कटिहार : पत्रकारों की डर्टी पॉलटिक्स का हब बनता जा रहा है कटिहार । इसमें एक नया अध्याय जुड़ गया है । कटिहार के आकाशवाणी और दूरदर्शन के स्ट्रिंगर मुकेश चौधरी ने पिछले दिनों व्हाट्सएप्प पर एक पोस्ट डाली, जिसमें वो कटिहार के तमाम वैसे पत्रकार, जो व्हाट्सएप्प पर ग्रुप का संचालन करते हैं, उस ग्रुप को फर्जी और उस पत्रकार को फर्जी करार दे दिया ।
जवाब में नीरज झा ने लिखा कि आकाशवाणी और दूरदर्शन के पत्रकार, जो सभी ग्रुप को और सभी पत्रकारों को फर्जी बता रहे हैं, उनके ऊपर हत्या का मामला कटिहार के नगर थाने में दर्ज है । इसके बाद मुकेश चौधरी ने कटिहार नगर थाने में ये FIR दर्ज कराई कि उनके ऊपर लगाये गए आरोप बेबुनियाद हैं, जिससे उनके मान सम्मान को क्षति पहुंची है। उनके ऊपर कोई मामला किसी थाने में कभी दर्ज नहीं था।
नीरज झा ने मुकेश चौधरी पर दर्ज हुए हत्या के मामले की FIR कॉपी सार्वजानिक करते हुए ये सवाल पूछ रहे हैं कि उन्होंने क्या गलत लिखा था । जबकि पुलिस रिकॉर्ड में हत्या का मामला मुकेश चौधरी पर है । गौरतलब है कि नीरज झा द्वारा किसी का नाम पोस्ट में नहीं लिखा था । वही दूसरी ओर पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पुलिस बार बार नीरज को प्रताड़ित करने में लगी है। ऐसा लगता है, जैसे मानो पुलिस किसी के व्यक्तिगत प्रभाव में आकर काम कर रही है। दोनों FIR की कॉपी यहां प्रस्तुत है । खुद देखा जा सकता है कि किसी पर हत्या का मामला दर्ज हो और ये कहना की अमुख व्यक्ति पर हत्या का मामला दर्ज था, ये कहाँ का गुनाह है । कटिहार पुलिस को आईटी एक्ट और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ पढ़ना चाहिए ताकि इस मामले में न्याय हो सके ।
Comments on “व्हाट्सएप्प की पोस्ट पर मुक़दमा, ग्रुप और पत्रकार फर्जी करार”
ये जिस नीरज झा के विषय में लिखा गया है उसपर खुद उसकी भाभी ने खुद उसके ऊपर यौनशोषण का मुकदमा किया है। जो की कटिहार अदालत में मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी के यहाँ दर्ज है। जहा तक मुकेश जी का सवाल है उन्हें फास्टट्रैक कोर्ट के ए डी जे अभय कुमार ने वर्ष २००५ में ही क्लीन चिट बाइज्जत बरी कर दिया है जिसका की कटिहार एस पी क्षत्रनील सिंह समेत कई पुलिस अधिकारियो को कॉपी भी सौपी जा चुकी है। ऐसी खबर और ऐसे संवादाता के ऊपर भड़ास मीडिया को कड़ी करवाई करनी चाहिए जो इस तरह की झूठी खबर देकर इसकी अहमियत को कम कर रहा है।
भड़ास मीडिया को चाहिए की तुरंत इस खबर पर मुकेश चौधरी से भी उनके पक्ष को मोबाइल से फ़ोन कर जानकारी हासिल करे उनका नंबबर है 9431610514, 9693987666 मुकेश चौधरी जिले के संभ्रांत पत्रकार हैं और उनकी बिहार में पहचान है वे शुक्रवार, तापमान, इण्डिया न्यूज़, प्रथम प्रवक्ता जैसे पत्रिकाओ में भी बिहार से लिख चुके हैं ऐसे में उनके ऊपर इस तरह की ओझी हरकत करना शर्मसार करता है शर्म करो मिडिया वालो की एक शेर को तुम जैसे कई गीदड़ मिलकर न सिर्फ बेईज्जत कर रहे हो बल्कि कुछ फर्जी पत्रकार मिलकर उनकी क्षमता के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लगा रहे हो क्या मैं पूछ सकता हुईं की नीरज झा किस चैनल के पत्रकार है विकास ओझा क्या क्या करता है सब मालूम है मुझे। पोल खोलने बैठे हो तो सुनो नीरज झ के भाई की दुर्घटना के बाद उसकी अबला को क्यों घर से निकला गया। क्या उसके जायदाद में उसका हिस्सा नहीं banta hai उसके चार वर्ष की बेटी को क्यों chimta से daga गया
कटिहार में जहाँ तक सवाल कुछ फर्जी पत्रकारों का है तो सुनिए जिले में कुछ फर्जी टाइप के पत्रकारों ने पत्रकारिता को रंडी का कोठा बना दिया है। नीरज झ हो या विकास ओझा इनकी हरकतों से पूरा कटिहार वाकिफ है। शायद मुझे बताने की आवश्यकता नहीं।
नीरज झा कटिहार का दलाल है जो पहले शराब विभाग में दलाली करता था। अब विकास ओझा के साथ मिलकर बड़ा दलाली करने का सोच रहा है
मुझे पता है ये लोग मिलकर मुकेश भैया को दूरदर्शन से हटाने की साजिश रच रहे हैं हम लोग सभी मुकेश भैया के साथ हैं अब देखिएगा निरजवा फिर कुछ गन्दा स्टेप उठावेगा उस साले को हम जानते हैं न। पृथ्वी मांझी के यहाँ किराना की दुकान में नौकरी करता था। उसकी बेटी को छेड़ा था तो उसे हुमलोगो ने जमकर पीटा था। साला लतखोर है ऐसे नहीं सुधरेगा जब जेल जायेगा तबहिये साला सुधरेगा।
कटिहार के पत्रकारों को चाहिए कि वे पहले फर्जीवाड़ा को पहले साफ करे। ये हलकट की हरकत है
जिस मामले का जिक्र नीरज ने किया है उस मामले में मृतक की पत्नी और बेटे ने भी मुकेश चौधरी के पक्ष में गवाह दिया था। और सभी गवाह ने एक स्वर से इनके बेगुनाही की बात कही थी। ये मामला उस वक़्त का है जब मुकेश चौधरी दिल्ली में पत्रकारिता करते थे। और एक मामले में कटिहार पुलिस से उलझ गए थे। उस वक़्त के थाना प्रभारी से मुकेश जी से तू तू मै मै हो गयी। परिणामस्वरूप थानेदार ने राकेश सिंह को राकेश चौधरी और मुकेश सिंह को मुकेश चौधरी बना कर अपमानित किया। बाद में इस मामले में उस वक़्त के थानेदार को डीजीपी ने खुद निलंबित करते हुए बदल दिया। हा उस वक़्त के कुछ तथाकथित पत्रकारों ने भी अपनी निगेटिव किरदार निभाया था, मुकेश चौधरी को फ़साने में। आज फिर 18 साल बाद उस मामले को एक नया रूप देकर कुछ फर्जी पत्रकार अपना हित साध मुकेश चौधरी जैसे प्रतिभावान पत्रकार को बेइज्जत कर रहा है। जो की अनुचित ही नहीं बल्कि एक गंभीर अपराध है। क्या ऐसी परिस्थिति में अब अच्छे लोग कभी मिडिया में रह पाएंगे या हम जैसे लोग क्या कभी अपने बच्चो को इस पेशे में धकेलेंगे ??????? कदापि नहीं। आप सोच सकते हैं की इतनी ओछी मानसिकता के लोग जब इस पेशे में आ गए है जो की 18 साल पुराने मामले में एक इज्जतदार व्यक्ति को सिर्फ बेइज्जत करने के मकसद से गंदे आरोप लगा रहे है जबकि इस मामले में 10 वर्ष पूर्व ही सभी को बाइज्जत बरी कर दिया गया। कम से कम ये पोस्ट डालने के पहले इस पुरे मामले का अपडेट लेनी चाहिए थी। मामले तो किसी पर हो सकते हैं। इस देश में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कई नेता , वरिष्ठ आईएएस आईपीएस समेत कई गण्यमान लोगो पर मुकदमे हुए है परन्तु ऐसे में भी अदालत से जब तक वे आरोपित नहीं हो जाते हैं तब तक उन्हें विचाराधीन माना जाता है जबकि मुकेश चौधरी तो इस मामले में निर्दोष साबित किया जा चूका है।
अरे ई तो वाही निरजवा है न जो होटल आकर्ष में एक नाबालिक लड़की के साथ छेरखानी किया था। और उ लरकि बाद में आत्महत्या कर ली थी
कटिहार पुलिस पर हमलोगो को नाज है। वो दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी। जो भी गलत होगो वो सामने अवश्य आएगा। कटिहार के पुलिस अधीक्षक क्षत्रनील सिंह और राकेश कुमार न सिर्फ ईमानदार छवि के हैं बल्कि अपराधियो के भी दुश्मन हैं
मुकेश चौधरी पर उसकी भाभी की बहन ने रेफ केस किया है । फर्जी मुक़दमा करना इसकी खानदानी आदत है । ये पडोसी की जमींन हड़पने के लिए उसपर फर्जी मुक़दमा किया फिर जेल भेजा फिर जमींन हड़पी । दर्जन भर फर्जी मुक़दमा किया है ये । पोल खोलूंगा तो चड्डी भी नहीं बचेगी । इस बार लड़ो । जितना लड़ना चाहते हो । 2005 में क्लीन चिट मिलाने की बात करता है 2009 तक तो ये मामला चल ही रहा था । फोर्ड हैं ये ।
जिस तरह से कसवाई पत्रकार आपस में एक दूसरे को निचा गिराने की हरकत कर रहे ,और ऐसी घटनाये लगातार सामने आ रही , ये सब सिर्फ किया जा रहा है चंद सिक्को और स्वार्थ पूर्ति के लिए जिसमे पीस रही है घुन की तरह पत्रकारिता ,और शायद व्यक्तिगत के झगडे से लाभ मिल रहा है। मै एक पत्रकार होने के नाते विनम्रता से कहूँगा की बहुत हो गया बस बंद कीजिए आपस में।
भैया एई निरजवा तो छेछरै पर उतर गया है।
ऐसे घटिया लोगो से मुह लगाकर आप खुद अपना अपमान कर रहे हैं
मेरा अपील की आप कानूनी तरीके से इससे निपटे सधन्यवाद
इस्सकी कोई इज्जत है ही नहीं पुरे गमी टोला में लोग इससे अब परहेज करते हैं। आप शहर के गणमान्य व्यक्ति है ये कटिहार का बच्चा-2 जानता है
ई नीरज का इतिहास ही शुरू से गंदा रहा है। मुकेश चौधरी बिहार पत्रकारिता की शान है
नीरज कुमार झा को हम भी जानते हैं इसने ही पहले भी राजरतन कमल और मुकेश सिन्हा पर गन्दा आरोप लगाया था। इसी भड़ास पर लिखकर। और मुकेश चौधरी ने ही इस मामले में पहल की थी। जिससे की मामला शांत हुआ था
मुकेश चौधरी पर इस तरह की ओछी आरोप लगाना गलत है।
मुकेश चौधरी पर दहेज़ उत्पीरण का मामला दर्ज है । अपने सगे भाई और भाभी को की प्रॉपर्टी हड़प ली । फर्जी मुक़दमा कर पडोसी की जमींन हड़पने । और अपने स्वार्थ के लिए दर्जनों फर्जी मुक़दमा दर्ज कर लोगो को परेशान करने के खानदानी पेशा है इस मुकेश चौधरी का । प्रतिष्टित पत्रकार और मुकेश चौधरी माय फुट
कटिहार के पत्रकारो का ये काला अध्याय है ,बिना किसी करेक्टर्सर्टिफिकेट के मीडिया में ज्वाइन कर लिया जा रहा है जो बिलकुल गलत है चैनल को भी जांच करनी चाहिए_वो भी डी डी बिहार जैसे चैनल में मुकेश चौधरी की जांच होनी चाहिए अगर गलत होता है तो नीरज पर कार्रवाई होनी चाहिए और सही पाये जाने पर मुकेश को जेल जाना चाहिए क्योंकि मीडिया में आने से पहले एक अग्रीमेंट होता है जिसमे साफ़ लिखा रहता है मेरा किसी जगह केश नहीं है लेकिन ये जो fir की कॉपी दिखाया जा रहा है इसके आधारपर मुकेश को हटा दिया जाना चाहिए।