संजय कुमार सिंह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में छात्रा के यौन उत्पीड़न के तीन आरोपियों को दो महीने बाद पकड़े जाने की खबर आज कई अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। जहां है वहां शीर्षक में यह नहीं लिखा है कि तीनों भाजपा से जुड़े हुए हैं। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर लीड के साथ दो कॉलम में टॉप पर है। लेकिन शीर्षक में लिखा है, दो भाजपा के आईटी सेल से जुड़े होने का दावा करते हैं। उपशीर्षक है, अखिलेश ने (भाजपा से) संबंध का मामला उठाया; भाजपा ने पलटवार किया, कहा गिरफ्तारी जीरो टॉलरेंस की नीति का परिणाम है। कहने की जरूरत नहीं है कि सांसद बृज भूषण सिंह को बचा लेने के बाद आईटी सेल से जुड़े इन आरोपियों को बचाना वैसे भी मुश्किल होगा। हालांकि, अभी तो केवल गिरफ्तारी हुई है। जब बलात्कारी छूट जाते रहे हैं तो इस मामले में दो महीने बाद गिरफ्तारी न तो बड़ी कामयाबी है और न जीरो टॉलरेंस का असर। जीरो टॉलरेंस का मतलब तब होता जब अपराध ही नहीं होते। पर वह अलग मुद्दा है।
इन और ऐसी खबरों के बीच आज द टेलीग्राफ की लीड बताती है कि गुजरों का समर्थन बनाये रखने के लिए भाजपा ने सेना से कहा है कि पुंछ मामले की जांच तेज की जाये। दूसरी ओर, हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर मणिपुर में आतंकवादियों द्वारा पुलिस पर फायर करने की खबर है। इसमें चार जने जख्मी भी हुए हैं। पर इस खबर को दूसरे अखबारों में प्रमुखता नहीं मिली है। इसके मुकाबले जम्मू और कश्मीर में तहरीक ए हुर्रियत को प्रतिबंधित किये जाने की खबर प्रमुखता से है। इसके साथ अमित शाह का कहा यह भी छपा है कि भारत विरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जायेंगी। सच यह है कि सारा मामला अखबारों में ही है। प्रचार अखबारों में दिख रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह सिंगल कॉलम की खबर है लेकिन हिन्दी के दोनों अखबारों में पहले पन्ने पर है। नवोदय टाइम्स के शीर्षक में भाजपा नहीं है और अमर उजाला ने उपशीर्षक में लिखा है, भाजपा से संबंध …. कुणाल महानगर इकाई में आईटी सेल का संयोजक, सक्षम सहसंयोजक।
आगे, खबर में लिखा है तीनों भाजपा से जुड़े हैं …. अभिषेक के घर के घर के बाहर भाजपा बूथ अध्यक्ष का बोर्ड लगा है, हालांकि वह कार्यसमिति का सदस्य बताया जा रहा है। तीनों आरोपियों की भाजपा के बड़े नेताओं के साथ तस्वीरें वायरल हो रही हैं। अखबार ने अपनी इस मूल खबर के साथ उनका भोलापन तथा पुलिस की गंभीरता बताने वाली दो खबरें भी छापी हैं। एक का शीर्षक है, नई जिम्मेदारी मिली तो लगा नहीं होगी कार्रवाई। दूसरी का बोल्ड में उपशीर्षक है, 300 सीसीटीवी खंगाले। यह खबर के शुरू में 60 दिन बाद लिखने की भरपाई करता लगता है। हालांकि, इसमें लिखा है, पुलिस सूत्रों के मुताबिक, चार नवंबर को ही तीनों आरोपी चिन्हित कर लिये गये थे। इसके बावजूद, पुलिस ने इतने दिन लगा दिये। जो भी हो, खबर पहले पन्ने पर है, कम नहीं है। नहीं होती तो कोई क्या कर लेता। कायदे से पुलिस प्रमुख से कारण पूछा जाना चाहिये था और लगता है, कारण ‘अनुमति’ लेने जैसा कुछ हो तो बड़ी बात नहीं होगी।
नवोदय टाइम्स ने प्रमुखता से लिखा है, विपक्ष हुआ हमलावर और शीर्षक में भाजपा का नाम तो नहीं ही है। खबर में लिखा है, मामले को लेकर विपक्षी दलों खासतौर से समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने आरोपियों का सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से संबंध होने का आरोप लगाया है। हालांकि, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषिद (एबीवीपी) ने आरोपियों को संरक्षण देने वालों की जांच की मांग की है। जो भी हो, शीर्षक में भाजपा से जुड़ा होना नहीं लिखना मायने रखता है। खासकर इसलिए कि द लल्लनटॉप डॉट कॉम की एक खबर के अनुसार, आरोपियों की फोटो देखने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया था कि गिरफ्तार किए गए आरोपी भाजपा से जुड़े हैं और उन्हें पार्टी का संरक्षण प्राप्त है। इसपर भाजपा के बनारस जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा ने कहा था कि अगर ऐसा है तो जांच पड़ताल करके आरोपियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया जाएगा। इसके कुछ घंटे बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोपियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। आगे पार्टी के निर्देश के मुताबिक कार्रवाई होगी।
हालांकि, भाजपा ने यह जाहिर नहीं किया है कि तीनों आरोपी पार्टी की किस शाखा में किस पद पर थे? लेकिन इतना जरूर बताया है कि तीनों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। आप समझ सकते हैं कि यह कार्रवाई हुई है तो कितना दबाव में हुई होगी या यह पार्टी के अंदरूनी मामले का भी असर हो सकता है। हालांकि वह अलग मामला है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर सिंगल कॉलम में छोटी सी है हिन्दुस्तान टाइम्स और द हिन्दू में है ही नहीं। कुल मिलाकर जो खबर छपी है उसमें भी तीन में से दो को ही भाजपा से जुड़ा बताया गया है।टाइम्स ऑफ इंडिया में मन की बात पहले पन्ने पर दो कॉलम की खबर है जो अंग्रेजी में किसी और अखबार में प्रधानमंत्री की फोटो के साथ नहीं है। इसका शीर्षक है – प्रधानमंत्री ने कहा – राम मंदिर को लेकर पूरा देश उत्साहित है। अमर उजाला में भी मन की बात पहले पन्ने पर है लेकिन मंदिर वाला मामला तो यहां आठ कॉलम में है। लीड भी है। इसलिए मन की बात का शीर्षक बदल गया है। यहां शीर्षक है, इनोवेशन हब बना भारत हम रुकने वाले नहीं हैं।
सरकारी प्रचार करती, भाजपा की बदनामी को संतुलित करने वाली इन खबरों के बीच द टेलीग्राफ की खबर का शीर्षक है, “बलात्कार (हिन्दी के अखबार दुष्कर्म लिखते हैं) पर कांग्रेस ने भाजपा आईटी सेल को घेरा”। अखबार ने लिखा है, इसके मद्देनजर बड़ी संख्या में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने याद किया है कि भाजपा नेताओं के खिलाफ यौन अपराध के कई और मामले रहे हैं। ऐसे में भगवान राम के नाम पर इनकी राजनीति के दावों पर उंगली उठाई है। अखबार ने लिखा है कि तीनों आरोपी सोशल मीडिया पर सक्रिय थे और मोदी की गारंटी का प्रचार-प्रसार कर रहे थे। दूसरे अखबारों ने जब भाजपा से उनके संबंधों का उल्लेख नहीं किया है और तीन में से दो के ही आईटी सेल से जुड़े होने की बात लिखी है तब टेलीग्राफ ने बताया है कि इनलोगों ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों में हिस्सा लिया था और सक्षम पटेल ने फेसबुक प्रोफाइल में खुद को आरएसएस कार्यकर्ता कहा है।