Yashwant Singh : इसीलिए कहा जाता है कि हड़बड़ी में कोई राय न कायम करें, भले आंखों देखी सामने हो, वीडियो सामने हो… जिस पोस्ट पर पत्रकार को महिला इंस्पेक्टर हड़का रहीं, उस पोस्ट के असली लेखक खुलकर कह-लिख रहे हैं कि पोस्ट तो मैंने लिखी है, मुझसे संपर्क करो, शरीफ इंसान गोलू भइया से क्यों पूछ रही हो..
जी हां. ये लाल घेरे में दिखने वाले सज्जन एमपी के सागर जिले के टीवी पत्रकार गोलू शर्मा हैं. इनकी बस ग़लती इतनी है कि पुलिसवालियों के रौद्र रूप देखकर बेहद सहम गए और एकदम सन्नाटा खींच लिए. पुलिसवालियों ने कहा कि पढ़ो तो वो पोस्ट पढ़ने लगे जिसे इन्होंने लिखा ही नहीं.
पूरी कहानी जानिए… सागर के पत्रकारों की जुबानी….
गोलू भाई, ये महिला इंस्पेक्टर नपेंगी अपने कारनामे के लिए… हम सब आपके साथ हैं.
-यशवंत (एडिटर, भड़ास4मीडिया)
Gaurav Shukla : “मित्र पुलिसिंग” की दुहाई देने वाली सरकारों को ये दोनों पुलिसवालियाँ मज़ाक बना रही हैं. जिसने (पत्रकार) लिखकर इनके पेंच टाईट करने की कोशिश की, उसका तमाशा इन दोनों ने मय फोर्स से घेरकर वीडियो बनाकर करा दिया। असलियत बिल्कुल अलग है। जो पत्रकार वीडियो में बेइज़्ज़्त होता दिख रहा है, दरअसल वो सम्बंधित खबर का लेखक नहीं है बल्कि साझक (शेयर करने वाला) है। रिसर्च में बहुत कुछ सामने आया है.
Shailendra Singh Rajput : मध्य प्रदेश का सागर जिला.. यहां तमराज किलविश का वो डायलॉग फिट बैठ रहा है जहां ‘अंधेरा कायम रहे’ जैसे शब्दों को हकीकत में उतारने की कोशिश की जा रही है। ये दो महिला टीआई, अधिकारी होने के साथ महिला होने के वो सारे हथकंडे अपना रही हैं जिन्हें देखकर नर-नारी ख़ौफ़ से भर जायें। इनकी सोच ‘मिशन बदलापुर’ से ओतप्रोत नजर आ रही है।
किसी का परिचय बताते समय ये सामने वाले का सात जन्मों का वो रेकॉर्ड खोल देती हैं जिसमें पूरे खानदान के दलदल में फंसे रहने का विवरण होता है। फिर क्रोधातुर भाव के वो सारे वेग प्रदर्शित करती हैं जिसे देखकर आने वाले पहले से ही ख़ौफ़ज़दा होकर नतमस्तक हो जाते हैं। अगर ऐसा होता रहा तो निकट भविष्य में वो भीषण परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं जहां न्याय दिलाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे पुरुष इन महिलाओं के प्रति सोच बदलने पर मजबूर होते नजर आयेगें।
इन्हीं महिला इंस्पेक्टरों ने सागर यूनिवर्सिटी में ख़ौफ़ की चादर ओढाने की कोशिश की और विद्यार्थियों का भविष्य तबाह करने की बात की जा रही है। इधर अब एक निरीह बेकसूर पत्रकार है जो कुछ ही दिन पहले अपना बड़ा ऑपरेशन कराकर फील्ड में वापिस लौटा है। उसे प्री प्लानिंग के तहत मौका पाकर अकेले में टार्चर करने की सारी सीमायें तोड़ दी जाती हैं। उसे नामर्द से लेकर पब्लिक से मरवाने तक की कोशिश की जाती हैं।
मौके पर पत्रकार गोलू शर्मा अकेला था। उससे जो पोस्ट पढ़वाई जा रही थी, वो उसने नहीं, विनय सागर ने लिखी थी, जो सोशल मीडिया पर चिल्ला-चिल्ला कर बता रहे हैं कि मेरी सजा एक कमजोर को क्यों दी जा रही है? पोस्ट मैंने डाली थी तो सजा मुझे देनी थी, किसी बेकसूर को प्री प्लान के तहत क्यों लताड़ा गया? जबकि सच्चाई ये है कि पत्रकार गोलू शर्मा मोतीनगर थाना अंतर्गत भूतेश्वर का निवासी है। संगीता सिंह मोतीनगर थाना प्रभारी हैं जहां पर थाने की कारगुजारियों को दिखाने पर ये सब प्री प्लान के तहत हुआ है। इसमें सिविल लाइन टीआई रीता सिंह ने बखूबी साथ दिया है। इन्होंने महिला अधिकारी होने का फायदा उठाकर एक बेकसूर पत्रकार को सरेराह बेज्जत किया है।
देखेें संबंधित वीडियो-
उपरोक्त फेसबुक पोस्ट्स पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं-
Advocate Krishna Pratap Singh : जब गोलू शर्मा जी ने ये पोस्ट नही की तो इस तरह क्यों खड़े है। खुलकर बोलना था।
Anish Khan : दोनों ही महिला टीआई की कारगुजारी अब जनता के सामने आ गई है। आपने एक निरपराध पत्रकार को इतनी अकड़ दिखाई की वो वेचारे मारे डर के सहम गए। ऐसा तो भाजपा शासनकाल में कभी भी नहीं हुआ। तो हम सब पत्रकार क्या मानकर चलें कि हमारे सूबे के माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की सरकार को जनता ने चुनकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। साथ ही साथ मैं हमारे सागर पुलिस अधीक्षक महोदय श्री अमित सांघी जी को ये बताना चाहूंगा कि आपके पुलिस महकमे में इस तरह का व्यवहार शोभायमान नहीं कहा जा सकता है। श्रीमान जी आप इन दोनो ही महिला टीआई के ट्रांसफर शहर से बाहर किसी थानों में कराने का कष्ट करें जिससे वहां इनकी मौजूदगी से क्या बदलाव हो सकता है यह भी आपको देखने को मिल जायेगा। एक अकेले पत्रकार को सरेराह धमकाना निहायत ही बहुत गलत काम है। फिलहाल यहां मामला 499 मानहानि का तो बन ही सकता है। एक शासकीय लोकसेवक से खासकर महिलाओं से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती है। मैं एक बात आप सभी प्रदेश वासियों को बता देना चाहूंगा कि आज अगर मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार होती और गृहमंत्री माननीय भूपेंद्र सिंह जी होते तो अब तक इस मामले में चार्जशीट फाइल कर दी गई होती। रिजल्ट घोषित भी हो गया होता..
जय हिन्द जय भारत
पत्रकार – अनीस अयान खान
सागर म.प्र.
नेशनल न्यूज़ ऑफ इंडिया
Abhishek Rajpoot : पत्रकार और सच्चा? सुना नहीं क्या बोला मेडम ने… शाम को 7 के बाद होश नहीं रहता… और, यह सत्य है… तभी तो सामने बोल रही थीं.. अगर गोलू शर्मा ने कुछ नहीं किया तो शांत क्यों था… सबसे बड़ा सवाल तो यही है वीडियो में…
Shailendra Singh Rajput : यहां ये भी लिखा जा सकता है कि पुलिस और सच्ची? और दूसरी बात, शाम को या दिन में कौंन क्या कर रहा है, वो चर्चा यहां जरूरी है या किसी अकेले को मौका पाकर पूरे प्लान के तहत टार्चर करो…
Abhishek Rajpoot : आप यह बोल सकते है कि पुलिस सच्ची नहीं है… पर उसका प्रमाण देना होगा आपको… मैंने तो साफ लिखा महोदय कि अगर पत्रकार पर पुलिस आरोप लगा रही है और पत्रकार इनकार नहीं कर रहा है, आरोप लगते समय शांत है तो फिर कैसे माना जाए… दबता वही है जिसने गुनाह किया हो.. उसका गुनाह साफ दिख रहा, ऑन कैमरा… कोई भी अधिकारी हो, आपको बिना वजह कुछ नही बोल सकता.. खासकर पत्रकार से तो बिल्कुल भी नहीं उलझना चाहेगा
Shailendra Singh Rajput : ये पोस्ट गोलू के भड़ास ग्रुप में डाली गई थी… गोलू ने फारवर्ड नहीं की थी… गोलू ने वायरल पोस्ट के नाम से लिखा था, फारवर्ड किसी और ने की थी… वायरल पोस्ट के नाम से ग्रुप में बताया गया था… तुम्हें विनय सागर की सफाई नहीं दिख रही जिसने दर्जनों ग्रुप में डालकर कहा है कि ये मेरी पोस्ट है तो सजा मुझे दो…
Abhishek Rajpoot : वायरल पोस्ट के नाम से तो डाला था न… तो फिर अब सफाई का कोई मतलब ही नहीं…. और, यही बात गोलू बोलता उस टाइम ही तो टीआई को जबाव मिल जाता… आप एक बात बताओ, आप बोलना क्या चाह रहे हैं… गोलू ईमानदार और साफ छवि बाला पत्रकार है?
Shailendra Singh Rajput : गोलू ड्रिंक करता है तो गोलू को भरे बाजार प्री प्लान के तहत बेज्जत कर दो? गोलू ड्रिंक करता है जिसको वो सार्वजनिक बता भी चुका है तो उसे इस तरह बेज्जत किया जाए? वो भी सार्वजनिक तौर पर? वो भी उस काल्पनिक पोस्ट पर जो किसी का नाम लेकर नही लिखी गई थी, और वो पोस्ट उसने लिखी भी नहीं थी… क्या इसको आप सही मानते हो?
Abhishek Rajpoot : पोस्ट काल्पनिक थी, अच्छी बात है… तो यही बात गोलू ने क्यों नही बोली? यहां फेसबुक पर दलेली क्यों दी जा रही भाई?
Rajkumar Ahirwar Gadoli : प्रशासन की ये भाषा शैली बडी़ खौफनाक है
Anish Khan : जी, अब सागर शहर भी पत्रकारों के साथ हुये इस हुस्न ओ सुलूक को देख चुका है। वक्त बदलते देर नहीं लगती है। पत्रकारों से पंगा लेना भी हमारी नजर में अभिशाप ही माना जायेगा। वक्त है बदलाव का…
Ravi Soni : मध्य प्रदेश में कमलनाथ कि सरकार है… इनकी चक्की बारीक पीसती है.. ये हाल सागर का है जहां पत्रकारों से प्रशासन के नुमाइंदे इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं…
Lalit Pandey : सब के सब चुप रहो… एक बडा ही शुन्दर गीत है… कुछ भी न कहो
Tribhuvan Shankar Tiwari : INKO KAISE LAGA KI JO FORWARD HUA VO INKE LIYE HI LIKHA GAYA. TATKAAL ACTION HO INKE KHILAAF
Zakir Ali Khan : मालूम नहीं… सच बोलना गुनाह है…
Dishendra Raikwar : मेरा सभी पत्रकार बंधुओं से निवदेन है की इनको सस्पेंड करा कर ही मानो
Hemraj Singh Thakur : मोती नगर थाने में सिर्फ अपराधियों की सुनी जाती है… आम लोगों की वहां कोई सुनवाई नहीं होती… ज्यादा कुछ कहोगे तो अंदर कर देंगे.. धमकी देते हैं वहां के स्टाफ वाले और टीआई मैडम… आम लोगों से बदतमीजी से बात करते हैं… अधिकारी अपराधियों को कुर्सी देकर बैठाते हैं और उन्हें चाय पिलाते हैं… यह है उनकी ईमानदारी की नौकरी
Harshit Pandey : यह तरीका इनका गलत है बेहद निंदनीय है।
Rajesh Mishra : एक हक़ीक़त हम किन परिस्थितियों में काम करते हैं। ये एक धमकी का स्वरूप है कि हमारे खिलाफ मत जाना वरना सरेआम ज़लील कर दिया जाएगा। लोकतंत्र में वर्दी का इतना खौफनाक रूप देखने को नहीं मिला। जो कांग्रेस सरकार के राज मे चौथा स्तंभ अब खतरे में है
Ikram Pathan : वर्दी की आड़ में सरे आम गुंडागर्दी चल रही है… सिंघम और दबंग जैसे फिल्मो में कानून प्रणाली का गला ही रेता गया है… आज सिर्फ़ ईनही फिल्मों से प्ररित होकर खुद को उसी किरदार में डालने की कोशिश करते हैं.. फिर पब्लिसिटी के लिए सारे हथकंडे यूज किए जाते हैं… ये लोग अपना वास्तविक कर्तव्य भूल गए हैं..
AbhiShek Abhi Tiwari : Ek patrakar agar saccha hai to to uske sath acche se pesh ana chahiye ye bahut galat kia dono ne m koi apradhi to nahi lekin sabse jyada nafrat police se hai
Vishwanath soni : महिला अधिकारी होने का नाजायज फायदा उठाया गया है।
Shailendra Tiwari Journalist : जो भी हुआ हो जैसे भी हुआ हो अगर झमा मांगने योग्य था तो झमा मांग लो । लेकिन इस तरह सार्वजनिक अपमान और ये दोनों का ही है । गलत है निंदनीय है । सार्वजनिक किसी को अति अपमानित करना ठीक नही ।
Mukesh Tiwari : अगर इन्होंने ये नहीं लिखा है तो चुप क्यों है… इनको अपना पक्ष रखना था.. चुपचाप क्यों सुनते रहे फिर गर ये निर्दोष हैं तो?
Vikash Singh : सागर की पुलिस बेलगाम हो गई कभी भी किसी को थप्पड़ जड़ दिया जाता है सावर्जनिक जगह पर अपमानित कर दिया जाता गई गाली देना तों आम हो चुका है एक मैसेज पर मेडम का गुस्सा सातवें आसमान पर है जो की गोलू शर्मा ने किया ही नहीं था अब सवाल गोलू शर्मा का है इनको सभी के सामने ऎसा अपमानित किया जाता की इनका गुस्सा डर में बादल गया क्योंकि सामने पूरी फोर्स खड़ी हुईं है जिसमें कुछ लोग जूता मारने का भी बोल रहे है इस स्थिति मौन रहना ही समझदारी थी जो गोलू भाई ने किया
Thakur Keshav Singh Dhanora : लगता है दोनों टीआई भूल गई है के ये जनता की सेवक है।
Prashant Soni : सभी इंसान एक जैसे नहीं होते, सभी अच्छे बुरे होते हैं, चाहे पुलिस वाले हों या पत्रकार। पुलिस और पत्रकारों की लड़ाई आज की नहीं है, दोनों एक दूसरे पर हावी रहना चाहते हैं।
गोपाल साधना नामदेव : मुख्यमंत्री जी को मामले की जानकारी की जानी चाहिए.. ट्विटर से उन्हें टैग करके पुलिसकर्मियों द्वारा दी गई धमकी की जानकारी दी जानी चाहिए…
Abhishek Tiwari ये घटनाक्रम मानहानि की श्रेणी में आता है… गोलू शर्मा जी को न्यायालय की शरण में जाना चाहिये।
Shailendra Mishra Shelly : उच्च न्यायालय की शरण लेनी चाहिए और पत्रकारिता के आदर्शों का पालन करना चाहिए। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अपने अधीनस्थों के व्यवहार और आचरण की निगरानी करनी चाहिए
Avinash Singh Rajpoot : इन्हें टर्मिनेट किया जाना चाहिए… ये खुद जज बन गई हैं आज कल
BD Rajak : कुछ गलत है तो इसकी आलाधिकारी को शिकायत करे fb सफ़ाई देने से कुछ नहीं होगा , जब इनका नाम कहीं लिखा ही नहीं तो ये क्यों फालतू परेशान हो रही है
Avinash Singh Rajpoot : koi galat likta hai to ipc m sec. Hai lakin khud gunda banne ki jarurat to nhi
Sunil Khoji पोस्ट में इन दोनों के नाम हैं ही नहीं…
पूरे प्रकरण को समझने के लिए मूल खबर पढ़ें-
pawan k s bhargav
September 14, 2019 at 12:13 pm
Ek patrakar agar saccha hai to to uske sath acche se pesh ana chahiye ye bahut galat kia dono ne m koi apradhi to nahi . M .P. Govt. took an legal action aganist those police lady officer .
Pawan K S Bhargav
Principal Corresspondent
NBC News Hindi, New-Delhi
Tushar singh
September 26, 2019 at 9:31 pm
इस मैसेज में कहीं भी महिला पुलिस का कोई जिक्र नहीं है कि किसी किसी को पर्सनल तरीके से कहा जा रहा हो फिर इनको ही यह बात क्यों कड़वी लगी यह गलत कर रही हैं उसमें साफ-साफ लिखा हुआ है काल्पनिक सहेलियों की काल्पनिक बातें
खुद समझो क्या भाव है इस मैसेज का तभी किसी के बारे में बोलिए और हो सकता है कि यह सीधे भी हो और मैंने देखा भी है कि कुछ लोग गलत ना होने के बावजूद भी नहीं कुछ कह पाते और खासकर महिला के सामने बोलने में हिचकिचाहट ते हैं और डर भी हो सकता है दूसरा कारण
BIPLABENDU ROY
March 31, 2020 at 7:53 pm
These police personnel violated the law by taking the law in their hands. Law can’t permit these police personnel to attack a reporter on a lonely road and to misbehave with him. If the reporter reported something right or worng against anybody or these police personnel, they could report it to their appropriate authority against the report. Instead of complaint the had taken the law and started misbehaving which is unbecoming for such responsible police personnel. Therefore, it’s requested to the Government to take severe action against such police personnel for their unlawful activities.