Samarendra Singh : ये देखिए… क्रांतिकारी पत्रकारिता का नमूना… “चिलमबाज दामाद अजितेश” … प्रेसक्लब के सारे पियक्कड़, नशेड़ी, गंजेड़ी, भंगेड़ी पत्रकार ध्यान दें… आज इस क्रांतिकारी और खोजी पत्रकारिता के नाम पर दो पेग व दो कश ज्यादा लगाएं… ब्राह्मणवाद जिंदाबाद! पंडित पत्रकारों की जय हो!
Mithilesh Dhar : समाज एक दो मुंहे सांप की तरह होता है। कैसे, कोशिश करूंगा आप को समझा पाऊं। साक्षी मिश्रा को लेकर ब्राह्मण नाराज है तो उधर कुछ लोग दलितनामा गढ़ रहे हैं। कुल मिलाकर यह बात समझ लीजिए कि इस धरती पर दो ही जाति है, गरीब और अमीर। अमीर ऊंची जाति का होता है, और गरीब का कोई स्टेटस ही नहीं होता। साक्षी के पूरे मामले को जाति से जोड़कर देखा जाना मूर्खता है। विश्वास कीजिए, अजितेश अगर किसी करोड़पति की औलाद होता तो क्या विधायक पिता क्या मीडिया, कहीं कोई चू तक नहीं बासता। करीना कपूर ने नवाब सैफ अली खान से शादी कर ली, किसी ने कुछ बोला, किसी को कोई दिक्कत हुई ? तब किसी ने अंतर धार्मिक शादियों का विरोध किया ! भाजपा के दिग्गज नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने हिन्दू लड़की सीमा से, शाहनवाज़ हुसैन ने हिन्दू लड़की रेनू से और सुब्रह्मनियम स्वामी की बेटी सुहासिनी ने मुस्लिम से शादी की है। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने ईसाई जेसीस जॉर्ज से जबकि कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने पारसी समुदाय की लड़की नाजनीन शफा से शादी की है, क्या कभी इनके लिए जाति-पाति या लव जिहाद की बात हुई? नहीं न, क्योंकि ये बड़े लोग हैं, अमीर लोग हैं, गरीब नहीं। इसलिए हिन्दू, मुस्लिम, दलित जैसी बातें बंद करिये, अमीरी-गरीबी के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करिये।
Beena Pandey : जब तक अजितेश बतौर बेटे का दोस्त आता रहा, घर की थाली में खाना खाता रहा, तब तक वह पाक साफ रहा और बेटे का इतना बड़ा लख्त ए जिगर रहा कि वह जब अपनी बहन को बरेली से जयपुर छोड़ने गया तब अजितेश उसके साथ एक ही गाड़ी में गया. दिलचस्प बात यह कि इसी सफर के दौरान साक्षी और अजितेश के बीच नजदीकियां बढ़ीं.
अजितेश तब तक बेटे का जिगरी दोस्त बना रहा. फिर एक दिन बेटी ने उसे अपना जीवन साथी चुन लिया और घर से भागकर उससे शादी कर ली. अब अजितेश में तमाम खामियां उभर कर बाहर आ गईं. वह अब एक नंबर का ऐयाश नज़र आ रहा है जिसका तमाम लड़कियों के साथ अफेयर रह चुका है. जिसने अपनी सगाई इसलिए तोड़ दी क्योंकि उसे मनमाफिक दहेज़ नहीं मिला. यह भी नज़र आया कि वह आपराधिक प्रवृत्ति का है. पिस्तौल और बंदूक के साथ उसकी तमाम तस्वीरें मीडिया और सोशल मीडिया पर तैर रही हैं. खैर हो सकता है कि अजितेश में जो खामियां गिनाई जा रही हैं वे सभी सच हों, यह भी हो सकता है कि वे झूठी हों.
मेरा पॉइन्ट यह है कि अगर अजितेश इतना बड़ा फ्रॉड था तो उसका इस so called इज्ज़तदार परिवार में आना-जाना ही क्यों था? बेटे की संगत पर इज्ज़तदार पिता की नज़र क्यों नहीं गई? बेटे के दोस्त यानी इस आदमी के घर आने जाने पर माँ ने ऐतराज क्यों नहीं जताया? बेटे की ऐसी बुरी संगत है तो खुद बेटे के गुण कितने अच्छे होंगे? कोई जवाब?
वरिष्ठ पत्रकार समरेंद्र सिंह, मिथिलेश धर, बीना पांडेय की एफबी वॉल से.