संजय कुमार सिंह-
20 करोड़ नकद इकट्ठा कैसे होता है? क्या सारे उपाय नाकाम हो चुके हैं, कौन बतायेगा? सीबीआई ने आज जल शक्ति मंत्रालय के तहत काम करने वाले एक पीएसयू के पूर्व सीएमडी रजिंदर कुमार गुप्ता के घर से 20 करोड़ रुपए बरामद किए। वैसे तो यह खबर सारे बड़े समाचार चैनलों से ग़ायब है। हो सकता है कल अखबारों में भी न छपे या ढूंढ़ने पर कहीं कोने में मिले। लेकिन सवाल यही है कि भष्टाचार रोकने के दावे, नोटबंदी जैसे जानलेवा, जनविरोधी और महंगे उपाय, डिजिटल भुगतान पर जोर, बैंकों से नकद निकालने पर पाबंदी, नकद लेन-देन को हतोत्साहित करना और वेतन तथा हर तरह के भुगतान तक खाते में ट्रांसफर किए जाने जैसी सुविधा और व्यवस्था, नकद निकालने पर नजर रखने जैसे दावे और प्रचार तथा इन सबसे ऊपर, 50,000 या ज्यादा निकालने – जमा करने पर पैन नंबर देने जैसे नियम – फिर भी लोगों के घर में 20 करोड़ बरामद कैसे होता है?
प्रधानमंत्री जी, आपको चिन्ता नहीं होती कि आपके उपायों को कैसे नाकाम किया जा रहा है और वह भी आपकी पार्टी वालों द्वारा जब सबको पता है कि जनता को आपका वादा है, ना खाऊंगा ना खाने दूंगा। आपने नियम ऐसे बना दिए हैं कि कोई अपने खाते से नकद निकाले तो भी पूछा जाना चाहिए और कई बार में निकाले तो भी पूछा जाना चाहिए। दूसरी ओर, अस्पताल भी दो लाख रुपए से ऊपर नकद नहीं लेते हैं और मजबूरी में, मरते को बचाने के लिए कर्ज भी लो तो चेक से का नियम है। ऐसे में कोई नकद क्यों निकलवाता है? इसपर नजर क्यों नहीं रहती है? और रहती है तो ऐसे कितने लोग पकड़े गए हैं, खबर क्यों नहीं बनती है? अगर कोई रिश्वत देने के लिए या काले धंधे के लिए कई परिचितों से खाते से नकद निकलवाये तो भी सरकार को सूचना हो जानी चाहिए।
रिश्वत मांगने वाले एक वीडियो में भी यही कहते बताया गया था कि दो दिन में दूंगा एक साथ पूरी राशि निकालने पर पकड़े जाने का डर है लेकिन कभी कोई पकड़ा नहीं गया पर बरामद होता रहता है। गजब हाल है दावे औऱ सच्चाई का। लेकिन बैंक निकासी से नकद लेन-देन करने वालों को पकड़ना मुश्किल नहीं है। नियम ऐसे ही हैं और प्रचार को यही है कि इसीलिए मनीष सिसोदिया के यहां कोई बरामदगी नहीं हुई है। नकद मिलता है सरकारी पार्टी वालों के यहां और शेल कंपनियों के जरिए खपत होती है कहीं और पर कार्रवाई सिर्फ मनीष सिसोदिया या आम आदमी पार्टी पर। सबके ऊपर दूसरों को बदनाम करने की मोदी जी हिम्मत को दाद देता हूं।