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सुख-दुख

सात साल में प्रधानजी ने गंगा का क्या हाल कर दिया! देखें तस्वीर

स्वतंत्र मिश्रा-

गंगा कभी बहती हुई नदी हुआ करती थी। अब यह ठहर गयी है। इसकी धार कमजोर पड़ चुकी है। यह तस्वीर भागलपुर के बरारी घाट की है।

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फ़ोटो – अंश देव निराला

आप तस्वीर को ध्यानपूर्वक देखिये। क्या गंगा की ऐसी तस्वीर आपने पहले कभी देखी थी। मुझे नहीं याद आता है कि गंगा में कभी इस तरह जलकुम्बी सजी हो। जलकुंभी ठहरे हुए पानी का श्रृंगार है, बहते हुए साफ़ जल की नहीं।

खुद को गंगा माँ के बेटे कहनेवाले प्रधान जी ने 7 साल में सफ़ाई को लेकर कितनी गंभीरता दिखाई है, वह इस तस्वीर में दिख रही है। वो आपसे वादा करते हैं, आपका दिमाग हरने के लिए। उन्हें न गंगा माँ की चिंता है और न ही इसके किनारे रहने वाली आबादी की।

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यही हालात रहे तो चुल्लू भर पानी में डूबने के मुहावरे का अर्थ भी जुमला सरकार बता देगी। जैसे वह सरसों तेल और प्याज के महंगे होने का मतलब बताती रही है।


वल्लभ पांडेय-

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आधुनिक काल का भगीरथ बनने की सनक वाले कुछ लोगों की कुदृष्टि काशी में माँ गंगा के दिव्य अर्धचन्द्राकार स्वरूप पर पड़ गयी….. इस पार के कई घाटों पर 100 मीटर तक मिट्टी का पटान और उस पार रेती पर नहर का निर्माण जैसी विध्वंसक योजना पर महीनो से काम होता रहा लेकिन तथाकथित गंगा प्रेमियों की कान पर जूँ नही रेंगी, किसी ने आगे बढ़ कर ये पूछने का साहस नही किया कि आखिर हो क्या रहा है?

चार कान की बकरी पैदा होने की घटना को 4 कालम की खबर बनाकर छापने वाले और मुख्यधारा का अखबार होने का भ्रम पाले हुए संपादकों ने भी प्रायः चुप्पी ही साधी….. एक माह पूर्व से सोशल मीडिया पर इस बाबत कुछ समाचार आने शुरू हुए, कुछ जुझारू लोगों ने परत दर परत इन साजिशों से पर्दा उठाने की कोशिश शुरू की तो कुछ और लोग मुखर हुए…. फिर भी जिनसे कुछ अधिक उम्मीद थी वे अभी भी अपने खोल से बाहर नही निकल पा रहे हैं, खैर समय उनसे जवाब मांगेगा….

आज इस परियोजना से संबधित विभाग, प्रभारी मंत्री और अधिकारीगण की मिलीभगत से काशी में माँ गंगा के अर्धचन्द्राकार स्वरूप पर संकट आ गया है, लेकिन कोई भी जवाबदेही के लिए तैयार नही, इन लोगों को महीनों तक चलती रही दर्जनों जेसीबी नही दिखी लेकिन जब चर्चा शुरू हुयी तो डीएम साहब ने रेत हटाने का टेंडर निकाल दिया और कमिश्नर साहब ने 10 दिन में रेत हटाने का आदेश जारी कर दिया, जनता को तो बेवकूफ समझते हैं आप…..

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मानसून आहट दे रहा है, बाढ़ भी महीने भर में आने वाली है, इस बार बारिश अधिक होने की सम्भावना भी जताई गयी है ऐसे में गंगा की वर्तमान धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह पता नही लेकिन इतना तो तय है कि जनता से वसूले गये टैक्स से रेत पर बनायी गयी नहर का अस्तित्व बाढ़ घटने के बाद कही नही रहेगा….. करोड़ो रूपये किनके पॉकेट में गये, ये जवाब शायद अनुत्तरित ही रहे क्यूंकि सूचनाधिकार के आवेदन पर जवाब देने का कोई दबाव भी अब नही बचा है. (चित्र गूगल से)


ये पत्र भी पढ़ें-

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माननीय मुख्यमंत्री उ0प्र0 योगी आदित्यनाथ जी, लखनऊ।

माननीय महोदय,

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मुझे गोमती रिवर-फ्रंट-समिति में विशेषज्ञ सदस्य नियुक्त करने के लिए यह आपका अत्यंत उच्च ज्ञान था। आपका निर्णय आईआईटी बॉम्बे से रिवर-इंजीनियरिंग में एम.टेक और पीएचडी योग्यता और टीचिंग रिवर इंजीनियरिंग में 35 वर्षों के अनुभव पर आधारित था। IIT.BHU में सिविल इंजीनियरिंग के एम.टेक छात्र। मेरी बुनियादी योग्यता पर मैं आपसे निम्नलिखित सुनने का अनुरोध करता हूं:

वाराणसी के विपरीत दिशा में गंगा की रेत-तल पर ४५ मीटर ऊपर की चौड़ाई और ३२ मीटर नीचे की चौड़ाई और ६.५ मीटर की गहराई और ५ किलोमीटर से अधिक लंबाई की एक मोबाइल सीमा नहर बाढ़ के पानी की गति और अशांति को सहन नहीं कर सकती है। बिना वैज्ञानिक सिद्धांतों के यह नहर स्थिर नहीं हो सकती। और गंगा में पानी की गहराई को कम करेगा। इसके अलावा, मानसून के दौरान गहराई में कमी से वेग में कमी आएगी जो अंततः घाट-किनारे पर भारी गाद का कारण बनेगी। इस प्रकार गंगा घाटों को छोड़ देगी। ललिता-घाट पर निर्मित स्पर (दीवार) घाटों से प्रवाह को विक्षेपित करेगी और पानी की गहराई और वेग में कमी का कारण बनेगी। इससे घाट पर सेडिमेंटेशन भी हो जाएगा।

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इस प्रकार, स्पर और नहर वाराणसी में गंगा के अर्धचंद्राकार आकार को बदल सकते हैं। और जैसे अस्सी-घाट पर अवसादन हुआ और गंगा हमेशा के लिए घाट से निकल गई। दशाश्वमेध तक घाटों के लिए भी ऐसा ही मामला हो सकता है

सर नदी एक जीवित शरीर प्रणाली है। सिस्टम की एनाटॉमी, मॉर्फोलॉजी और डायनेमिक्स को जानना चाहिए, उसके बाद ही इसे हैंडल किया जाना चाहिए। यूपी सिंचाई बोर्ड और परियोजना से जुड़े विशेषज्ञ ने रेत-बिस्तर गंगा पर नहर को डिजाइन करने का निर्णय कैसे लिया, उन्हें निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर देने की आवश्यकता है।

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(१) रेत पर नहर में डिस्चार्ज की गणना कैसे की गई?

(२) क्रॉस-सेक्शन कैसे तय किया गया था?

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(३) ढलान कैसे तय किया गया था?

(४) बिस्तर पारगम्य है, विभिन्न रेत के साथ। रिसाव दर की गणना कैसे की गई?

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(५) नहर उच्च बाढ़ क्षेत्र में आती है कैसे नहर की स्थिरता तय की गई है।

(६) किस हाइड्रोडायनामिक सूत्र का उपयोग किया गया है?

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(७) नहर का शीर्ष उच्चतम बाढ़ स्तर से कितना नीचे होगा?

(८) नहर का घाट किनारे पर अवसादन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

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(९) शुष्क मौसम में नहर बहने की स्थिति में रहेगी ?

(10) कैनाल नॉन सिलटिंग नॉन स्कावरिंग टाइप की होगी ?

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(११) यदि ऐसा नहीं है, तो इसे कितने समय में भरा जाएगा?

(१२) नहर की वर्तमान लागत क्या है और नहर के रख-रखाव की लागत क्या होगी?

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(१३) स्पर को किसने डिजाइन किया है? और स्पर की गहराई, चौड़ाई और लंबाई तय की है।

(१४) स्पर का कोण कैसे तय किया गया।

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(१५) डाउनस्ट्रीम में स्पर का क्या प्रभाव होगा।

महोदय, कृपया डिजाइनर से उत्तर देने के लिए कहें।

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माननीय नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसे गतिशील प्रधान मंत्री होने पर देश और राज्य यूपी को गर्व है।

जय-भोलेनाथ

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यूके चौधरी 11/6/2021

माननीय को कॉपी
(1)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
(२) मीडियाकर्मी

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