निवेशकों को पैसे का इंतजार, सरकार बनी तमाशबीन
दबंग दुनिया : उन्मेष गुजराथी
मुंबई : हजारों निवेशकों को सस्ते दर पर भूखंड देने के नाम पर ‘मैत्रेय’ के सर्वेसर्वा वर्षा मधुसुधन सत्पालकर ने अवैध रूप से करोड़ों रुपए की माया जमा किया। उसके खिलाफ ठाणे पुलिस ने लुक आउट नोटिस भी जारी किया, लेकिन वह आज भी फरार है। आरोप है कि सरकार, पुलिस और आरोपी के बीच सांठगांठ होने से उसको पकड़ना नामुमकिन हो रहा है।
सरकर पर संदेह व्यक्त : वर्षा सत्पालकर कंपनी की मैनेजिंग डाइरेक्टर है। वर्षा सहित कुल छह लोगो के खिलाफ मामला दर्ज है। ठाणे आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले में विजय तावरे और लक्ष्मीकांत नार्वेकर को गिरफ्तार किया था जिसके बाद दोनों ठाणे जेल में बंद हैं। पुलिस ने वर्षा को कोंकण परिसर के विभिन्न संभावित स्थानों पर खोजबीन की लेकिन कोई सुराग नहीं लगा है। आखिर गत वर्ष पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बावजूद जमानत क्यों दिया गया। इस को लेकर अब सरकर पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है।
न्यायलय के आदेश को किया दरकिनार : मैत्रेय कंपनी द्वारा किए गए ठगी के खिलाफ नाशिक में नागरिको ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद न्यायलय के सामने वर्षा सत्पालकर की तरफ से सभी निवेशको का पैसा वापस करने का एफिडेविट दिया गया था, लेकिन कंपनी की तरफ से निवेशको को दिया गया चेक बाउंस हो गया। इसके बाद वापस निवेशकों ने राज्य सरकार और पुलिस से शिकायत किया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। निवेशक अभी भी पैसा वापस आने के इंतजार में हैं।
शुरू किया था मीडिया हाउस : 13 लाख निवेशकों को करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाला महेश मोतेवार आज जेल की हवा खा रहा है। उसने अपने काले धंधे को बढ़ने में और सरकारी अधिकारियों पर दबाव डालने के लिए मी मराठी, लाइव इंडिया नाम से मीडिया हाउस चलाए थे। इसके संपादकीय बोर्ड पर पूर्व सांसद भारत कुमार राउत, पत्रकार निखिल वागले, कुमार केतकर शामिल थे जो कि मोतेवार की काली करतूतों को बढ़ावा देते थे और सरकार दरबारी उसके लिए लाइजनिंग करते थे।
अनदेखा कर राज्यसभा भेज दिया : जैसे ही मोतीवार जेल गया उसके बाद से सभी उसके चमचे पत्रकार आज भी बेरोजगार घूम रहे है। कांग्रेस ने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दर किनार करते हुए काली करतूत वाले केतकर को उसके कुकर्म को अनदेखा कर राज्यसभा भेज दियो यदि लोकशाही प्रभावी होती तो तीनो कुख्यात पत्रकार आज मोतेवार के साथ जेल गए होते।
‘पद्मश्री’ की खैरात में शामिल : लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि जिंदगी भर संघ परिवार को गाली देकर निगेटिव पब्लिसिटी पाने वाले केतकर को बाजपेयी की भाजपा सरकार ने पद्मश्री की खैरात में शामिल किया था। केतकर तो स्वार्थी थे उन्होंने पुरस्कार स्वीकार कर लिया, लेकिन कट्टर संघ कार्यकर्ता आज भी भाजपा की इसी नीती से नाराज है।
कुख्यात पत्रकारों को भी भेजे जेल : मोतेवार ने लाखों जरुरतमंद निवेशकों को करोड़ों का चूना लगाया है। इस मामले में महाराष्ट्र प्रोटेक्शन आॅफ डेपोसिटर्स एक्ट (एमपीआईडी) लागू करना चाहिए। इतना ही नही बल्कि लाखों निवेशको के मेहनत की कमाई को लूटकर मोतेवार ने तीनो कुख्यात पत्रकारों को काम पर रखा थो इसलिए उनके खाते से निवेशकों का लूटा हुआ पैसा जप्त किया जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता 120 (बी) के अनुसार साजिश रचने वाला और उसे सहयोग करने वाला भी उतना ही दोषी होता हैे। जिस तरह मोतेवार जेल की हवा खा रहा हैे ठीक उसी तरह इन तीनो कुख्यात पत्रकारों को भी जेल भेजना चाहिए। इसके साथ ही इनकी कथित अवैध संपत्ति की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए।
पुलिस और विपक्षी दलों पर संदेह : महेश मोतेवार जैसे चिटफंड वाले आज जेल में है लेकिन उसकी पूर्ण संपत्ति अभी तक जप्त नही हुई है। लाखों निवेशक आज भी पैसा वापसी के इंतजार में है। सरकार, विरोधी दल, सरकारी अधिकारी सहित सेबी को भी सब कुछ चुपचाप तमाशा देखने का पैसा मिल रहा है। इसलिए निवेशको का आज भी पैसा वापस नही मिल सका है।
पेण बैंक घोटाला, नहीं मिला पैसा : रायगढ़ जिले की लाइफलाइन समझे जाने वाली पेण अर्बन बैंक में 23 सितंबर 2010 को 700 करोड़ का घोटाला हुआ था। इस घटना को करीब आठ साल बीत गए, लेकिन फिर भी सरकार और विपक्षी दल मौन धारण किए है। इस मामले को लेकर सरकार द्वारा कई बैठक भी की गई जिसमे कई दिखावे के निर्णय लिए गए लेकिन लोगों को फिर भी उनका पैसा वापस नहीं मिला।
आरोपी घूम रहे खुलेआम, सो रही सरकार : सत्पालकर का साथ देने वाले तांडेल, इंगले, शिंदे और उसका भाई यह सब आज भी खुलेआम घूम रहे है, लेकिन पुलिस और सरकार अनदेखी के कारण इन सभी के खिलाफ अभी तक कार्यवाई नही शुरू की गई है। आखिरकार कुम्भकर्णी नींद सो रही सरकार इन सब मामलों पर कब ध्यान देगी।
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट दिलीप इनकर कहते हैं- ”इसी तरह का एक चोर नीरव मोदी भी था जो कि सरकार की मदद से देश छोड़कर फरार हो गया। इसके बाद सरकार ने दिखावे की कार्रवाई करते हुए उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया, लेकिन देश की जनता ने जो मेहनत की कमाई चौकीदार के भरोसे सुरक्षित समझी थी वो तो वापस नहीं मिल सकी। महाराष्ट्र में सत्पालकर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में बेल मिलने के बाद से फरार हो गई। इस तरह से कई ऐसे मामले है जिसमे सरकार और सरकारी लोगों की मिलीभगत से कई लोग देश की आर्थिक स्थिति को खराब करने में लगे हुए हैं, लेकिन सरकार सहित विपक्ष फिर भी चुप है, क्योंकि असली खलनायक तो आखिर वही हैं।”
लेखक उन्मेष गुजराथी दबंग दुनिया अखबार के मुंबई एडिशन के स्थानीय संपादक हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.