जन अधिकार मंच के अध्यक्ष अनिल कुमार मौर्य ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली और प्रमुख सचिव चिकित्सा, लखनऊ से शिकायत की है कि मरीजों के इलाज में सरकारी चिकित्सालय जान से ही नहीं, जेब से भी खेल रहे हैं।
उन्होंने बताया है कि गत दिनो उनकी पत्नी किरन मौर्य पेट दर्द होने पर वाराणसी जनपद के कबीरचौरा स्थित सरकारी चिकित्सालय में सुबह 10 बजे पहुंचीं तो वहां महिला चिकित्सक ने सिर्फ दवा देकर वापस कर दिया। पत्नी ने कहा भी कि पेट ज्यादा दर्द कर रहा है, उसके बाद भी उस महिला चिकित्सक ने नहीं सुनी। रास्ते में पत्नी की तबीयत ज्यादा ख़राब होने पर गिलट बाज़ार, शिवपुर स्थित प्राइवेट हिवेल हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। वहाँ कम से कम 10 हजार का बिल की बात सुनकर होश फाख्ता हो गए। इतनी बड़ी धनराशि गरीब मरीज कहाँ से देगा?
उनका कहना है कि कई दिनो से उनकी पत्नी को बोतल चढ़ायी जा रही है। उनका अल्ट्रासाउंड भी हुआ, जिसके 500 रुपए देने पड़े। उनकी पत्नी तीन माह की गर्भवती भी हैं। उसके बावजूद कबीरचौरा हास्पिटल की महिला चिकित्सक द्वारा जल्दी में कहीं घूमने जाने की वजह से उनकी पत्नी का ठीक ढंग से इलाज नहीं किया गया। आखिर इन्हें वेतन किस बात का मिलता है या फिर ये सभी चिकित्सक उत्तर प्रदेश की समजवादी पार्टी सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसा व्यवहार मरीजों के साथ कर रहे हैं। सीधे-सीधे ये गरीब मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
क्या इन सरकारी चिकित्सकों के बच्चे मर चुके हैं जो इन्हें आम गरीब मरीजों के जीवन की कोई परवाह नहीं है। कृपया जाँच कर उचित कार्यवाही करने की कृपा करें और उपरोक्त हिवेल हॉस्पिटल में मेरी फीस कम करायें।
पीड़ित अनिल कुमार मौर्य से संपर्क : 91-9125040585