D2M यानी डयरेक्ट-टू-मोबाइल पायलट प्रोजेक्ट जल्द ही शुरू हो सकता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत के 19 शहरों में इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की तैयारी कर रहा है.
बताया जा रहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत मल्टीमीडिया सामग्री बिना डेटा के प्रसारित होती है और आप फ्री डिश तकनीक की तरह मोबाइल में लाइव टीवी, फिल्में इत्यादि देख सकते हैं. फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर बातचीत शुरूआती चरण में है.
इस सिलसिले में 5G ब्रॉडकास्टिंग समिट में सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि, ’19 शहरों में पायलट D2M ट्रांशमिशन परियोजना के लिए बातचीत शुरू हो गई है और इसे प्रसार भारती के डिजिटल टेरेस्ट्रियल ट्रांसमिशन नेटवर्क का उपयोग करके पूरा किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस परियोजना में की चुनौतियां हैं. जिनमें दूरसंचार कंपनियों का विरोध, मोबाइल फोन के लिए चिप, उपभोक्ता उपयोग पैटर्न आदि शामिल हैं.’
अपूर्व चंद्रा ने दावा किया है कि, ‘D2M सर्विस का फायदा देश के उन 8 से 9 करोड़ घरों को होगा, जहां TV नहीं है. इस समय देश के 280 मिलियन यानी 28 करोड़ घरों में से केवल 190 मिलियन यानी 19 करोड़ घरों में ही टीवी है. वहीं, देश में 80 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं, जो अपने फोन में 69 प्रतिशत वीडियो कंटेंट एक्सेस करते हैं.’
विरोध में दूरसंचार कंपनियां– मिंट की रिपोर्ट में टेलीकॉम इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ सलाहकार के हवाले से बताया गया है कि, ‘D2M के कारण टेलीकॉम कंपनियों को नुकसान होगा. क्योंकि लोग प्लान के साथ मिलने वाली सब्सक्रिप्शन सेवाओं का उपयोग नहीं करेंगे और इससे कंपनियों के राजस्व पर प्रभाव पड़ेगा.’
दूरसंचार कंपनियों के साथ ही चिप निर्माताओं ने भी इसका विरोध किया है. क्योंकि यह स्मार्टफोन में चिप स्थापित करने जितना आसान नहीं है.
IIT कानपुर ने तैयार की तकनीक– D2M टेक्नोलॉजी को IIT कानपुर के सांख्य लैब ने तैयार किया है. यह टेक्नोलॉजी मौजूदा टैरेस्ट्रियल ब्रॉडकास्टिंग कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके वीडियो, ऑडियो और डेटा सिग्नल को कम्पैटिबल मोबाइल और स्मार्ट डिवाइसेज में भेजेगी. इसके अलावा D2M तकनीक के जरिये डेटा ट्रांसमिशन और एक्सेस पर लगने वाले खर्चे को भी कम किया जा सकेगा.