्जा छोड़ने को कहा है। एलडीए को इस भवन का बीते 39 सालों का बाजार दर से करोड़ों रुपये का किराया भी वसूल करना है। इतना ही नही एलडीए ने इस जमीन पर अवैध रुप से चल रहे दोनो मांसाहारी होटलों को बंद करने के भी आदेश दे रखे हैं।
14. साथियों बतौर पत्रकार हम रोज अवैध कब्जों, सरकारी राजस्व को क्षति पहुंचाने वालों, सरकारी संपत्ति का अवैध व्यावसायिक इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ खबरे छापते हैं पर अपने खुद के प्रतिष्ठान की दशा क्या है इस पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है।
महोदय मेरा यूपी प्रेस क्लब की तमाम अनियमितताओं को उजागर करने का उद्देश्य केवल एक बड़ी संस्था को कानून कायदे के दायरे में लाना, वैध तरीके सं संचालन और सभी पत्रकारों तक उसकी पहुंच बनाना है। हंसी आती है कि धमकी देने वाले लोग मुझे कहते हैं कि चुप रहो वरना प्रेस क्लब न हमारा होगा न तुम्हारा बल्कि सरकार के कब्जे में चला जाएगा। क्या प्रेस क्लब को अवैध तरीके से संचालित करते रहना, गैरकानूनी तरीके से उसका व्यावसायिक इस्तेमाल करते रहना, लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोटते हुए वास्तविक पत्रकारों को इससे दूर रखना पत्रकारों की हित सेवा है।
यदि आपकी नजर में मेरे द्वारा उठाए गए सवाल बेमानी और निजी स्वार्थ हैं तो आपका जो आदेश होगा वो सर माथे पर…
आपका ही
मोहम्मद कामरान
लखनऊ
9335907080