Surya Pratap Singh : मेरे सहयोगी अशोक खेमका, IAS ने आज ट्विटर पर निम्न विचार लिखा…..
“Honest officers do not complain of frequent transfers. Alternative is far worse. Sidelined without work and face multiple roving inquiries.”
-Ashok Khemka, IAS @AshokKhemka_IAS
आप क्या सोचते हैं कि ईमानदार अधिकारी इसी तरह frustrate होते रहेंगे इस देश में ? या फिर कोई way out है ? कांग्रेस ने तो नहीं, परंतु क्यों वर्तमान हरियाणा सरकार ने अशोक खेमका के साथ न्याय नहीं किया? बिना काम के क्यों sidelined रखा गया है? क्यों उनके ख़िलाफ़ झूँठी जाँचों का अंबार लगा है?
मैं अपने विषय में नहीं लिख रहा, मैं तो सेवानिवृत्त हो गया हूँ…शायद मेरे बारे में लिखने की अब कोई उपयोगिता नहीं, परंतु क्या उत्तर प्रदेश में भी अमिताभ ठाकुर IPS व अन्य ऐसे कई निष्ठावान अधिकारियों के साथ अभी तक न्याय हुआ है? क्या दाग़ी व भ्रष्ट अभी भी मलाईदार पदों पर जमे नहीं बैठे हैं…. यही सब दागी व भ्रष्ट क्यों पसंदीदा है सब नेताओं के? लोकतंत्र में कब तक चलेगा यह सब? प्रतिभा व योग्यता को कब तक नकारा जाता रहेगा? एक लोकगीत के अंश का आनंद लें:
ई मेंहगाई, ई बेकारी…..नफ़रत कै फैली बीमारी,
दुःखी रहै जनता बेचारी, बिकी जात बा लोटा-धारी,
जियौ बहादुर, खद्दर धारी….
देसवा का कंगाल करत हौ, ख़ुद का मालामाल करत हौ…
तोहरन दम से चोर बज़ारी
जियौ बहादुर, खद्दर धारी….
यूपी के चर्चित आईएएस अधिकारी रहे सूर्य प्रताप सिंह की एफबी वॉल से.