विक्रम नारायण सिंह चौहान-
चार वीराँगनाओं का संघर्ष अपनी आँखों से देख पा रहा हूं. इनके पति जेल में है सरकार से लड़ते हुए, सरकार का जुल्म सहते हुए.ये वीराँगनायें पति की रिहाई के लिए अदालतों का चक्कर काट रहीं, बच्चों को सम्हाल रहीं,पढ़ा लिखा रहीं,मीडिया को सच लिखने झकझोर रहीं और खुद को सरकार से लड़ने हर दिन और मजबूत बना रहीं. अब ये मानकर चलिए सरकार से इनकी ही सीधी लड़ाई है.
संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट
1775 दिन से संजीव भट्ट जेल में हैं. उन्हें 33 साल पुराने कथित हिरासत में मौत मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है,ड्रग्स केस के साथ गुजरात दंगों का एक केस और जोड़ दिया गया है तब भी उनकी पत्नी श्वेता भट्ट विचलित नहीं है,वह लड़ रही हैं पूरी ताक़त के साथ.दोगुनी ताक़त के साथ.उनकी लड़ाई किसी आम इंसान से नहीं है.लेकिन फिर भी श्वेता भट्ट उम्मीद करती है कि देश की जनता उनका साथ दें.इसी उम्मीद में वे पोस्ट लिखती है,कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी हाई कोर्ट का चक्कर काट रही है. उनको ,उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई.लेकिन पुलिस से,अदालत से सुरक्षा मांगने पर भी उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई.एक अकेली महिला सच के लिए लड़ रही है सर्वोच्च सत्ता के खिलाफ.उनके साथ कोई नहीं है.वह भी उस देश में जहाँ स्त्री को देवी का दर्जा दिया जाता है.सोनी सोरी,सुधा भारद्वाज भी अकेली ही लड़ी थीं, लड़ रही है.आप सोचिए कैसे धीरे-धीरे आप मुर्दा बना दिये गए.यह वक़्त श्वेता भट्ट के साथ मजबूती से खड़ा होने का है.संजीव भट्ट को अदालत से सिर्फ तारीख मिल रही है…और उनकी पत्नी श्वेता भट्ट को हर एक पेशी, जमानत की सुनवाई टलने के बाद अगले कदम की दृढ़इच्छा. हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के सौतेला व्यवहार के बावजूद वे टूटी नहीं हैं और न ही संजीव भट्ट के चेहरे से मुस्कान और हौसला गायब हुआ है.संजीव भट्ट उनकी पत्नी श्वेता, उनके बेटे शांतनु और बेटी आकाशी बहुत बहादुर हैं. बिटिया आकाशी ने तो पिछले दिनों मोदी को अमेरिका प्रवास पर ही सीधी चुनौती दे दी.ये अलग ही मिट्टी के बने लोग हैं.मोदी इस परिवार की बहादुरी से गुजरात से डरता आया है.इस बहादुर परिवार का साथ देश के सभी लोगों को देना चाहिए.
जी एन सांईबाबा की पत्नी बसंता कुमारी
बसंता कुमारी प्रोफेसर जी एन साईबाबा की पत्नी हैं.उनके हर संघर्ष में उसी तरह साथ हैं जैसे श्वेता भट्ट संजीव भट्ट के साथ हैं. नौ साल से वे प्रोफेसर साईबाबा के लिए न्याय मांगती कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी हाई कोर्ट का 50 बार चक्कर काट चुकी हैं.डीयू से प्रोफेसर निलंबित किये गए. कुछ वेतन मिलता रहा जिससे खर्च चलता रहा, फिर सेवाएं ही खत्म कर दी गईं. प्रोफेसर की एक बेटी हैं जो जामिया से एम फिल कर रही हैं. बेटी आधे समय माँ के साथ ही अदालतों का चक्कर काटती हैं. प्रोफेसर साईबाबा की माँ का पिछले साल निधन हो गया, अदालत ने माँ के अंतिम संस्कार के लिए भी उन्हें तीन दिन नहीं दिया.अदालत न्याय देने के लिए बना था, लेकिन 90 फीसद विकलांग को जेल में सड़ाकर मारने के सरकार के फैसले में अदालत साथ दे रही हैं. इसी तरह स्टेन स्वामी को मारा गया. बसंता आप बहूत बहादुर हैं बिलकुल अपने पति प्रोफेसर साईबाबा की तरह.इस देश के लोगों को खोखले लोगों को साथ देने, उन्हें हीरो बनाने की आदत हैं.ये वही देश हैं जहाँ इरोम चानू शर्मीला को 90 वोट मिले थे. 5 साल बाद एक दिन रिहाई की खबर फिर अगले ही दिन इस पर रोक से आप माँ बेटी को किस दर्द से गुजरना पड़ रहा यह वही समझ सकता हैं जिनका अपना कोई बेगुनाह जेल में हो. हम गिनती के लोग आपके साथ हैं.
रुपेश कुमार सिंह की पत्नी इप्सा शताक्षी
17 जुलाई को साथी रुपेश कुमार सिंह को UAPA में जेल गए एक साल हो गए. इससे पहले भी उनकी गिरफ्तारी हुई थी. रुपेश की जनपक्षधर की पत्रकारिता से देश की सरकार, राज्य की सरकार डरती है. रुपेश की जीवनसाथी कॉमरेड इप्सा शताक्षी जिस तरह की बहादुरी से सरकार से लड़ रहीं है वो इस मुर्दा हो चुकी पीढ़ी को देखना चाहिए शायद देखकर फिर से जिंदा होना चाहेंगे. कॉमरेड इप्सा रुपेश के जेल जाने के दिन से जमीन से लेकर सोशल मीडिया तक सक्रिय हैं अपनी आवाज बुलंद कर रहीं है. बच्चे के परवरिश, बिना पिता के उन्हें वहीँ प्यार देना और जमाने से टक्कर लेना विरले है. बाहर से संघर्ष एक दो लाइन में बयां हो जाता है लेकिन जो इंसान इसे जी रहा है वहीँ बता सकता है कितना मुश्किल भरा है यह संघर्ष का रास्ता. जिसमें आदिवासियों के हक़ के लिए लड़ना शामिल है. साथी इलिका प्रिय इप्सा के साथ है. और वे चंद लोग भी शामिल है जो जिंदा है.
खालिद सैफी की पत्नी नरगिस खालिद सैफी
मेरी बहन नरगिस बेहद भावुक और संवेदनशील है. खालिद को दिल्ली दंगे मामले में इस तानाशाही सरकार ने 41 माह से कैद कर रखा है.खालिद के खिलाफ एक सबूत नहीं है फिर भी! खालिद की कई बार जेल में तबियत ख़राब हो चुकी है. अचानक रात को खालिद का हाल बयां करते नरगिस का पोस्ट देखकर सिहर जाता हूं. खालिद के चेहरे को पढ़ा जा सकता है अपने पत्नी और मासूम बच्चों से दूर रहना कितना दर्दभरा है. सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिलती क्योंकि टोपी और दाढ़ी वाले पक्के मुसलमान हैँ, संघियों को चुभने वाली बात यह कि देश के लिए मर मिटने की सोच है खालिद भाई की . इतनी अच्छाई अब अदालतों को बूराई लगती हैं इसलिये सरकार के UAPA लगाने को सही मानती हैं और एक आतंकवादी की तरह उनके साथ व्यवहार करती हैं.लोग बड़ी बातें करते हैँ, अदालत की हर सुनवाई आशा और निराशा एक ही दिन झेलना. हारकर फिर वकील के साथ अगली सुनवाई और जमानत की तैयारी जिंदगी के कई मोड़ दिखा देती है.नरगिस को वकील के रूप में दोस्त मिले है, लेकिन अगर वकील अच्छा न हो तो केस के आखिर तक ताने, सवाल और अपमान फैसले से पहले हर रोज सुनना पड़ता है.स्पेशली मुसलमानों को! हथकड़ी में अपने को देखना भी रुँआँसा, बेबस कर देता है, मुट्ठीयां भींच जाती हैं. बगावत यही से जन्म लेता हैं.खालिद के ऊपर लगाए सभी इल्जाम झूठे हैँ, फर्जी हैं. वह एक सच्चा मुसलमान हैं जो देश से बेहद प्रेम करता हैं. जेल के अंदर कैद इंसान के लिए जेल के बाहर भी सिस्टम से लड़ना पड़ता है जो लड़ती है पत्नी .बेगुनाह को बेगुनाह साबित करना सबसे बड़ा चैलेंज है.बहन नरगिस और उनके बच्चों को देखकर मैं अक्सर भावुक हो जाता हूं. सही मायनों में ये लोग असली वीरांगना है.
umendra singh
July 21, 2023 at 8:47 pm
ये लेखक तो बागेश्वर बाबा लग रहा है, सब जान रहा की कौन देश भक्त है, किसको फर्जी जेल में रखा गया है, जज चुटिए हैं, बस इसी को सब पता है। खालिद तो इतना देश भक्त है की अपने घर का रिश्ता लेकर चले जाए इसका बस चले तो।