लखनऊ : राष्ट्रीय सहारा लखनऊ के प्रबंधक रहे राजेंद्र द्विवेदी ने अखिलेश दास के अखबार ‘वॉयस ऑफ लखनऊ’ को ग्रुप हेड के रूप में ज्वॉइन कर लिया है. वह ‘वॉयस ऑफ लखनऊ’ के हिंदी और उर्दू दोनों संस्करणों का दायित्व संभालेंगे. इसके साथ सहारा के उर्दू अखबार में कार्यरत रहे सलाम खान ने ‘वॉयस ऑफ लखनऊ’ के उर्दू एडिशन का संपादक पद संभाल लिया है.
गौरतलब है कि चार माह पूर्व जब द्विवेदी राष्ट्रीय सहारा लखनऊ के प्रबंधक थे, उन्हें जयव्रत रॉय का कोई व्यक्तिगत काम न करवा पाने का खामियाजा नौकरी देकर चुकाना पड़ा था. उन्होंने लिखित इस्तीफा भी बाद में दे दिया था, लेकिन प्रबंधन उससे अनभिज्ञ बना रहा. पिछले दिनो ‘वॉयस ऑफ लखनऊ’ के मालिक अखिलेश दास से मुलाकात के बाद द्विवेदी ने नया अखबार ज्वाइन कर लिया.
इसी तरह तीन माह पूर्व सहारा उर्दू के एडिटोरियल हेड सलाम खान की प्रबंधन से शिकायत की गई थी कि वह अपनी पत्नी के नाम से किसी उर्दू अखबार को रजिस्टर्ड कराए हैं, जिसका नाम सहारा से मिलता जुलता है. इसके बाद सलाम खान को हटा दिया गया था. अब वह’वॉयस ऑफ लखनऊ’ का उर्दू संस्करण संभालेंगे.
रेखा सिन्हा और रामेंद्र सिंह के बाद राजेंद्र द्विवेदी भी सहारा छोड़ चले!
सहारा समूह की स्थिति दिन पर दिन खराब होने से यहां से लोगों का जाना लगातार जारी है. एक कहावत है जहाज जब डूबने को होता है तो सबसे पहले चूहे भागते हैं लेकिन सहारा मीडिया के साथ कुछ उल्टा ही हो रहा है. यहां कैप्टन टाइप के लोग ही जहाज को मझधार में छोड़ कर भागने लगे हैं. ताजा मामला राजेंद्र द्विवेदी का है. सहारा की आज हर यूनिट में भगदड़ मची है. लखनऊ यूनिट से हाल ही में रेखा सिन्हा उसके बाद रामेन्द्र सिंह ने सहारा छोड़ा.
देहरादून जैसी छोटी-सी यूनिट में भी भगदड़ मची है. एक साल में दर्जनों लोगों ने सहारा का दामन छोड़ दिया. वाराणसी में भी स्थिति विस्फोटक रही. लगभग आठ दस संवादसूत्र लंबी छुट्टी पर रहे. कानपुर में भी एक कर्मचारी की संपादक से गरमा गरमी हो गई. नतीजा उसको नौकरी से हाथ धोना पड़ा. मजीठिया वेज बोर्ड के कारण किसी अखबार में भर्ती नहीं हो रही है. कहा जा रहा है कि सहारा में अब वही पड़ा है जिसको कहीं नौकरी नहीं मिल रही है.