Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

आज द टेलीग्राफ में एक शीर्षक है-‘लोकतंत्र की मां का भूला हुआ बच्चा’

संजय कुमार सिंह-

मदर ऑफ डेमोक्रेसी में लोकतंत्र… आज द टेलीग्राफ में एक खबर का शीर्षक है, लोकतंत्र की मां का भूला हुआ बच्चा। इस खबर के अनुसार, जम्मू और कश्मीर ने सोमवार को केंद्रीय शासन के तहत पांच साल पूरे कर लिए, विधानसभा चुनाव का अभी भी कोई पता नहीं है। इसलिए, घाटी के राजनेता नरेंद्र मोदी सरकार के इस दावे का मज़ाक उड़ाते हैं कि भारत “लोकतंत्र की जननी” है। पिछले चार दशकों में जम्मू-कश्मीर में आठ बार केंद्रीय शासन लगाया जा चुका है। अब तो उसे बांट भी दिया गया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
  1. इससे पहले पांच साल प्रधानमंत्री रह चुके नरेन्द्र मोदी 2019 का चुनाव प्रचार कर मतदान से पहले ध्यान लगाने केदारनाथ मंदिर पहुंचते हैं।
  2. ध्यान मुद्रा में तस्वीरें और वीडियो वायरल होते हैं। सवाल उठते हैं। जवाब नहीं हैं पर मोदी ही नहीं, उनकी पार्टी को भरपूर वोट मिलते हैं।
  3. पूरी तरह बदल गया है केदारनाथ धाम, विकास ने आसान की यात्रियों की राह। (10 अक्तूबर 2019 की खबर
  4. ध्यान गुफा का संचालन गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) करता है। ध्यान गुफा की बुकिंग इस साल जून महीने तक के लिए फुल हो चुकी है।
  5. दूसरी ओर मंदिर का सोना पीतल से बदल दिये जाने और पकड़े जाने पर पीतल को फिर सोना जैसा बनाने की कोशिश पकड़े जाने की चर्चा।
  6. मणिपुर में डेढ़ महीने से हिंसा जारी है। प्रधानमंत्री ने कुछ बोला नहीं है। मुख्यमंत्री का कहा आज छपा है, “हिंसा रोकें या कार्रवाई का सामना करें”। इस बीच 250 से ज्यादा चर्च जला दिये जाने की खबर है।
  7. लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी नहीं होगा बीजेपी का कोई मुस्लिम चेहरा! (31 मई 2022 की खबर) असम में बीजेपी के इकलौते मुस्लिम विधायक, अमीनुल हक को विधानसभा का डिप्टी स्पीकर बनाया गया है। वे निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
  8. 9 जनवरी 2022 को, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन, प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की कि 26 दिसंबर को श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों- साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की स्‍मृति में ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार (सम्मान) देने की घोषणा होती है। भिन्न कारणों से इसे पसंद नहीं किया जाता है। कइयों को एतराज है पर ताजा खबर यह है कि ट्रस्ट ने पुरस्कार राशि लेने से मना कर दिया है। पर मुद्दा यह है कि आखिर देने वाले का सम्मान भी तो इससे जुड़ा हुआ है। पर नहीं लेने की घोषणा और उसकी खबर बताती है कि घोषणा से पहले शायद सहमति नहीं ली गई थी। जो भी हो, यह वैसे ही है कि मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए सरकारी ने शांति समेति बनाई और लोग उसमें रहने से इनकार करते है। यह सब “लोकतंत्र की मां” पर राज या शासन करने के कुछ उदाहरण हैं। और इसके लिए 50 साल होने को आए, अभी भी इमरजेंसी को याद किया जाता है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement