संजय कुमार सिंह-
आज मेरे सात में से छह अखबारों में चंडीगढ़ मेयर चुनाव से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खबर लीड है। सिर्फ एक अखबार, द टेलीग्राफ में यह लीड नहीं है लेकिन पहले पन्ने की प्रमुख खबरों में है। कोलकाता के द टेलीग्राफ में पश्चिम बंगाल के संदेशखली की खबर लीड होना तो ठीक है। लेकिन आज दो खबरें ऐसी हैं जो दूसरे अखबारों में भी पहले पन्ने पर होनी चाहिये थी पर अलग-अलग अखबारों में है। ये दोनों खबरें अमर उजाला में दो पहला पन्ना होने पर भी नहीं है। नवोदय टाइम्स में तो नहीं ही है। लेकिन दोनों अखबारों में प्रधानमंत्री के प्रचार की खबरें पहले पन्ने पर हैं। नवोदय टाइम्स में इसका शीर्षक है, “कश्मीर के वादियों में ऐसा विकास होगा कि लोग स्विटजरलैंड भूल जायेंगे”। आप जानते हैं कि अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त 2019 को हटाया गया था और चार साल से भी ज्यादा बाद 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों पीठ ने आम राय से इसे सही माना। इसके बाद एक साल से ज्यादा हो चुके हैं पर इससे फायदा क्या हुआ यह सरकार नहीं बताती है। उस समय जो दावे किये गये थे उनकी तो अब चर्चा भी नहीं है।
अमर उजाला में यह दूसरे पहले पन्ने पर लीड है। इसका शीर्षक है, “जम्मू कश्मीर के विकास में बाधा बने अनुच्छेद 370 को किया खत्म : मोदी”। यह पुरानी खबर है, नरेन्द्र मोदी अब चुनाव से पहले याद दिला रहे हैं तो मकसद समझना मुश्किल नहीं है। लेकिन पांच साल बाद अपने किये काम की ‘याद’ दिलाने का उद्देश्य और तरीका दोनों सही हो तो भी ठोस बात की जानी चाहिये। पांच साल हो चुके हैं तो उसका फायदा बताये बिना उससे उल्लेख करना नोटबंदी की याद दिलाने जैसा ही है पर वह उनका निर्णय है। अखबार भी आज इसे प्रमुखता दे रहे हैं तो पार्टी की सेवा कर रहे हैं, भले यह भी उनका अधिकार है। इसीलिए, अमर उजाला में मुख्य खबर का उपशीर्षक है – “पीएम ने कहा, दशकों तक वंशवादी राजनीति से उठाना पड़ा नुकसान, अब इससे भी आजादी”।
अनुच्छेद 370 हटाने के फायदे नहीं बता रहे
यह दिलचस्प है कि अंग्रेजी अखबारों ने भी इस खबर को पहले पन्ने पर छापा है और किसी ने इससे हुए फायदे नहीं बताये हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स में इस खबर का शीर्षक है, “जम्मू और कश्मीर में बम फिस्फोट का जमाना विकास से बदला : प्रधानमंत्री ने 370 हटाने की प्रशंसा (खुद) की”। इंडियन एक्सप्रेस में शीर्षक है, “जम्मू और कश्मीर को इसका पहला इलेक्ट्रीक ट्रेन मिला, प्रधानमंत्री ने कहा, केंद्र शासित प्रदेश विकास की पटरी पर है”। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह सिंगल कॉलम की खबर है, “अनुच्छेद 370 हटाने से जम्मू और कश्मीर में विकास तेज हुआ है”। द हिन्दू में शीर्षक है, “खाड़ी के देश जम्मू व कश्मीर में निवेश के उत्सुक हैं:मोदी”। आप देख सकते हैं इनमें एक भी शीर्षक लाभ बताता नहीं है, लाभ होने का दावा करता है। कहने की जरूरत नहीं है कि पहला ट्रेन मिला तो यह 370 के साथ भी मिल सकता था।
आज जो खबरें नहीं या कम छपी हैं उनमे एक इंडियन एक्सप्रेस में और दूसरी हिन्दुस्तान टाइम्स में है। पहली खबर है, पश्चिम बंगाल में संदेशखली जा रहे भाजपा नेताओं के एक समूह को पुलिस ने संदेशखली जाने से रोका तो एक सिख आईपीएस को ‘खालिस्तानी’ कहा गया। संबंधित अधिकारी ने इसका जवाब दिया और खबर के अनुसार विपक्ष के नेता पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि भाजपा ने ऐसा कहा साबित किया जाये वरना कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। आप जानते हैं कि संदेशखली का मामला भाजपा का ही बनाया हुआ है और मीडिया में खूब जगह पा रहा है। मामला तृणमूल पार्टी के नेता शेख शाहजहां से संबंधित है जो ईडी के छापे और ईडी टीम पर हमले के बाद से फरार हैं। लोगों का कहना है कि इसके बाद ही वहां की महिलाओं को उनके खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत हुई।
संदेशखली का संदेश
इंडियन एक्सप्रेस की कल की खबर के अनुसार एनसीडब्ल्यू की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा है कि उन्हें संदेशखाली की महिलाओं से 18 शिकायतें मिली थीं। उन्होंने इन शिकायतों को संदेशखाली थाने को ही दे दिया है। टीएमसी ने आरोप लगाया है कि एनसीडब्ल्यू का दौरा राजनीति से प्रेरित था। ऐसे में कल फिर दौरे की कोशिश में विवाद हुआ और आईपीएस अधिकारी को खालिस्तानी कह दिया गया। पार्टी ने स्थानीय स्तर पर जो भी कहा या किया हो, प्रधानमंत्री या पार्टी के बड़े नेता ने इसकी आलोचना की हो, कार्यकर्ताओं को संयमित रहने या ऐसा नहीं करने की सीख देने जैसी कोई खबर नहीं है। कल खबर थी कि संदेशखली की तुलना मणिपुर से नहीं की जाये। आज द हिन्दू में खबर है कि पुलिस अधिकारी से विवाद के बावजूद कोलकाता हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संदेशखली गये। लौटकर जो कहा उसका शीर्षक नवोदय टाइम्स में है, संदेशखली में स्थिति भयावह, अराजक।
द टेलीग्राफ ने संदेशखली के मामले को लीड बनाया है। शीर्षक है, संदेशखली: अब, राजनीति मुसीबत के दलदल में फंस गई है। हाईकोर्ट ने सुवेंदु का रास्ता साफ किया। स्नेहामोय चक्रवर्ती की बाईलाइन वाली यह खबर संदेशखाली डेटलाइन से है। इसके अनुसार इस संघर्षग्रस्त इलाके की राजनीति अब जोश में आ गई है। ऐसा कोई संकेत नहीं हैं जिससे यह माना जाये कि यह जोश जल्दी खत्म हो जायेगा। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने मंगलवार को संदेशखाली में धूम-धाम से प्रवेश किया और कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के साथ ग्रामीणों को अपने समर्थन का आश्वासन दिया। इससे बंगाल सरकार द्वारा धारा 144 लगाए जाने से उत्पन्न बाधाएं दूर हो गईं। इससे पहले 12 और 15 फरवरी को संदेशखली तक पहुंचने की कोशिश को नाकाम कर दिया गया था। पुलिस और भाजपा के लोग एक बहस में शामिल हो गए तो कलकत्ता में मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने एक आदेश जारी किया, जिससे सुवेंदु को संदेशखाली जाने की अनुमति मिल गई। इसके लिए 7 फरवरी से ही हंगामा चल रहा था।
सिल्कयारा टनल भुला दिया
आज की दूसरी खबर जो एक ही अखबार, हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर है, वह है, सिल्कयारा टनल के धंसने की जांच रिपोर्ट। आपको याद होगा कि निर्माणाधीन टनल के धंसने से 41 मजदूर फंस गये थे जो 17 दिन बाद सुरक्षित निकाल लिये गये थे। उत्तराखंड सरकार ने इसकी जांच कराने के लिए एक पैनल बनाया था। इसने 70 पेज की अपनी रिपोर्ट दिसंबर में सरकार को सौंप दी थी। इनमें कई महत्वपूर्ण भूगर्भीय और निर्माण चिन्ताओं की चर्चा है जिन्हें नजरअंदाज किया गया हो सकता है। कहने की जरूरत नहीं है कि इस गंभीर मामले में सरकारी जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जाना चाहिये था और जब आई तभी इसकी चर्चा होनी चाहिये थी पर अभी यह हिन्दुस्तान टाइम्स की एक्स्लूसिव खबर लगती है। मीडिया ने इस मामले में सरकार को बदनामी और किसी संभावित कार्रवाई से लगभग बचा लिया है।
किसान आंदोलन
आज किसान आंदोलन की खबर भी कई अखबारों में प्रमुखता से है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लीड के बराबर में टॉप पर छापा है। यातायात की परेशानियां ज्यादा हो सकती हैं क्योंकि किसान आज फिर मार्च करेंगे। इंडियन एक्सप्रेस और द टलीग्राफ ही नहीं, हिन्दू में भी किसान आंदोलन पहले पन्ने पर नहीं है। हिन्दुस्तान टाइम्स का शीर्षक है, किसानों का आंदोलन आज शुरू होगा सो दिल्ली प्रभाव के लिए तैयार। इसके साथ एक और खबर का शीर्षक है, अदालत ने कहा, प्रदर्शन आम जन जीवन बाधित नहीं कर सकते हैं। हालांकि खबर यह है कि टैक्टर का प्रयोग हाईवे पर नहीं किया जा सकता है और अमृतसर से दिल्ली जाना है तो बसों से जाना चाहिये, ट्रैक्टर से नहीं।
अमर उजाला में इस खबर का फ्लैग शीर्षक है, प्रदर्शन के तरीके पर पंजाब सरकार को निर्देश। “हाईवे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली न आने दें, भीड़ जुटने से रोकें : हाईकोर्ट”। एक और खबर का शीर्षक है, आज दिल्ली कूच रेंगे किसान। इसके साथ छपी फोटो का कैप्शन है, शंभू सीमा पर पोकलेन मशीन लेकर पहुंचे किसान। नवोदय टाइम्स में मुख्य खबर का शीर्षक है, किसान आज दिल्ली कूच करेंगे। एक और खबर का शीर्षक है, शंभू बॉर्डर पर 14,000 लोग, 1200 ट्रैक्टर मौजूद; गृहमंत्रालय ने पंजाब सरकार से कार्रवाई करने को कहा।