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मजीठिया : कैटेगरी 20जे भूलो, लगाओ क्‍लेम, वकील की नहीं है जरूरत

साथियों, हममें से बहुत से प्रबंधन द्वारा अपने चमचों के माध्‍यम से फैलाई जा रही अफवाहों को तो सच मान लेते हैं परंतु जो अदालत या कानून कहता है उसको जानने की कोशिश नहीं करते और अपने मजीठिया लेने के प्रयासों पर विराम लगा देते हैं। हम आपको एक फि‍र से स्‍पष्‍ट करना चाहते हैं कि एक्‍ट बड़ा होता है ना कि उसके तहत बनने वाली वेजबोर्ड की सिफारिशें। यानि की वेजबोर्ड यदि कुछ कह रहा है और एक्‍ट कुछ और तो वहां एक्‍ट ही प्रभावी माना जाएगा।

<p>साथियों, हममें से बहुत से प्रबंधन द्वारा अपने चमचों के माध्‍यम से फैलाई जा रही अफवाहों को तो सच मान लेते हैं परंतु जो अदालत या कानून कहता है उसको जानने की कोशिश नहीं करते और अपने मजीठिया लेने के प्रयासों पर विराम लगा देते हैं। हम आपको एक फि‍र से स्‍पष्‍ट करना चाहते हैं कि एक्‍ट बड़ा होता है ना कि उसके तहत बनने वाली वेजबोर्ड की सिफारिशें। यानि की वेजबोर्ड यदि कुछ कह रहा है और एक्‍ट कुछ और तो वहां एक्‍ट ही प्रभावी माना जाएगा।</p>

साथियों, हममें से बहुत से प्रबंधन द्वारा अपने चमचों के माध्‍यम से फैलाई जा रही अफवाहों को तो सच मान लेते हैं परंतु जो अदालत या कानून कहता है उसको जानने की कोशिश नहीं करते और अपने मजीठिया लेने के प्रयासों पर विराम लगा देते हैं। हम आपको एक फि‍र से स्‍पष्‍ट करना चाहते हैं कि एक्‍ट बड़ा होता है ना कि उसके तहत बनने वाली वेजबोर्ड की सिफारिशें। यानि की वेजबोर्ड यदि कुछ कह रहा है और एक्‍ट कुछ और तो वहां एक्‍ट ही प्रभावी माना जाएगा।

20जे

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प्रबंधन द्वारा अभी भी 20जे को लेकर कर्मचारियों को बरगलाया जा रहा है। जबकि 23 अगस्‍त की सुनवाई में अदालत ने उप्र के लेबर कमीशनर को स्‍पष्‍ट कर दिया था कि 20जे उनके लिए है जो वेजबोर्ड से ज्‍यादा पा रहे हैं, नाकि कम वालों के लिए। और सुप्रीम कोर्ट का यह ही आदेश अन्‍य लेबर कमीशनरों पर भी समान रुप से लागू होता है।

कैटेगरी

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कैटेगरी पर लेकर भी अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिंदुस्‍तान, दैनिक भास्‍कर, राजस्‍थान पञिका जैसे लोगों की नजरों में सम्‍मानित अखबार भ्रम फैला रहे हैं और श्रम कार्यालयों को भी गलत जानकारी दे रहे हैं। मजीठिया से जुड़े कर्मचारियों के वकीलों की राय है कि आप इस मुद्दे को उनपर (वकीलों पर) छोड़कर श्रम कार्यालयों में मजीठिया के अनुसार वेतन न मिलने की अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इससे कम से कम कंपनी के ऊपर अवमानना तो साबित होगी। जिसका मतलब मालिकों को जेल भी हो सकती है, जिससे मालिकान बचने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। क्‍या आप मलिकान को असानी से छोड़ देने के मूड में है। नहीं, तो फि‍र देर किस बात की है जल्‍द ही अपने साथियों के साथ श्रम कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज कराएं। गोरखपुर हिंदुस्‍तान के साथियों के लिए यह संदेश तो विशेष तौर पर है।

कम नहीं हो सकता वेतन

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साथियों, आपके मन से एक और बड़ी गलतफहमी और दूर करनी है। प्रबंधन आपको कैटेगरी कम बताकर आपका वेतन कम करने की बात करता है। जो कि प्रबंधन द्वारा आपको गुमराह करने की कोशिश है। कोई भी नया वेजबोर्ड आने पर किसी भी कर्मचारी का वेतन पुराने वेजबोर्ड से कतई कम नहीं हो सकता। यानि अगर आपका बेसिक 10 हजार है और नए वेतनमान वह बेसिक 9 हजार है तो आपको प्रबंधन 9 हजार के बेसिक पर नहीं ला सकता। उसे आपको 10 हजार के बेसिक पर ही सभी सुविधाएं देनी होगी। आपके अधिकतम वेतन की रक्षा वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट की धारा 16 करती है। और मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार 20जे आपके अधिकतम वेतन पाने के अधिकार की रक्षा के लिए ही है।

भत्‍ते बने रहेंगे

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एक साथी ने भड़ास पर प्रश्‍न किया है कि राष्‍ट्रीय सहारा अपने कर्मचारियों को बेसिक, डीए, एचआर आदि कम दे रहा है और अन्‍य मदों में ज्‍यादा पैसा दे रहा है। यह तो वहां के साथियों के लिए अच्‍छी बात है क्‍योंकि जब वहां मजीठिया लागू होगा तो उनके बेसिक, डीए और एचआर वेजबोर्ड के हिसाब से बढ़ेंगे ही और साथ में जो भत्‍ते हैं वह भी मिलते रहेंगे। परंतु यहां एक बात ध्‍यान देने वाली है कि वेजबोर्ड लागू होते ही प्रबंधन इन भत्‍तों को खाने की कोशिश करेगा और इनको आपकी एरियर राशि में से काट लेगा, जैसा कि नवभारत टाइम्‍स जैसे अखबारों में भी हुआ है, और वे भी सुप्रीम कोर्ट में कैटेगरी, फि‍टमेन-प्रमोशन आदि मुद़दों पर लड़ाई लड़ रहे हैं। इसको लेने के लिए आपको खुद भी प्रयास करने होंगे और श्रम कार्यालय में अपनी एरियर राशि का क्‍लेम करते हुए पुराने वेतन और मजीठिया के अनुसार वेतनमान में इन भत्‍तों को दर्शाना होगा। कोई भी वेजबोर्ड आपके अन्‍य भत्‍तों को कम करने की बात नहीं करता, वे जस के तस रहते हैं। यह तथ्‍य सभी अखबारों के साथियों पर भी लागू होते हैं।

कम नहीं हो सकता पद या प्रबंधक बना कर छीन नहीं सकता मजीठिया

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संस्‍थान आपके पद को कम नहीं कर सकता। मजीठिया में आपको 30 साल के कैरियर में 3 प्रमोशन देने का भी प्रावधान रखा गया है और हर 5 साल में एक विशेष इक्रीमेंट का भी। चाहे आपको कार्य करते हुए 25 साल हो गए हों या आपकी अभी 25 साल की नौकरी बची हो सबपर समान रुप से लागू होगी। इसमें आपके सालाना वेतनव़द़धि का भी प्रावधान रखा गया है अखबारों की कैटेगरी के अनुसार। इसलिए भूल जाइए प्रबंधन आपको वर्तमान पद से नीचे करके या प्रबंधकों की श्रेणी में डालकर आपका हक मार सकता है।

हिंदुस्‍तान के कर्मचारी न आए प्रबंधन के झांसे में

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ऐसी सूचना आ रही है कि हिंदुस्‍तान प्रबंधन ने पटना व गोरखपुर में कर्मचारियों को गुमराह करने के लिए एक फार्म निकाला है जिसमें उनकी शैक्षिणक योग्‍यता से लेकर कई सवाल पूछे गए हैं। साथियों आपको इससे परेशान होने की जरुरत नहीं है। मजीठिया बेवबोर्ड में इन सबकी काट पहले ही दे रखी है। इसमें आपका सालाना इंक्रीमेंट, पांच साल पर एक स्‍पेशल इंक्रीमेंट और हर दस साल बाद एक प्रमोशन का बंदोबस्‍त कर रखा है। जोकि पूरे तीस साल के सर्विस परियड में तीन बार मिलेगी। जिसको चाह कर भी प्रबंधन आपकी शैक्षिणक योग्‍यता आदि की आड़ में छीन नहीं सकता।

श्रम कार्यालयों द्वारा जारी फार्म को भरें

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उप्र और मप्र राज्‍यों के श्रम कार्यालयों ने कर्मचारियों से भरवाने के लिए अपने प्रपत्र निकाले हैं। परंतु मालिकों ने उन्‍हें दबा लिया। चिंता न करें आप श्रम कार्यालय जाएं या अपने किसी साथी जिसके पास यह उपलब्‍ध हो वह लें और खुद भरकर श्रम कार्यालय में कवरिंग लैटर के साथ जमा करवाएं और उसकी डुप्‍लीकेट कॉपी पर वहां के कर्मचारी के साइन, तिथि और मोहर लगवा कर मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे कर्मचारियों के वकीलों को इसकी जानकारी दें। उप्र के प्रपत्र में आप एरियर राशि के आगे – नहीं लिखें। मजीठिया के अनुसार वेतमान मिल रहा है उसके आगे भी – नहीं लिखें। और उसके नीचे वाली लाइन यानि 20जे वाली में यह लिखें – लागू नहीं

भड़ास लिंक – यूपी के श्रमायुक्त ने जारी किया फार्मेट, मजीठिया का लाभ चाहिए तो इसे जरूर भरें http://www.bhadas4media.com/print/10628-shramayukta-ne-jari-kiya-format

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क्‍लेम के लिए डिमांड नोटिस और वकील की जरुरत नहीं

23 अगस्‍त की सुनवाई में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमीशनरों को अपनी अथारिटी के रुप में काम करने के आदेश दिए हैं। इसका मलतब है अब लेबर कमीशनरों और सुप्रीम कोर्ट के बीच और कोई कोर्ट नहीं आ सकती। यानि अब आपको अपना क्‍लेम श्रम कार्यालय में डालने से पहले कंपनी को डिमांड नोटिस भेजने की भी जरुरत नहीं रह गई है। आपने जो क्‍लेम बनाया है उसके लिए वरिष्‍ठ वकील उमेश शर्मा ने भड़ास पर एक फार्मेट अपलोड किया हुआ है वहां से लेकर उसे भरे और श्रम कार्यालय में जाकर खुद ही जमा करवाएं। इसके लिए आपको किसी वकील की जरुरत नहीं है और न ही उसे किसी तरह की फीस देने की। श्रम कार्यालय को आपकी शिकायत पर ध्‍यान देना ही होगा। यदि आपको क्‍लेम लगाने में कोई दिक्‍कत आ रही हो तो आप अपने इन साथियों से बेहिचक संपर्क कर सकते हैं यह निस्‍वार्थ भाव से आपके क्‍लेम लगवाने में आपकी मदद करेंगे।

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भड़ास लिंक- मजीठिया : एडवोकेट उमेश शर्मा जी ने जारी किया क्लेम फार्मेट, जो साथी बाकी हैं वो जरूर भरें http://www.bhadas4media.com/print/10558-advo-umesh-ne-jari-kiya-claim-format

महाराष्‍ट्र में शशिकांत सिंह – 09322411335 [email protected]

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दिल्‍ली में महेश कुमार – 09873029029 [email protected] [email protected] 

हिमाचल में रविंद्र अग्रवाल 9816103265 [email protected]

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उत्‍तर प्रदेश में (नोएडा-गाजियाबाद) बिजय – 09891079085 [email protected]

नोट- 1. ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कई साथियों का एरियर में हजारों-लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। शायद उनका एरियर बनाते हुए बुनियादी तथ्‍यों का ध्‍यान नहीं रखा गया। हमारी राय है कि आप इस काम में किसी विशेषज्ञ की मदद लें तो ज्‍यादा अच्‍छा है।

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2. साथियों, सुप्रीम कोर्ट में आप अपने राज्‍य की बारी आने का इंतजार न करें। 17(1) के तहत अपनी रिकवरी लगाना शुरु कर दें, जिससे आपके प्रबंधन पर दबाव बढ़ता चला जाए।

3. यह लड़ाई किसी एक की नहीं है, यह सामूहिक है। इसलिए यदि आपके पास कोई जानकारी है तो दूसरों से शेयर करें और हो सके तो सामूहिक रुप से जाकर अपनी शिकायत श्रम कार्यालयों में करें। हमारे बहुत से साथी जो मशीन आदि में कार्यरत हैं वो सोशल मीडिया से जुड़े हुए नहीं है ऐसे में आप का भी कर्तव्‍य बनता है उनको सही जानकारी देना। जितने ज्‍यादा क्‍लेम या शिकायतें इस समय श्रम कार्यालयों में मजीठिया को लेकर दर्ज होगी उतना ज्‍यादा अच्‍छा होगा। आप अपने साथ के सेवानिवृत्‍त, नौकरी बदल चुके साथियों को भी ढूंढे और उनकी शिकायत भी श्रम कार्यालयों में दर्ज करवाएं। यदि कोई साथी इस दुनिया में नहीं है उनके परिजनों की मदद श्रम कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाने में करें।

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(पत्रकार आवाज द्वारा जारी)

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0 Comments

  1. RAVI KUMAR VERMA

    September 12, 2016 at 2:18 pm

    labour deptt lucknow & labour officer kanpur not given truth report. court ko gumrah karne ke ho rahee kosis

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