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नई दुनिया प्रबंधन को 7 मजीठिया क्रांतिकारियों ने दिया तगड़ा झटका

प्रमोद दाभाड़े

इंदौर में बड़ी सफलता

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इंदौर में मजीठिया क्रांतिकारियों की मेहनत आखिरकार रंग लाई। 7 साथियों ने इसमें विजयश्री प्राप्त की। इंदौर में पांच मजीठिया क्रांतिकारियों का जो फैसला हुआ है उसमें नई दुनिया (जागरण प्रबंधन) को बड़ा झटका लगा है। जागरण प्रबंधन के लिए राहत वाली बात यह रही कि 50 हजार का ब्याज कोर्ट ने मान्य नहीं किया। पक्षकार इसे साबित नहीं कर पाए।

वैसे माननीय जज ने ऐतिहासिक फैसला सुनाकर मजीठिया क्रांतिकारियों को राहत ही दी है। इस लड़ाई में नई दुनिया के धर्मेन्द्र हाडा और वाडियाजी का सराहनीय योगदान रहा है।

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केस-1
संजय पिता त्रम्बकराव जागरण प्रबंधन के नई दुनिया अखबार में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने दो वर्ष का मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतनमान मांगने के लिए कोर्ट की शरण ली थी। इस मामले में कोर्ट ने 55,218 रुपए का अवार्ड पारित किया। साथ ही पक्षकार को 3000 रुपए न्यायिक व्यय के साथ ही 1 माह में वेतन नहीं देने पर 2000 रुपए मय ब्याज देने का आदेश जारी किया।

केस-2
निशिकांत पिता स्व. कृष्णकांत मंडलोई नई दुनिया में सब एडिटर के पद पर कार्यरत थे। इन्होंने दो वर्ष का मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतनमान मांगने के लिए कोर्ट की शरण ली थी। इस मामले में कोर्ट ने 66,625 रुपए तथा अंतरिम राहत के 1,02,786 रुपए का अवार्ड पारित किया। साथ ही पक्षकार को 3000 रुपए न्यायिक व्यय के साथ ही 1 माह में वेतन नहीं देने पर 2000 रुपए मय ब्याज देने का आदेश जारी किया।

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केस-3
विजय सुखदेव चौहान नई दुनिया में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने दो वर्ष का मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतनमान मांगने के लिए कोर्ट की शरण ली थी। इस मामले में कोर्ट ने 78845 रुपए का अवार्ड पारित किया साथ ही पक्षकार को 3000 रुपए न्यायिक व्यय के साथ ही 1 माह में वेतन नहीं देने पर 2000 रुपए मय ब्याज देने का आदेश जारी किया।

केस-4
दिव्या नरेश सेंगर एक्टीक्यूटिव के पद पर नई दुनिया में कार्यरत थी। उन्होंने मजीठिया वेतनमान मांगने के लिए कोर्ट की शरण ली थी। इस मामले में कोर्ट ने 9,40,118 रुपए का अवार्ड पारित किया। साथ ही पक्षकार को 3000 रुपए न्यायिक व्यय के साथ ही 1 माह में वेतन नहीं देने पर 2000 रुपए मय ब्याज देने का आदेश जारी किया।

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केस-5
सुरेश विठाराम चौधरी नई दुनिया में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने दो वर्ष का मजीठिया वेतनमान मांगने के लिए कोर्ट की शरण ली थी। इस मामले में कोर्ट ने सुरेश के पक्ष में अवार्ड पारित किया था। लेकिन किसी त्रुटिवश आदेश में अमाउंट राशि में गड़बड़ी होने से वरिष्ठ अभिभाषक वाडियाजी ने पुनः आवेदन लगाया है।

केस-6
अशोक शर्मा नई दुनिया में कार्यरत थे। उनके पक्ष में भी अवार्ड पारित हुआ है। इसकी कापी अभी हमारे पास उपलब्ध नहीं है। कोर्ट के फैसले की कापी आने के बाद पूरी डिटेल की जानकारी पहुंचाई जाएगी।

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केस-7
सुरेद्र सिंह नई दुनिया (जागरण ग्रुप) में कार्यरत थे। इन्होंने भी मजीठिया वेतनमान के लिए कोर्ट की शरण ली थी। माननीय कोर्ट ने उनके पक्ष में 6,72,460 का अवार्ड पारित करने के साथ न्यायिक व्यय की राशि 3000 व एक माह में पैसा जमा नहीं करने पर 2000 रुपए ब्याज का आदेश दिया है। इस केस की कापी भी अभी उपलब्ध नहीं हुई है।

इन सारे केसों में वरिष्ठ अभिभाषक वाडियाजी और धर्मेन्द्र हाडाजी की मेहनत रंग लाई है। पूरी लड़ाई में दोनों साथियों ने तन, मन और धन से केस में अपना पूर्ण सहयोग देकर साथियों को विजय दिलाई है।

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इन दोनों साथियों को साधुवाद और चरणवंदन है। ऐसे साथियों के बल पर ही आज सत्य की लड़ाई में हम विजयश्री प्राप्त कर रहे हैं। दोनों भाइयों का सम्मान होना चाहिए।

प्रमोद दाभाड़े
इंदौर

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