Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

जी न्यूज के ये दो कथित पत्रकार लगातार ६ घंटे तक जिंदल के दफ्तर में बैठे क्या कर रहे थे (11 साल पुरानी बात)

भड़ास4मीडिया डाट काम की आफिसियल मेल की सफाई के दौरान मिले इस पुराने मेल को रोचकता की वजह से प्रकाशित किया जा रहा है. जी-जिंदल कांड तब सुर्खियों में था. देवेंद्र सुरजन जी ने ये मेल भड़ास के पास भेजा था. पढ़ें पुरानी बात.


Devendra Surjan [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.

Wed, Nov 28, 2012, 4:20 PM

to me, Yashwant

Advertisement. Scroll to continue reading.

Translate message

Turn off for: Hindi

Advertisement. Scroll to continue reading.

इतने दिनों की तफ्तीश के बाद यदि जी न्यूज के दो पत्रकार हिरासत में लिए गए हैं तो जरूर पुलिस के पास पुख्ता सबूत जुट गए होंगे. इन गिरफ्तारियों का राजनीतिक अपयश चाहे जिसे मिले लेकिन निरंतर बे लगाम होते जा रहे इलेक्ट्रानिक मीडिया को सही सबक जरूर मिलेगा. इंदिरा जी ने प्रेस पर प्रतिबन्ध जल्दीबाजी में लगा दिया था लेकिन इन ब्लेकमेलर पत्रकारों के खिलाफ न केवल वीडियो सबूत हैं बल्कि अन्य प्रमाण भी जुटाने में पुलिस को खास मेहनत नहीं करना पड़ी होगी. इलेक्ट्रानिक मीडिया के जितने न्यूज चेनल आज हैं उनमें से अधिकतर न्यस्त स्वार्थी लोगों , बिल्डरों या तत्वों के द्वारा चलाये जा रहे हैं. सारे के सारे घाटे में चल रहे हैं. अपने पत्रकारों से जबरन वसूली करवाकर ये तत्व कुछ अपना खर्च और कुछ कर्मचारियों का वेतन निकालते हैं. पिछले एक साल में कितने ही चेनल अपने कर्मचारियों को वेतन न दे पाने के कारण बंद हो चुके हैं , लेकिन उतने ही नए चेनल आ भी रहे हैं , आम चुनाव जो नजदीक हैं. जी न्यूज को ब्लेकमेलिंग की जरूरत भले न हो पर जब अन्य सारे लूट खसोट में व्यस्त हों तो ये क्यों न बहती गंगा में हाथ न धोंयें. सरकार को इन चेनलों के लिए सख्त गाइड लाइन बनानी चाहिए और उसका पालन करवाना चाहिए. दर्शकों को गफलत और भयाक्रांत रखने का इन चेनलों ने शगल पाल रखा है. उधार के मनोरंजक कार्यक्रमों के बल पर चल रहे इन कथित समाचार चेनलों पर नकेल कसी जाना चाहिए , परिणाम अच्छे ही निकलेंगे जब अच्छे चेनल ही अपना अस्तित्व बचा पायेंगे.

बहरहाल , संदर्भित चर्चा को आगे बढ़ाएँ. जिसमें जी न्यूज के दो वरिष्ठ पत्रकारों को ब्लेकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. कोल ब्लाक आवंटन में जांच पहले से चल रही है . जिंदल के खिलाफ भी वही आरोप होना चाहिए जो बाकी आवंटियों पर आरोपित किये गए हैं. लगभग ६० आवंटन जांच के घेरे में हैं और अटल सरकार के समय हुए आवंटनों को जोड़ लें तो शायद १२२ कोल ब्लाक. जी न्यूज इन परिस्थितियों में जिंदल से १०० या २०० करोड लेकर भी क्या मदद जिंदल की कर पाता , यह मेरी समझ से बाहर है. जो हश्र दर्डा के जे डी पावर , भास्कर के डी बी पावर या अजय संचेती और नागपुर के जायसवाल को आवंटित ब्लाकों के तारतम्य में होगा उसी अनुसार जिंदल का भी होता या होगा. जी न्यूज किस लिए ख़बरें दबाना चाहता था और क्यों उसके लिए जिंदल से कीमत वसूलना चाहता था , यह जानने और विचारने की जरूरत है. नवीन जिंदल ने ब्लेकमेलिंग की जिस तरह ६ घंटे की गोपनीय फिल्म रिकार्डिंग की , वह जी न्यूज की परतें खोलने के लिए काफी है. रिकार्डिंग की फोरेंसिक जांच हो चुकी है और उनमें कोई छेड़छाड़ नहीं पाई गई है. अब यह जी न्यूज पर है कि किस तरह वह अपना बचाव पेश करता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

क्या यह बात अस्वाभाविक नहीं लगती कि जी न्यूज के ये दो कथित पत्रकार लगातार ६ घंटे तक जिंदल के दफ्तर में बैठे क्या कर रहे थे — अगर सौदेबाजी नहीं कर रहे थे , तो क्या कर रहे थे. क्या इतना समय कोई प्रतिष्ठित पत्रकार या उद्योगपति कभी किसी को देते हैं. इस इकलौते मामले को सेंसरशिप कहना अथवा आपातकाल को इस बहाने याद करना उतनी ही जल्दीबाजी का संकेत करता है जितनी जल्दी मीडीयाधर्मी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सेंसरशिप की शुरुआत हो रही है. इलेक्ट्रानिक मीडिया का स्वछन्द आचरण गैर जिम्मेदारी की पत्रकारिता की ओर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. इसके कारण सदन की कार्यवाही तक अब बेमानी हो चली है , और राजनीतिक दलों को अपनी अगडम – बगडम फैलाने मुफ्त का माध्यम मिल गया है. ये अपनी कोई जिम्मेदारी कभी नहीं लेते और सारी निराधार या दुष्प्रचार को साबित करने का भर संबंधित नेता या पार्टी पर डाल देते हैं. यह चिंतन का विषय है कि क्यों प्रिंट मीडिया पर दफा ५०० लग जाती है और क्यों इलेक्ट्रानिक मीडिया किसी भी ऐसी धारा या प्रमाण प्रस्तुत करने की बाध्यता से मुक्त हैं. न ये जवाबदार और न कथित नेता. अराजकता फैलने का जितना खतरा अफवाहों से होता है उतना ही खतरा इन इलेक्ट्रानिक चेनलों से भी संभव है, यह धारणा अब पुष्ट होती जा रही है.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement