मदन मोहन सोनी-
बुधवार को लोकसभा के अंदर और संसद परिसर के बाहर बेहद अजीब और अराजक नजारा देखने को मिला। दर्शक दीर्घा से दो लोग लोकसभा में कूद जाते हैं और स्प्रे करके धुआं-धुआं कर देते हैं। उधर संसद परिसर के बाहर भी हंगामे की खबर सामने आ जाती है।
ये वाकया उस दिन हुआ, जिस दिन संसद पर आतंकी हमले की बरसी थी। हालांकि किसी अनहोनी से पहले सासंदों ने घुसपैठियों को पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया, जिससे पूछताछ जारी है। इसी दौरान एक महिला संसद के बाहर ‘तानाशाही नहीं चलेगी…नहीं चलेगी’ और भारत माता की जय के नारे लगा रही थी। जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
इस घटना में चार लोग पकड़े गए। जो आरोपी पकड़े गए उनके नाम निकले….. सागर शर्मा, मनोरंजन डी, नीलम और अमोल शिंदे…..
कल्पना कीजिए कि अगर सागर की जगह सलमान, मनोरंजन की जगह मंजर, नीलम की जगह नाजिया और अमोल की जगह अरमान होता तो क्या होता….या इनमें से कोई एक भी उर्दू नाम वाला होता तो क्या माहौल होता !
हमारे देश की मीडिया अब तक कितना सांप्रदायिकता का नंगा नाच कर चुकी होती….पूरे मामले को सुरक्षा व्यवस्था की चूक से हटाकर इसका हिंदू मुसलमान कर दिया गया होता।
इण्डिया गठबंधन नाम के यूज़र ने इस मसले पर अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि शुक्र करो कोई मुस्लिम नहीं है… पता नहीं कौन कौन सा कनेक्शन निकाल लेते…
सँभल से समाजवादी पार्टी के नेता इकवाल महमूद ने कहा कि संसद हमले का आरोपी यदि मुस्लिम होता तो क़यामत आ जाती। जबसे मोदी जी की सरकार आई है तबसे मुसलमान अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है।अल्लाह का शुक्र है कि इनमें कोई भी मुस्लिम नहीं है। हर चीज़ को ये सरकार अलग नज़रिए से देखती है।किसी भी टीवी चैनल ने किसी भी अख़बार ने इन आरोपियों को पनाह देने वाले सांसद जो भारतीय जानता पार्टी के है की निंदा नहीं की है ना किसी ने अभी तक किसी एजेंसी ने उनकी जाँच की है कि किस आधार पर उनके पास जारी किये गये